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मनोरंजन :: 90 के दशक की याद दिलाएगी ‘बादशाहों’, गाने भी कर्णप्रिय

  डेस्क : इस साल की मोस्ट अवेटेड फिल्मों में से एक अजय देवगन स्टारर ‘बादशाहो’ बॉक्स ऑफिस पर रिलीज हो चुकी है। ‘वंस अपॉन ए टाइम’ और ‘डर्टी पिक्चर’ जैसी फ़िल्में बनाने वाले मिलन लुथरिया की फ़िल्म ‘बादशाहो’ का काफी समय से इंतजार था। मधुर भंडारकर की ‘इंदु सरकार’ के आने के बाद से यही चर्चा हो रही थी कि दोनों ही फ़िल्में इमरजेंसी पर हैं। लेकिन, निर्देशक मिलन लूथरिया की फ़िल्म ‘बादशाहो’ बिल्कुल अलग है। इसकी पृष्ठभूमि जरूर इमरजेंसी रखी गई है लेकिन, कहानी का सरोकार इमरजेंसी से कतई नहीं है। इस मल्टीस्टारर फिल्म में अजय देवगन, इमरान हाशमी, इलियाना डिक्रूज, संजय मिश्रा, विद्युत जामवाल और ईशा गुप्ता लीड रोल में हैं। इसके अलावा शरद केलकर पुलिस ऑफिसर के रोल में हैं। 

फिल्म की कहानी आपातकाल के दौरान की है। जब जयपुर की महारानी गीतांजलि (इलियाना डिक्रूज) के महल पर छापा पड़ता है और उनके खजाने में मौजूद सोने को सरकार सीज कर देती है क्योंकि उन्होंने बिना ब्यौरा दिए उसे महल में रखा हुआ था। सरकार इस सोने को एक ट्रक में भरकर रोड के जरिए दिल्ली भेजने का फैसला करती है। इस ऑपरेशन का इंचार्ज ऑफिसर सहर (विद्युत जामवाल) को बनाया जाता है। गीतांजलि अपने खास आदमी भवानी सिंह (अजय देवगन) को उन्हें रोकने के लिए भेजती है। खजाना जब सरकारी ट्रक में दिल्ली की ओर रवाना होता है उसे लूटने का प्लान बनाया जाता है और इस काम में उसका साथ देते हैं दलिया (इमरान हाशमी) गुरु जी (संजय मिश्रा) और संजना (ईशा गुप्ता)। क्या यह चारों खजाना लूट पाएंगे? क्या राजकुमारी के पास वह खजाना वापस पहुंचेगा? इसी ताने-बाने पर बुनी गई है फ़िल्म ‘बादशाहो’। इस सफर के दौरान बहुत सारे सीक्रेट सामने आते हैं। जिन्हें जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।

 ‘बादशाहो’ एक साधारण फ़िल्म है। फ़िल्म शुरू होते ही पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और इमरजेंसी के दौर के दृश्य सामने आते हैं जिसे देखकर लगता है कि शायद आप एक समझदार फ़िल्म देखने जा रहे हैं! मगर जैसे ही कहानी आगे बढ़ती है एक रेग्यूलर मसाला फ़िल्म की तरह ही नज़र आती है ‘बादशाहो’।

बावजूद इसके इंटरवल तक फ़िल्म आपको बांधे रखती है। लेकिन, इसके बाद शुरू होता है सारा गड़बड़झाला! यानी फ़िल्म कहीं के कहीं निकल जाती है ! क्लाइमेक्स पर आकर आप खुद को ठगा सा महसूस करते हैं! इतनी बड़ी समस्या का ऐसा समाधान लेखन विभाग की असफलता दिखाती है!

अजय देवगन ने शानदार परफॉर्मेंस दिया। इमरान हाशमी एक अलग ही अंदाज में नजर आते हैं! इलियाना डिक्रूज एक समर्थ अभिनेत्री हैं और उन्होंने दर्शकों को बांधे रखा है और इनके बीच ईशा गुप्ता भी एक अलग डायमेंशन दिखाती नजर आती है! हालांकि, विद्युत् जामवाल को इस तरह के किरदारों से बचना चाहिए! संजय मिश्रा का अभिनय सदाबहार है। मगर इन सभी एक्टर्स की मेहनत पर पानी फेर देता है स्क्रिप्ट डिपार्टमेंट। अगर स्क्रिप्ट पर मेहनत की जाती तो शायद ‘बादशाहो’ एक पूरी तरह से मनोरंजक फ़िल्म बन पाती। फ़िल्म के लेखक रजत अरोरा के साथ निर्देशक मिलन लूथरिया को थोड़ी और मेहनत की जरूरत थी।

बहरहाल, फ़िल्म की सिनेमेटोग्राफी सुनीता राडिया ने कमाल की की है! एडिटर आरिफ़ शेख को क्लाइमेक्स में और मेहनत करने की जरूरत थी। वह चाहते तो शायद फ़िल्म एक कंप्लीट फ़िल्म बन सकती थी। फ़िल्म के गाने ज़रूर कर्णप्रिय हैं।

फिल्म में आपको अजय और इलियाना की फ्रेश जोड़ी देखने को मिलेगी। सभी एक्टर्स ने बढ़िया काम किया है। फिल्म के एक्शन सीक्वेंस कमाल के हैं। ये फिल्म आपको 90 के दशक की याद दिलाएगी।

म्यूजिक…
फिल्म का म्यूजिक अंकित श्रीवास्तव ने दिया है। इसका रश्के कमर गाना पहले ही फेमस हो चुका है। फिल्म में सनी लियोनी का आइटम नंबर भी देखने को मिलेगा। कुलमिलाकर अगर आप वीकेंड पर एक थ्रिलर मूवी देखना चाहते हैं तो इस फिल्म को देखना मिस मत कीजिएगा।

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