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लखनऊ:माल पुलिस की सह पर क्षेत्र में जहर उगल रही अवैध शराब की भट्ठियां

रामकिशोर रावत

लखनऊ।आबकारी विभाग व पुलिस विभाग के रहमो करम पर माल इलाके के दर्जनों गांव में जहर उगल रही हैं कच्ची शराब की भट्ठियां। इस कारोबार में छोटे-छोटे बच्चे और बूढ़े भी पूरी तरह से संलिप्त होते देखे जा रहे हैं।गांवो में शराबियों का मेला लगा रहता है।शिकायत करने के बाद भी नहीं की जाती है कोई कार्यवाही। अगर पुलिस कभी कभार शराब बनाते हुए पकड़ भी लेती है तो थाने पर लाकर सुविधा शुल्क लेकर थाने पर ही छोड़ दिया जाता है।माल थाने की सौ मीटर की दूरी पर रामनगर गांव में हजारों लीटर प्रतिदिन शराब बेची जाती है। माल इलाके के केडौरा बाजार गांव वीरपुर कैथन खेड़ा आबिद नगर चक सैदापुर गौरैया रायपुर मसीढा पीरनगर आऊमाऊ थावर गोपरमऊ सहित इलाके के दर्जनों गांव में अवैध कच्ची शराब की भट्ठियां धंधाकते हुए किसी भी समय देखा जा सकता है। इस कच्ची शराब को बनाते समय इसमें नीम की पत्तियां वह दुधारू पशुओं को लगाने वाला इंजेक्शन निरमा यूरिया ईस्ट गुड का मिश्रण करके अवैध कच्ची शराब को तैयार किया जाता है। जिसके बाद पालीथीन में भरकर ₹20 पाउच व ₹80 प्रति बोतल के हिसाब से बेची जाती है सबसे बड़ी बात तो यह है कि माल पुलिस के नाक के नीचे सौ मीटर की दूरी पर स्थित रामनगर गांव में हजारों बोतल कच्ची शराब बेची जाती है यहां तक पड़ोस के जनपद उन्नाव हरदोई सीतापुर में सैकड़ों बोतल कच्ची शराब बिक्री की जाती है नमूने के तौर पर रामनगर गांव में शाम होते ही शराबियों का मेला लगा रहता है जिनको किसी भी समय घरों से लेकर गलियारों व बागों में किसी भी समय शराब पीते व शराबियों को बेचते देखा जा सकता है यहां तक कि आबकारी विभाग के अधिकारी तो जानबूझकर अनजान बने रहते हैं। वही ग्रामीणों के शिकायत करने के बाद भी शराब बनाने वाले के विरुद्ध नहीं की जाती है कोई कार्यवाही।कभी-कभार अगर पुलिस शराबियों को शराब बनाते हुए पकड़ भी लेती है तो दलालों के माध्यम से मोटी रकम लेकर थाने से ही छोड़ दिया जाता है। पैसा ना देने पर उनके विरोध की जाती है कार्यवाही। इस व्यवसाय में जिन बच्चों के हाथों में कलम व कापी होनी चाहिए उन बच्चों के हाथों में शराब भरी पॉलिथीन किसी भी समय देखा जा सकता है।यहां तक कि यह गांव पूरी तरह से शराब के नाम पर चर्चित है जिसके बाद भी यहां पर शराब बंद होने का नाम ही नहीं है। इस कच्ची शराब को विक्रय करने के लिए सुबह स्कूल जाते समय बैग में भरकर कच्ची शराब को ले जाया जाता है। जबकि इसी अवैध कच्ची शराब को पीने से मलिहाबाद के दतली गांव में लगभग 52 की मौत हो चुकी है कोई बड़ी घटना होने के बाद पुलिस और आबकारी विभाग के जिम्मेदार अधिकारी इस तरह से अभियान चलाकर छापेमारी करते हैं कि ऐसा लगता है कि अब यह कच्ची शराब को पूरी तरह से बंद करा देंगे लेकिन 1 माह बीत जाने के बाद फिर इनको दोबारा जाने की फुर्सत ही नहीं मिलती है अगर समय रहते इस व्यवसाय को बंद न कराया गया तो किसी दिन कोई बड़ी घटना घट सकती है और जिम्मेदार जानबूझकर अनजान बन रहे हैं।

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