गया : इमामगंज के थानाध्यक्ष क्यामुद्दीन अंसारी की हत्या से पूरे गांव में सन्नाटा छा गया। एक ओर जहां पुलिस जांच में जुटी है, वहीं उनकी शहादत की सूचना के बाद से पूरे गांव में उदासी का आलम छा गया है। क्यामुद्दीन के घर पर भीड़ उमड़ने लगी है। क्यामुद्दीन अंसारी यूं तो देव प्रखंड के अदरी गांव के निवासी थे लेकिन वह और उनका परिवार लंबे अरसे से शहर के मिनी बिगहा इलाके में आवास बनाकर रह रहे थे।
क्यामुद्दीन की बड़े भाई की पत्नी जुलेखा नईम देव प्रखंड की बांसडीहा पंचायत की मुखिया हैं। खुद क्यामुद्दीन अंसारी की पत्नी अंजुम आरा दाउदनगर के उर्दू प्राथमिक स्कूल में सरकारी टीचर हैं। क्यामुद्दीन भी पहले सरकारी टीचर थे पर बाद में उनकी नौकरी पुलिस विभाग में हो गई। उनके चार बच्चों में तीन बेटियां हैं जिनमें सबसे बड़ी गुलाफ्सा इंटर में पढ़ती हैं। गुलाफ्सा और उनकी छोटी बहन आलिशा दिल्ली में रहकर पढ़ाई करती हैं वहीं तीसरी बेटी सानिया और सबसे छोटा बेटा आवेश औरंगाबाद में रहकर पढ़ाई करता है। आवेश की उम्र 7 वर्ष है।
क्यामुद्दीन की शहादत की सूचना जैसे ही उनके परिवार को मिली, पूरे घर में मातम छा गया और घर के तमाम पुरुष सदस्य गया की ओर दौड़ पड़े। शहीद थानाध्यक्ष की पत्नी की हालत खराब है और वह रह-रह कर बेहोश हो जा रही हैं।शहादत की सूचना मिलते ही शहर के तमाम लोग क्यामुद्दीन के परिजनों को ढाढस बधाने उनके घर आ जुटे। वार्ड सदस्य इरफान अंसारी, क्यामुद्दीन के साढू शकील अहमद तथा अन्य पड़ोसियों का का कहना है कि क्यामुद्दीन बेहद मिलनसार व्यक्ति थे और इसकी वजह से वह पूरे शहर के चहेते थे।
गौरतलब है कि सोमवार सुबह क्यामुद्दीन मॉर्निंग वॉक पर निकले थे और तभी इस घटना को अंजाम दिया गया। पुलिस ने बताया कि आरोपी मोटर साइकिल पर आए और कई गोलियां दागी। अंसारी की मौके पर ही मौत हो गई। इमामगंज के डीएसपी नंद किशोर घटनास्थल पहुंच गए हैं। पुलिस मामले की जांच में जुट गई है।
प्राथमिक जांच से पता चला है कि स्थानीय गिरोह ने ही इस घटना को अंजाम दिया है। हालांकि इस हत्या में नक्सलियों का हाथ नहीं है। बताया जा रहा है की एक साल पहले कोठी के थाना प्रभारी बनने के बाद इन्होंने लोकल अपराधी गिरोह पर नकेल कसना शुरू कर दिया था, जिससे ये अपराधी बहुत ही परेशान हो गए थे।