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1965 युद्ध का वो जांवज योद्धा जिसकी वीरता सुन गर्व से चौरा हो जाता है हर हिन्दुस्तानी का सीना

बिहार/पटना: (संजय कुमार मुनचुन)-
वीर अब्दुल हमीद ने1965 की लड़ाई में अकेले ही खाक कर दिये पाक के 9 टैंक

उत्तर प्रदेश जिला गाजीपुर गांव धामपुर साधारण से दर्जी परिवार के घर जन्मा एक बालक जिसने जवानी आते ही खुद को भारत की आन बान शान के लिए खुद को सेना के लिए समर्पित कर दिया। पिता लांस नायक उस्मान फारुखी भी ग्रेनेडियर में जवान थे। पिता से प्रेरणा मिली तो खुद भी कूद गए लड़ाई के मैदान में वीर अबदुल हमीद ने पाकिस्तान से सन् 1965 में हुई लड़ाई में 8 सितंबर की रात में पाकिस्तान द्वारा भारत पर हमला करने पर हमले का जवाव देने के लिए सबसे आगे खड़े हो गए।
उस रात वीर अब्दुल हमीद पंजाब के तरन तारन जिले के खेमकरण सेक्टर में सेना की अग्रिम पंक्ति में तैनात थे तभी पाकिस्तान ने अपराजेय माने जाने वाले अमेरिकन पैटन टैंकों के साथ खेम करन सेक्टर के असल उताड़ गांव पर हमला कर दिया। यह हमला इतना शक्तिशाली था कि पहले तो भारत के जवानों को संभलने का मौका नहीं मिला लेकिन जैसे ही वीर अब्दुल हमीद मोर्चे पर आए पाकिस्तानी सैनिकों के छक्के छूट गए।
हालांकि भारतीय सैनिकों के पास न तो टैंक थे और नहीं बड़े हथियार लेकिन उनके पास था भारत माता की रक्षा के लिए लड़ते हुए मर जाने का हौसला। इसी हौंसले के साथ भारतीय सैनिकों ने थ्री नॉट थ्री रायफल और एलएमजी के साथ पैटन टैंकों का सामना करने लगे वहीं वीर अब्दुल हमीद के पास सिर्प एक गन माउनटेड जीप थी जो पैटन टैंकों के सामने कुछ भी नहीं थी जैसे हाथी के सामने चींटी हो। लेकिन उसी चींटी ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए दुष्मनों की नाक में घुस कर उनको ही गिरा दिया।
वीर अब्दुल हमीद ने अपनी जीप में बैठ कर अपनी गन से पैटन टैंकों के कमजोर पार्टस पर सटीक निशाना साधते हुए एक-एक कर सभी टैंक ध्वस्त कर दिए। वीर अब्दुल हमीद जैसे जैसे आगे बढ़ते गए वैसे-वैस अन्य सैनिकों का भी हौसला बढ़ता गया जिसके बाद तो मानो पाकिस्तान ने सैनिक ने भूत देख लिया हो। पाक सेना उल्टे पांव भागने लगी इसके बाद अब्दुर हमीद ने 9 पाकिस्तानी पैटन टैंकों को नष्ट कर दिया।
इसी बीच पाकिस्तानियों का पीछा करते वीर अब्दुल हमीद की जीप पर एक बम का गोला गिर गया जिससे वे बुरी तरह जख्मी हो गए। अगले दिन 9 सितम्बर को उनका स्वर्गवास हो गया। लेकिन उनके स्वर्ग सिधारने की आधिकारिक घोषणा 10 सितम्बर को की गई। देश को अपने वीर सपूत पर हमेशा नाज रहेगा।

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