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जाने कैसे- स्वरोजगार के माध्यम से भी की जा सकती है तरक्की

मत्स्य पालन में बनायी अलग पहचान
नीली क्रांति का अगुवा बनें शिवनंदन

बिहारशरीफ। शिक्षा का मतलब सिर्फ नौकरी पाना ही नही होता है। वास्तविक शिक्षा वही है जो दूसरों के घर के चुल्हों को जलाने मे मददगार हो। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण नालन्दा के मोहनपुर गांव निवासी शिवनन्दन प्रसाद हैं। उन्होंनंे पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी को अपने जीवन मे विशेष स्थान न देकर स्वरोजगार की तरफ कदम बढ़ाया। उन्होने नौकरी के लाईन मे खड़े होने के बजाय स्वरोजगार अपना कर खुद को कई लोगों का भरण पोषण व आजीविका का माध्यम बनाया। ऐसा कहा जाता है कि जब कोई स्वरोजगार के लिए कदम बढ़ा लेता है तो उस क्षेत्र मे क्रांति की एक लकीर खींच जाती है। शिवनन्दन प्रसाद ने सिर्फ पच्चीस हजार रूपये की लागत से 90 के दशक मे मछली पालन का व्यवसाय शुरू किया। आज वह प्रतिमाह अस्सी हजार रूपये का मुनाफा कमा रहे हैं। उन्होने मछली पालन कर नीली क्रांति को केवल बढ़ावा ही नही दिया बल्कि उसका अगुवा बनकर सुबे के जिलों सहित झारखंड व पश्चिम बंगाल सहित आसपास के कई राज्यों मे मछली का जीरा सप्लाय कर रहें हैं। उन्होने मछली पालन कर स्वरोजगार की राह पकड़ क्रांति की धार बहा रहे हैं। एक छोटे से गांव मे व्यवसाय की शुरूआत कर पढ़े लिखे बेरोजगार लोगों के लिए एक आदर्श के रूप मे खुद को लाकर खड़ा कर दिया है। जो कल तक खुद की चुल्हा को जलाने मे असमर्थ थे वह आज दर्जनों लोगों के घरों के चुल्हे को लौ प्रदान कर रहे हैं। आज से लगभग 26 साल पहले प्रारम्भ किये गये व्यवसाय आज बरगद के समान विशालकाय बन चुका है। अब बिहार सहित झारखंड और पश्चिम बंगाल के ग्राहक जीरा खरीदने पहुंच रहे हैं। इस संबध मे शिवनन्दन प्रसाद ने बताया कि 90 के दशक मे उन्होने मछली पालन के रूप मे अपने जीवन के कैरियर का शुभारंभ किया। उस समय उनके पास सिर्फ 25 हजार रूपये की अल्प पूंजी थी। श्री प्रसाद बताते हैं कि जब उन्होने इस रोजगार क्षेत्र मे कदम बढ़ाने की बात अपने परिवार के बीच रखा तो सभी लोगों ने इंकार कर दिया। घर के लोगों ने उनकी दृढ़ इच्छा और मजबूत मनोबल को देखते हुए एक छोटी सी राशी से व्यवसाय शुरू करने की स्वीकृति दे दी। घर वालों का सहयोग पाकर शिवनन्दन प्रसाद के पैरों मे जैसे पंख लग गये। उनके हौंसले उड़ान भरने लगी। ग्रामीणों का कहना है कि जिस समय शिवनन्दन मछली पालन के क्षेत्र मे कदम रख रहा था उस समय गांव मे और उसके आस पास तो क्या दूर दूर तक कहीं भी मछली पालन का कार्य नही होता था। इस रोजगार मे उन्हे बहुत कुछ सहना पड़ा। आज उनके साथ जुड़कर दो दर्जन लोग प्रत्यक्ष रूप मे अपने घर का चुल्हा जलाये हुए हैं। 45 वर्षीय शिवनन्दन प्रसाद ने जूलौजी से पोस्ट ग्रेजुएट हैं। इसके बावजुद इन्होने किसी सरकारी नौकरी को तबज्जों नही दिया। जब इन्होने मछली पालन के व्यवसाय को ठानकर सफलता प्राप्त किया। उन्होने बताया कि मछली उत्पादन कर किसान आर्थिक रूप् से समृद्ध बन सकेंगें। कम लागत मे किसान इससे अधिक आमदनी प्राप्त कर सकते हैं। जिले मे मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं क्रियान्वित की जा रही है। उक्त बातें सिलाव मत्स्यजीवि सहयोग समिति के मंत्री शिवनन्दन प्रसाद उर्फ शिव जी ने मत्स्यपालकों से आग्रह करते हुए जैविक रासायनिक का प्रयोग करने की सलाह देते हुए बताया कि जैविक रासायनिक प्रयोग मे लागत भी कम आती है। इससे मछलियों मे ग्रोथ भी ठीक ढंग से होता है। मछलियों को समय समय पर पौषिट आहार भी देते रहें। उन्होने बताया कि पिछले छह माह के दौरान जिले मे मछली उत्पादन मे तीन गुना की वृद्धि हुई है।

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