अरवल प्रतिनिधि : कार्तिक मास के शुक्लपक्ष नवमी तिथि अक्षय नवमी के नाम से जाना जाता है। पुराणो के अनुसार नवमी के दिन जो पुण्य के कार्य किया जाता है। वह कभी नाश नहीं होता। इस दिन पूजा का बड़ा हीं महत्व है। अक्षय नवमी के व्रत के अवसर पर आँवले की पेड़ की छाया में पूजा करने की विधान है। भगवान विष्णु और भगवान शंकर के पूजा करने के बाद श्रद्धालु ब्राह्मणों को गुप्त दान देते है। जो कि कुष्मांडा या भतुआ अंदर होता है। साथ हीं स्वयं भी पूजा करने के बाद आँवले के पेड़ के नीचे भोजन बनाकर पुरोहित को खिलाते है और स्वयं खातें है। अरवल शहर एवं ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाऐं अक्षय नवमी पर पूजा अर्चना करती देखी गई और अपने परिजनों के लिए भगवान से आशीर्वाद माँगी। कहा जाता है कि नवमी के दिन आँवला का फल खाने से शरीर रोग मुक्त हो जाता है। वहीं अरवल, बैदराबाद, प्रसादी इंगलिश आदि जगहों पर अक्षय नवमी के पूजा करने के लिए आँवले के पेड़ के नीचे काफी श्रद्धालु देखे गए।
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