पंजाब (ब्यूरो) : पूर्व भाजपा विधायक केडी भंडारी के खासमखास रह चुके भाजपा नेता मुनीष सहगल तथा अशीष सहगल की मुश्किलें आने वाले दिनों में और ज्यादा बढ़ती दिखाई दे रही हैं। मुनीष के चचेरे भाई अजय कुमार ने विशेष बातचीत दौरान कई ऐसे खुलासे किए हैं अगर विजीलैंस विभाग इनकी जांच करे तो कई सफेदपोशों का नाम भी आरोपी मुनीश सहगल के साथ जुड़ सकता है। पीडि़त अजय ने कहा कि मुनीष ने पढ़ाई के बाद एक कोरियर कम्पनी में नौकरी की और बाद में एक टैलीफोन की कम्पनी में काम किया। वहीं दूसरा भाई अशीष सहगल पेंट स्टोर पर नौकरी करता था। 2007 के विधानसभा चुनावों दौरान इन दोनो भाईयों ने केडी भंडारी की कई रैलियों मे भारी जनसंंगठन किया और उन्हे जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई। बस यहीं से शुरु हुुआ दोनो का आम से खास बनने का सफर। केडी भंडारी का संरक्षण प्राप्त इन दोनो भाईयों ने अपने पूर्वजों की सम्पतियां अपने भाईयों के साथ बांटने की बजाए हड़पने का काम शुरु कर दिया और चचेरे भाईयों तथा बाकी हिस्सेदारों से पावर ऑफ अर्टानी लेकर खुद ही जमीन के सौदे करोड़ों मेें करने शुरु कर दिए। मगर हिस्सेदारों को फूटी कौड़ी भी नहीं दी गई। जिससे कई बार भाईयों में झगड़ा हुआ और मामला अजय के ऊपर हमले तक पहुंच गया। पीडि़त अजय कुमार ने अपने साथ हुई करोड़ों की ठगी करने वालों के खिलाफ काम करना शुरु कर दिया मगर भाजपा का दबदबा होने के चलते उन्हे इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट से कोई भी जानकारी नहीं दी गई। लेकिन जब उन्होने आरटीआई का सहारा लिया तो छ: महीने बाद उनके हाथ ऐसे दस्तावेज लगे जिससे पता चला कि जो पावर ऑफ अर्टानी उन्होने मनीश सहगल तथा अशीश सहगल को दी थी उन्होने उनके साथ ठगी कर सूर्या एन्कलेव में स्थित 28 कनाल जमीन का समझौता शौर्या टावर तथा एन के कंस्ट्रकशन के साथ 2 करोड़ 9 लाख 32 हजार 115 रुपये में कर दिया। वहीं अजय कुमार ने इन दस्तावेजों के आधार पर दोनो भाईयों खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज करवाया और इनकी दस सालों दौरान बनी करोडो़ं की सम्पतियों की जानकारी दी।
अजय कुमार के मुताबिक मुनीश सहगल की वार्ड नंबर 8 के अंर्तगर्त उपकार नगर इलाके के आसपास चार सम्पतियां हैं। इसके इलावा एक जिम तथा भाई दित्त सिंह नगर में एक कोठी। वहीं अशीष सहगल ने अपने घर के साथ वाली कोठी खरीदी और लगजरी कारें खरीदीं। पीडि़त अजय कुमार ने कहा कि विजीलैंस विभाग तथा आर्थिक अपराथ शाखा इस केस की जांच करे तो करोड़ों रुपयों की सम्पतियां खरीदने के लिए इस्तेमाल किए गए करोड़ों रुपयों की काली कमाई से पर्दा हट सकता है।