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बिहार :: सुगरवे नदी में डूबी दो मासूम जिंदगियां, पलार में पसरा मातम

मधुबनी,अंधराठाढ़ी (रमेश कर्ण) : स्थानीय थाना के पलार गाँव में दो वच्चो को सुगरवे नदी में डूबने से शुक्रवार को मौत हो गयी । दोनों लड़का एक साथ नदी में नहाने गया था । मृत बच्चो का पहचान गाँव के शिवशंकर यादव के सात  वर्षीय पुत्र कृष्णा कुमार और सत्य नारायण यादव के पांच वर्षीय पुत्र सोनू कुमार के रूप में हुयी है । मौत के बाद पुरे गाँव में कोहराम मचा हुआ है . मिली जानकारी के मुताविक मृतक कृष्णा और सोनू दोनों एक साथ सुबह करीव 9 बजे से ही खेल रहा था । खेलते खेलते कब नदी में नहाने चला गया घर बालो को पता ही नही चला । करीब दस वजे दिन में बच्चो के डूबने की खबर सुनकर परिजनों ने बच्चो की तलाश में जुट कये । ग्रामीणों के सहयोग से खोजबीन करने पर पहले सोनू  मिला । उस जगह से करिव 100 मीटर की दुरी पर पलार सुइलिस गेट के पास से कृष्णा भी मिला । दोनों वच्चो को परिजनों द्वारा आनन फानन में स्थानीय रेफरल अस्पताल लाया जहाँ उसे मृत घोषित कर दिया गया । 

मौके पर प्रखंड विकास पदाधिकारी आलोक कुमार शर्मा, अंचलाधिकारी विष्णु देव सिंह, थाना प्रभारी प्रदीप गौड़ और प्रखंड प्रमुख शुभेश्वर यादव पहुंचे। लोगो को काफी समझने बुझाने के बाद थाना पुलिस ने दोनों शव को पोस्ट मार्टम के लिए मधुबनी भेज दिया है ।

पलार गांव के कृष्णा और सोनू के  मौत से पूरे गांव मर्माहत है। दोनो अपने मां बाप का इकलौता बेटा था । शिव शंकर यादव को छः पुत्री के बाद एक पुत्र कृष्णा था।  जबकि सत्यनारायण यादव को एक पुत्री और एक पुत्र सोनू था। कृष्णा और सोनू के मौत की खबर सुनते ही उनकी मां एवं आसपड़ोस की महिलाओं की चीत्कार सुन कर पूरा गांव गमगीन हो गया । मातमी सन्नाटा पसरा हुआ है।

कृष्णा अंधरा बाजार स्थित नेशनल पब्लिक स्कूल में पढ़ता था। दुर्गा पूजा के बाद से स्कूल नहीं गया था। जबकि सोनू गांव के ही प्राथमिक विद्यालय में नामांकन करवाया था। लोगों के मुंह से भगवान की यह लीला को कोसते नजर आए। आखिर लेना ही था जन्म क्यों दिया। जो भी कारण रहा हो उनके मौत के पीछे उनके घर के लोग सतर्क रहता तो शायद यह घटना नही घटती।

 बच्चों के नदी में डूब कर हुयी मौत के बाद । घटना स्थल पर सैकड़ो की संख्या में भीड़ जुट गई। शिव शंकर यादव एक सामाजिक कार्यकर्ता है। उच्च शिक्षाधारी गणित से एम एस सी करने के वाद बेरोजगारी की आलम झेल रहा है। ट्यूशन पढना उनका मुख्य पेशा है। छः बेटी के बाद एक पुत्र कृष्णा का जन्म हुआ था। खूब अच्छी परवरिश और लार प्यार से पालते । उन्हें अंधराठाढ़ी स्थित प्राइवेट स्कूल में पढ़ा रहा था। दुर्गा पूजा छुट्टी के बाद वह घर पर था। दोनो वच्चो का घर आश पाश ही था। सुबह से खेलने में मशगूल दोनो बच्चो ने कब नदी में नहाने चला गया पता ही नही चला। पुत्र की मौत से सदमा में दोनों के मां समेत परिजन आ गए। अनहोनी की भी आशंका बनी है। लोग भले ही हृदय को कठोर बनाने और धैर्य बढ़ाने आते हैं। परंतु पुत्र रत्न को कैसे भूलेगी। और उसके गम से कैसे उभरेगी यह परिवार यक्ष प्रश्न बन गया है ?

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