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दुर्गा पूजा :: सबके लिए सुखदायक होगी इस बार नवरात्रि, जिस वाहन से आएँगी उसी से वापस भी जाएंगी माँ दुर्गा – पारुल सिंह प्रधान

लखनऊ/हरदोई(राज प्रताप सिंह) : जिला हरदोई के ब्लॉक बाबन अंतर्गत ग्राम पंचायत बरवन की अपने कार्यो से बहु चर्चित प्रधान पारुल सिंह से शारदीय नवरात्रि पर विशेष चर्चा में उन्होंने लोगो को इस बार के शारदीय नवरात्रि पर कुछ बिशेष जानकारी दी।उन्होंने बताया कि इस बार नवरात्रि महासंयोग लेकर आ रही है। मां जगदंबा एक ही वाहन पालकी में बैठकर आएंगी और उसी में ही बैठकर जाएंगी.

नवरत्रि के 9 दिन सुख समृद्धिदायक होंगे। अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा दिनांक, 21 सितम्बर गुरुवार को शारदीय नवरात्र का आरंभ होगा। शारदीय नवरात्र शक्ति मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना का पर्व 21 सितम्बर से शुरू होकर 29 सितम्बर को समाप्त होगा। इस बार मां दुर्गा का आगमन पालकी से होगा व गमन पालकी पर ही होगा, जो अति शुभ है।

  • महासंयोग लेकर आ रहा है, इस बार नवरात्रि का पर्व
देवीपुराण में नवरात्रि में भगवती के आगमन व प्रस्थान के लिए वार अनुसार वाहन बताये गए हैः
आगमन वाहन :
रविवार व सोमवार को हाथी।
शनिवार व मंगलवार को घोड़ा।
गुरुवार व शुक्रवार को पालकी।
बुधवार को नौका आगमन।
प्रस्थान वाहन :
रविवार व सोमवार भैंसा।
शनिवार और मंगलवार को सिंह।
बुधवार व शुक्रवार को गज हाथी।
गुरुवार को नर वाहन पर प्रस्थान।
इस बार माता का आगमन व गमन जनजीवन के लिए हर प्रकार की सिद्धि देने वाला है। इस बार गुरुवार के दिन हस्त नक्षत्र में घट स्थापना के साथ शक्ति उपासना का पर्व काल शुरु होगा। गुरुवार के दिन हस्त नक्षत्र में यदि देवी आराधना का पर्व शुरू हो, तो यह देवीकृपा व इष्ट साधना के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
देवी भागवत में नवरात्रि के प्रारंभ व समापन के वार अनुसार माताजी के आगमन प्रस्थान के वाहन इस प्रकार बताए गए हैं।
सर्वार्थसिद्धि योग में मनेगा इस बाल दशहरा ;
21 सितम्बर घटस्थापना, गुरुवार व हस्त नक्षत्र योग।
22सितम्बर द्वितीया, रवियोग।
23 सितम्बर तृतीया, रवियोग,सर्वार्थसिद्धि।
24 सितम्बर चतुर्थी, रवियोग।
25 अक्टूबर चतुर्थी, रवियोग, सर्वार्थसिद्धि।
26 सितम्बर षष्ठी, रवियोग।
27 सितम्बर सप्तमी,रवियोग।
28 सितम्बर दुर्गाअष्टमी महापूजा।
29 अक्टूबर महानवमी रवियोग।
30 सितम्बर विजयादशमी, रवियोग, सर्वार्थसिद्धि योग।
 माँ दुर्गा की आराधना और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए दुर्गा सप्तशती का पाठ सर्वोत्तम है। भुवनेश्वरी संहिता में कहा गया है- जिस प्रकार से ”वेद” अनादि है, उसी प्रकार ”सप्तशती” भी अनादि है।
दुर्गा सप्तशती के 700 श्लोकों में देवी-चरित्र का वर्णन है . दुर्गा सप्तशती में कुल 13 अध्याय हैं। दुर्गा सप्तशती के सभी तेरह अध्याय अलग अलग इच्छित मनोकामना की सहर्ष ही पूर्ति करते है।
प्रथम अध्याय: इसके पाठ से सभी प्रकार की चिंता दूर होती है एवं शक्तिशाली से शक्तिशाली शत्रु का भी भय दूर होता है शत्रुओं का नाश होता है।
द्वितीय अध्याय : इसके पाठ से बलवान शत्रु द्वारा घर एवं भूमि पर अधिकार करने एवं किसी भी प्रकार के वाद विवाद आदि में विजय प्राप्त होती है।
तृतीय अध्याय: तृतीय अध्याय के पाठ से युद्ध एवं मुक़दमे में विजय, शत्रुओं से छुटकारा मिलता है . .।
चतुर्थ अध्याय: – इस अध्याय के पाठ से धन, सुन्दर जीवन साथी एवं माँ की भक्ति की प्राप्ति होती है .।
पंचम अध्याय: पंचम अध्याय के पाठ से भक्ति मिलती है, भय, बुरे स्वप्नों और भूत प्रेत बाधाओं का निराकरण होता है।
छठा अध्याय: इस अध्याय के पाठ से समस्त बाधाएं दूर होती है और समस्त मनवाँछित फलो की प्राप्ति होती है।
सातवाँ अध्याय: इस अध्याय के पाठ से ह्रदय की समस्त कामना अथवा किसी विशेष गुप्त कामना की पूर्ति होती है। 
आठवाँ अध्याय: अष्टम अध्याय के पाठ से धन लाभ के साथ वशीकरण प्रबल होता है।
नौवां अध्याय: नवम अध्याय के पाठ से खोये हुए की तलाश में सफलता मिलती है, संपत्ति एवं धन का लाभ भी प्राप्त होता है।
दसवाँ अध्याय: इस अध्याय के पाठ से गुमशुदा की तलाश होती है, शक्ति और संतान का सुख भी प्राप्त होता है।
ग्यारहवाँ अध्याय: ग्यारहवें अध्याय के पाठ से किसी भी प्रकार की चिंता से मुक्ति , व्यापार में सफलता एवं सुख-संपत्ति की प्राप्ति होती है।
बारहवाँ अध्याय: इस अध्याय के पाठ से रोगो से छुटकारा, निर्भयता की प्राप्ति होती है एवं समाज में मान-सम्मान मिलता है।
तेरहवां अध्याय:- तेरहवें अध्याय के पाठ से माता की भक्ति एवं सभी इच्छित वस्तुओं की प्राप्ति होती है।
मनुष्य की इच्छाएं अनंत है और इन्ही की पूर्ति के लिए दुर्गा सप्तशती से सुगम और कोई भी मार्ग नहीं है. इसीलिए नवरात्र में विशेष रूप से दुर्गा सप्तशती के तेरह अध्यायों का पाठ करने का विधान है।

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