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बिहार :: पत्रकारिता निराश हो गई तो खतरे में पड़ जाएगा जनतंत्र : विजय कुमार चौधरी

बीहट (बेगूसराय)/संवाददाता : नर्सेंगीक आनन्द की प्राप्ति का स्थल है सिमरिया धाम। उक्त बातें शास्त्र मंथन राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित करते हुए विस अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने व्यक्त किया। श्री चौधरी ने कहा कि यहां आगमन होते ही सभी सुखों का प्राप्ति होता है। यहां कि यह सिद्ध प्रमाण है। कहा की शास्त्रों की हमें खुशी होती है महात्मा स्वामी के सानिध्य में कुम्भ का आयोजन हुई है। जहां भी अधिकाधिक जन मानस जुटती है। वहां नागरिक सुविधा मुहैया कराना सरकार की नैतिक जिम्मेदारी होती है। वहीं सिमरिया धाम के तुलार्क महाकुंभ स्थली में शास्त्र मंथन के प्रथम राष्ट्रीय संगोष्ठी ‘पत्रकारिता का सामाजिक दायित्व’ विषय पर बहस दो धाराओं में बंटती नजर आती है। हालांकि दोनों धारा के लोगों ने सामाजिक दायित्व के बहाने पत्रकारिता पर मंडरा रहे खतरे को इंगित किया। विचारधारा का टकराव भी खुलकर सामने आया। संगोष्ठी का उद्घाटन कर रहे विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने कहा कि पत्रकारिता अगर निराश हो गई तो जनतंत्र खतरे में पड़ जाएगा। मीडिया ने बड़े-बड़े घोटाले को उजागर कर सरकार को कार्रवाई करने के लिए विवश किया। उसने सामाजिक दायित्व का निर्वहन भी किया है लेकिन हाल के वर्षों में मीडिया ने नकारात्मक पहलू को प्राथमिकता देना शुरू कर दिया है, इससे उसे बचाना चाहिए। विधानसभा अध्यक्ष श्री चौधरी ने कहा है कि मीडिया जगत को सकारात्मक पहलू को प्राथमिकता देनी चाहिए ताकि समाज में अच्छा संदेश जाए और लोग उसका अनुकरण कर सके। उन्होंने कहा कि सामाजिक दायित्व से कोई अछूता नहीं है लेकिन मीडिया पर इसका दायित्व अधिक है। मीडिया इन दिनों नकारात्मक खबरों प्रमुख से लीड बना रहा है जो दिखाया या छापा जाता है उसका लोग अनुकरण भी करते हैं। इस पहलू पर भी मीडिया को गौर करना चाहिए। वहीं सभा को सम्बोधित करते हुए वरिष्ट पत्रकार अजीत अंजुम ने कहा की पत्रकारिता में किसी से कोई खास निष्ठा नहीं हो। यह पहली वसूल हो। पत्रकार का काम है की सरकार, सत्ता सहित तीनों प्रणाली पर नजर रखे। सरकार द्वारा चलायी जा रही सभी योजनाएं को जिस उद्देश्य से सरकार लायी है। क्या वह योजना धरातल पर उद्देश्य पर कितना प्रतिशत लागू हुई है। वहीं सभा को सम्बोधित करते हुए हितेश शंकर ने कहा की पत्रकार को बुनियादी जड़ से जुड़ना चाहिए। पत्रकारिता तभी खड़ी रहेगी। अपनी पसंदगी की दौड़ से बाहर आना होगा। आज अच्छा बोलने वाला ही अच्छा लगता है। वह ठकुरसुहाती कहकर ही लोगों के बीच रहना चाहता है। वो दौड़ जब देश आजाद हुई थी उस समय के पत्रकार में आज आकाश जमीन की फर्क है। वहीं राजीव तुली ने कहा की समाजिक जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है मीडिया की। लोकतांत्रिक देश में लोक तंत्र का चौथा स्तम्भ माना गया है। विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका तीनों पर नजर रखने के लिये चौथे स्तम्भ के रुप में मीडिया को लाया गया है। पर आज मीडिया को लेकर भी निराशा है। मीडिया की भी एक छवि है। जिस पर मीडिया एवं समाज दोनों को सोचने की विषय है। सभी आगत अतिथियों को शॉल, प्रतीक चिह्न, दिनकर लिखित संस्कृति के चार अध्याय आदि भेंटकर सम्मानित किया गया। आगत अतिथियों के स्वागत में भाषण कुम्भ महासचिव सह एमएलसी रजनीश कुमार ने दिया। कार्यक्रम का संचालन श्याम सहाय ने किया। मौके पर कई गणमान्य एवं पत्रकार मौजूद हुए।

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