बिहार/दरभंगा।
ए०आई०डी०एस०ओ०की 63 वां स्थपना दिवस जिला कार्यालय में जिला सह संयोजक ललित कुमार की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई।
कार्यक्रम के शुरूआत प्रख्यात शिक्षविद्व प्रो विनय कंठ के श्रधांजलि देते हुए हुआ।
समारोह को सम्बोधित करते हुए राज्य उपाध्यक्ष लाल कुमार ने कहा कि शिक्षा मानव सभ्यता की रीढ़ है।इसके बिना किसी भी सभ्य समाज की कल्पना नहीं की जा सकती है । आप जानते हैं कि नवजागरण काल के मनीषियों ईश्वर चंद्र विद्यासागर ,ज्योति राव फूले ,सुब्रमण्यम भारती, ज्योति प्रसाद अग्रवाल आदि ने जनवादी वैज्ञानिक व धर्मनिरपेक्ष शिक्षा पद्धति की मांग की थी आजादी आंदोलन के सेनानियों का सपना था कि आजाद भारत में ऐसी शिक्षा पद्धति को लागू करना था। लेकिन देखा जा रहा है कि आजादी के बाद सत्तासीन हुए सरकारें नेताजी सुभाष चंद्र बोस भगत सिंह शरतचंद्र प्रेमचंद ,पी०सी० राय ,जगदीश चंद्र बोस सहित अनेक क्रांतिकारियो और मनुष्यों के सपनों को रौंदते हुए शिक्षा को संकुचित और उससे मुनाफा की वस्तु में तब्दील करने का प्रयास कर रही है सन 1954 में यूजीसी के चेयरमैन सी डी देशमुख के वक्तव्य से ही आप अनुमान लगा सकते हैं कि इसके पीछे सरकार की कितनी भयानक मंशा रही है उन्होंने कहा था “मैं शिक्षा को संकुचित करना चाहता हूं ताकि शिक्षित बेरोजगारों की संख्या घटाई जा सके ” उसी वर्ष केंद्र सरकार ने कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में सीट संकुचन की नीति लागू की थी उस समय आजादी आंदोलन के क्रांतिकारी संगठन अनुशीलन समिति के योद्धा एवं इस युग अन्यतम मार्क्सवादी चिंतक का कामरेड शिवदास घोष के विचार की रोशनी में 28 दिसंबर 1954 को भारत के सर जमीन पर एक क्रांतिकारी छात्र संगठन के तौर पर ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक स्टेशन स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन की स्थापना की गई। हमारा छात्र संगठन तब से लेकर आज तक शिक्षा और छात्र समस्याओं को लेकर संघर्षरत है संगठन छात्रों को संबोधित करते हुए संघर्ष कमेटी का निर्माण कर शिक्षा विरोधी नीतियों के खिलाफ एक से एक बढ़कर आंदोलन कर रहा है उनकी जीत में बदल रहा है। आप तमाम छात्रों बंधुओं से हमारी अपील है कि आप ऑल इंडिया डीएसओ का सदस्य बने अपने शिक्षण संस्थानों में संघर्ष समितियों का निर्माण करें ताकि उच्च नीति नैतिकता व मूल्यों से लैस छात्र आंदोलन के बल पर छात्र एवं शिक्षा विरोधी नीतियों एवं जनवादी अधिकारों पर हो रहे हमलों को रोकने के लिए सरकार को बाध्य किया जा सके
जिला सह संयोजक ललित कुमार ने कहा कि आजादी के 70 दशक बीत जाने के बाद ऑल इंडिया डीएसओ की स्थापना दिवस के मौके पर वर्तमान शिक्षा की स्थिति पर मूल्यांकन करना लाजमी है आप देख रहे हैं किस प्रकार शिक्षा बजट में कटौती के कारण शिक्षण संस्थानों के भवन जर्जर स्थिति है बहुत बहुत सारे भवन खंडहर में बदल चुके हैं प्रयोगशाला में प्रायोगिक उपकरण पुस्तकालय में पुस्तकों के घोर अभाव दूसरी तरफ शिक्षक एवं शिक्षक कर्मचारियों की भारी कमी के कारण पठन पाठन का माहौल नहीं है ।ऐसी परिस्थिति में शिक्षा को निजीकरण व्यापारीकरण एवं संप्रदयिकर्ण कर शिक्षा का जो मूल उद्देश्य था उसको भी बदल रही है।
कार्यक्रम का संचालन छवि कुमार ने की।
अन्य वक्ताओं में विकास कुमार गिरी,ओम प्रकाश, सुरेंद्र कुमारसुमंत कुमार,रमाकांत रौशन कुमार ,मिथिलेश कुमार ,विभीषण कुमार,सुनील कुमार ,आमोद कुमार आदि छत्रों ने बढ़ चढ़ कर हिसा लिया।