बीहट (बेगूसराय) धर्मवीर कुमार : पांच तत्व से यह अधम शरीर बना है पांचों तत्व के पांच गुण हैं। उक्त बातें सिमरिया धाम गंगा स्पर्श करती ज्ञान मंच से संतों को मानव तन की बोध कराते हुए सन्त शिरोमणि स्वामी चिदात्मन जी महाराज ने व्यक्त किया। स्वामी जी ने कहा की पृथ्वी का गंध, जल का रस, अग्नि का रूप, वायू का स्पर्श और आकाश का शब्द। पांचों तत्व में सतोगुण, रजोगुण और तमोगुण मिलने से यह असधा पद्धति कहलाती है और जिससे चराचर जगत है। जिसमें वह परात परब्रह्म जो अलख है अगोचर है अकाटय है, अदाए है, अशोष्य है और जो प्रारूप लेकर लीला करता है, ततवातीत है, गुणातीत है, अवर्णनीय है तत्व और गुण के अंतर्गत अपना अस्तित्व बनाये विकार रहित वह एक अनंत बना हुआ है और धर्म की स्थापना गौ, ब्राह्मण, संत, पृथ्वी तथा सनातन धर्म की रक्षा के लिए अपना प्रारूप लिया करता है और भगवान श्रीकृष्ण षोडश कला अवतारी हैं उनकी वाणी गीता जो सारे सद शस्त्रों का सार है और जो समाज और मानवता के लिए अनुकरणीय है। मौके पर रविन्द्र ब्रह्मचारी, प्रभात झा, तरुण सिंह, सुधीर सिंह सेठ जी, इन्द्रकांत झा, राम लक्ष्मण, रंजना कुमारी, ऋतुराज, पद्मनाभ, सत्यनन्द, अरविंद सिंह, संजयानंद, उमेशानंद सर्वमंगला मीडिया प्रभारी नीलमणि सहित अन्य उपस्थित थे।
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