2019 के लिए बड़ा दांव: बीजेपी निकाले या रखे, ओपी राजभर के लिए फायदेमंद
2019 के लिए बड़ा दांव: बीजेपी निकाले या रखे, ओपी राजभर के लिए फायदेमंद
राज प्रताप सिंह(उत्तर-प्रदेश राज्य प्रमुख)
लखनऊ।रमाबाई अंबेडकर मैदान में राजनीतिक रैलियां करने से बड़ी पार्टियां भी परहेज करती हैं, कारण मैदान इतना बड़ा है कि यहां भारी भीड़ जुटाना हमेशा बड़ी चुनौती रहता है। ऐसे मैदान में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी की महारैली कर मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने 2019 के नजरिए से राजनीति का बड़ा दांव चला है। भाजपा द्वारा लिए जाने वाले सकारात्मक अथवा नकारात्मक फैसलों को भुनाने का मौका अब राजभर के पास रहेगा।
प्रदेश में एनडीए का हिस्सा रहते हुए प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर अब तक भाजपा नेतृत्व पर हल्के-फुल्के वार करते रहे हैं। शनिवार की महारैली में प्रदेश के मुख्यमंत्री, भाजपा अध्यक्ष तथा अन्य नेताओं पर खुला हमला करने के बाद भी इस्तीफा ना देकर राजभर ने आगे क्या करना है यह भाजपा पर छोड़ दिया है। वार करने के दौरान उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें कुर्बानी मंजूर है। अब भाजपा यदि 2019 चुनाव तक उन्हें साथ रखती है तो लोकसभा की एक-दो सीटें देने का दबाव बनाने की स्थिति में राजभर रहेंगे। वहीं यदि भाजपा उन्हें गठबंधन से बाहर करती है तो सपा, बसपा, कांग्रेस के साथ गठबंधन करते हुए ज्यादा सीटों पर दावा करने की स्थिति में रह सकते हैं।
भाजपा की मौजूदा स्थिति को देखते हुए किए हमले
राजभर द्वारा भाजपा की नीति, रीति और सिद्धांतों पर हमला बोलने के राजनीतिक हल्के में अलग अलग मायने निकाले जा रहे हैं। माना यह जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में सपा, बसपा, कांग्रेस के संभावित महागठबंधन को देखते हुए भाजपा अपने किसी भी सहयोगी को खोना नहीं चाहेगी। इसका अंदाजा राजभर को भी है। यही कारण है कि वह बार-बार कहते हैं कि भाजपा चाहे तो उन्हें गठबंधन से बाहर कर दे।
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मंच पर तीन पुश्तों के साथ थे राजभर
राजनीति में परिवारवाद कोई नई बात नहीं है। रमाबाई अंबेडकर मैदान के मंच पर मंत्री ओमप्रकाश तीन पुश्तों के साथ थे। उनके पिता 85 वर्षीय सन्नू राजभर, मां जीतना देवी, पत्नी तारामनी के साथ ही पुत्र अरविंद राजभर और अरुण राजभर उपस्थित थे। अरविंद पार्टी के प्रमुख महासचिव हैं तो अरुण महासचिव हैं।
रमाबाई मैदान में गूंजे वैदिक मंत्रोच्चार, हवन भी हुआ
शायद यह भी पहली बार ही हुआ कि रमाबाई अंबेडकर मैदान में राजनीतिक रैली के मंच से 40 मिनट तक वैदिक मंत्र गूंजे हों। मंत्री ने मंच पर कुर्सी संभालने से पूर्व महाराज सुहेलदेव की पूजा की। वैदिक मंत्र गूंजते रहे। हवन भी किया। शंखनाद भी होता रहा। राजभर मंच पर पहुंचे तो उनका स्वागत गदा, भगवदगीता देकर किया गया। खास यह रहा कि पूरे कार्यक्रम के दौरान राजभर ने सिर्फ एक बार विशाल माला में दिखे। इसके बाद कोई माला नहीं पहनी। नेता उन्हें सिर्फ एक फूल ही भेंट कर पा रहे थे।