डेस्क : भौतिक विज्ञान की परिभाषाओं, सूत्रों, सवालों व नियमों को आसानी से समझाने की बात आती है तो आइआइटी कानपुर के पूर्व प्रोफेसर हरिश्चंद्र वर्मा का नाम खुद ब खुद जुबां पर आ जाता है।
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भौतिकी को उन्होंने इतना सरल करके दिखाया है कि कोई भी छात्र उनके बताए हुए तरीके से बड़ी से बड़ी परिभाषा व सूत्र तैयार कर सकता है। इंजीनियरिंग छात्रों से लेकर स्कूली बच्चों तक भौतिक विज्ञान के ज्ञान का प्रकाश फैलाने के लिए उन्हें पद्मश्री मिल चुका है। सेवानिवृत्त होने के बाद वह आइआइटी में एडजेंट फैकल्टी के रूप में भौतिकविद् प्रो. वर्मा अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
जहां कभी भौतिक विज्ञान का नाम सुनते ही छात्रों के पसीने छूटने लगते थे आज वह विषय आइआइटी के पूर्व प्रोफेसर हरिश्चंद्र वर्मा ने उनके लिए बेहद आसान बना दिया है। लकड़ी, कागज, दफ्ती व रस्सी जैसी रोजमर्रा की चीजों से उन्होंने ऐसी दिलचस्प बनाई हैं जो छात्रों को खेल-खेल में भौतिकी सिखा रहे हैं। छात्रों के लिए उन्होंने 45 वीडियो लेक्चर बनाए हैं। उनके छह सौ से अधिक भौतिक विज्ञान के ऐसे परीक्षण हैं जिनके जरिए शिक्षक अपनी कक्षा में छात्रों को बड़ी आसानी से पढ़ा सकते हैं।
शायद ही कोई छात्र हो जो प्रो. वर्मा की ‘कॉन्सेप्ट ऑफ फिजिक्स’ के बारे में न जानता हो। उन्होंने स्कूली छात्रों के दिलों से भौतिक विज्ञान का डर निकालने के लिए कई छोटे छोटे परीक्षण करने बाद ऐसे मॉडल बनाए हैं जिनसे छात्र खेल खेल में भौतिकी सीख सकते हैं। उनकी किताबें दुनिया भर में पढ़ी जाती हैं। उन्होंने स्कूल, कॉलेज व इंडस्ट्री में काम करने वालों के लिए ऑनलाइन कोर्स तैयार किया जिसमें यूएस, यूके, फ्रांस, जर्मनी व कनाडा समेत अन्य देशों के अभ्यर्थियों ने पंजीकरण कराया।
आइआइटी कानपुर से एमएससी करने वाले प्रो. हरिश्चंद्र वर्मा ने 1994 में असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर यहां ज्वाइन किया। उन्होंने यहां पर नैनो फैब्रिकेशन, न्यूक्लिअर फिजिक्स, नैनो साइज मैगनेटिक मेटीरियल के क्षेत्र में कई शोध किए हैं। पटना साइंस कॉलेज से आइआइटी में आने से पहले 1979 से 1994 तक उन्होंने साइंस कॉलेज पटना में लेक्चर के पद पर सेवाएं दीं।
आइआइटी कानपुर से एमएससी करने वाले प्रो. हरिश्चंद्र वर्मा ने 1994 में असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर यहां ज्वाइन किया। उन्होंने यहां पर नैनो फैब्रिकेशन, न्यूक्लिअर फिजिक्स, नैनो साइज मैगनेटिक मेटीरियल के क्षेत्र में कई शोध किए हैं। पटना साइंस कॉलेज से आइआइटी में आने से पहले 1979 से 1994 तक उन्होंने साइंस कॉलेज पटना में लेक्चर के पद पर सेवाएं दीं।
प्रो. वर्मा ने जरूरतमंद बच्चों को पढ़ाने व उन्हें स्कूल तक पहुंचाने के लिए शिक्षा सोपान कार्यक्रम शुरू किया। इस कार्यक्रम के जरिए उन्होंने ऐसे बच्चों के लिए छात्रवृत्ति की शुरुआत की जिसका लाभ कई बच्चे उठा चुके हैं।