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वायु प्रदुषण से दुनियाभर में होती है प्रतिवर्ष 70 लाख लोगों की अकाल मृत्यु , पर्यावरण संरक्षण का रखें ध्यान

picsart_11-06-06-50-31-240x240उ.स.डेस्क : वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की एक रिपोर्ट के अनुसार हर साल दुनिया भर में करीब 70 लाख लोग सिर्फ वायु प्रदूषण के चलते अकाल मौत मर रहे हैं। वायु प्रदूषण से दिल और सांस की बीमारियों के अलावा आपके दिमाग को गंभीर खतरा है। सितंबर महीने में  ब्रिटेन के लैंकेस्टर यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक रिसर्च के अनुसार वायु प्रदूषण से दिमाग भी प्रभावित होता है।

अभी तक वायु प्रदूषण के कारण दिल और सांस की बीमारी के बारे में पता था। इस रिसर्च के अनुसार दिमाग के नमूने में वायु प्रदूषकों के लाखों कण मिले, जिससे दिमाग को खतरा हो सकता है। इससे दिमाग के क्षतिग्रस्त होने की प्रबल आशंका है।

इस रिसर्च के अनुसार इंसानी दिमाग में पाये गये ज्यादातर मैग्नेटाइट, जो चुंबकीय आयरन ऑक्साइड का कंपाउंड होता है, वायु प्रदूषण की देन हैं। रिसर्च में कहा गया है कि सांस के माध्यम से शरीर में पहुंचने वाले प्रदूषण के कणों का बड़ा भाग तो श्वास की नली में जाता है लेकिन इसका एक छोटा हिस्सा नर्व फाइबर (स्नायु तंत्र) से होते हुए दिमाग में भी पहुंचता है। रिसर्च से पता चला कि मैग्नेटिक प्रदूषक कण दिमाग में पहुंचने वाली आवाजों और संकेतों को रोक सकते हैं, जिससे अल्जाइमर जैसी बीमारी हो सकती है। हालांकि अल्जाइमर के साथ इसके जुड़े होने की पुष्टि अभी पूरी तरह से नहीं हुई है।
WHO की एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के 80 फीसदी शहरी आबादी वाले इलाकों में एयर क्वालिटी स्वास्थ्य मानकों पर खरा नहीं उतरती है। कई सारे शोध यह कहते हैं कि वायु प्रदूषण के चलते हर साल लाखों समय अकाल मौत मरते हैं। इसके अलावा प्रेग्नेंट महिलाओं भी इससे प्रभावित होती है। एक रिसर्च के अनुसार अमेरिका में हर साल वायु प्रदूषण के चलते 16 हजार बच्चे समय से पहले ही पैदा होते हैं।

matricguruआपको बता दें कि वायु प्रदूषण के साथ सांस प्रणाली, दिल और दिमाग का दौरा जैसी बीमारियों की वजह से होने वाली बीमारियों का सीधा संबंध जुड़ा हुआ है। अत्यधिक प्रदूषण जिसमें पीएम 2.5 की अत्यधिक मात्रा हो उसके संपर्क में आने से डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है। इस बारे में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के मानद महासचिव पद्मश्री डा. के.के. अग्रवाल का कहना है कि थोड़े समय के लिए कार्बन मोनोआक्साईड, नाईट्रोजन डायऑक्साइड और सल्फर डाईऑक्साइड जैसे प्रदूषण कारकों के संपर्क में रहने से दिल के दौरे का खतरा बढ़ जाता है। यह खतरा 0.6 से लेकर 4.5 फीसदी तक आबादी को प्रभावित कर सकता है।
गौरतलब है कि पिछले 7 दिनों से देश की राजधानी दिल्ली गंभीर वायु प्रदूषण का सामना कर रही है.

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