राज प्रताप सिंह, लखनऊ ब्यूरो। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बुधवार को शिक्षकों के बीच गए तो खुद एक आदर्श शिक्षक के रूप में नज़र आए। उन्होंने शिक्षकों का आह्वान करते हुए कहा कि चुनौतियों का सामना करने की शिक्षा सिर्फ अध्यापक ही दे सकता है। यदि आज विश्वविद्यालयों में युवा अराजक हो रहा है, देश के टुकड़े करने की बात करता है तो उसकी शिक्षा पर प्रश्न खड़ा होता है। शिक्षक के काम पर सवाल खड़े होते हैं।
मुख्यमंत्री बुधवार को लखनऊ के डा. राम मनोहर लोहिया विवि में बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी व सीएसआर कॉन्क्लेव में शिक्षकों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि शिक्षक स्कूल जाएगा और अक्षर व अंकज्ञान करवाएगा तो बच्चा खुद ही पढ़ने लगेगा। शिक्षक को सिर्फ स्कूल तक ही सीमित नहीं होना चाहिए। अगर चाणक्य खुद को नालंदा विश्वविद्यालय तक ही सीमित कर देते तो उस कालखंड में वह भारत को दुनिया की एक महाशक्ति के रूप में स्थापित नहीं कर पाते। शिक्षक को समाज की चुनौती और आवश्यकता के अनुरूप खुद को तैयार करना चाहिए। उन्होंने शिक्षकों को जनगणना के काम से न भागने की सलाह देते हुए कहा कि जब आप जनगणना करेंगे तो जानेंगे कि आपके स्कूल में आने वाला बच्चा किन परिस्थितयों से आता है। उसके घर की दिक्कतें क्या हैं? तभी आप असली ज्ञान दे पाएंगे।
कार्यक्रम में ये भी हुआ
- प्रेरक प्रदेश बनाने की दिलाई गई शपथ
- चार वाहन, जागरूकता अभियान के लिए नुक्कड़ नाटक टीम को हरी झण्डी
- 350 केजीबीवी के उच्चीकरण के लिए 788 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले भवनों का शिलान्यास
- आधाशिला, ध्यानाकर्षण, शिक्षण संग्रह मॉड्यूल, ऑपरेशन कायाकल्प का तकनीकी मॉड्यूल का लोकार्पण
- समर्थ व शारदा तकनीकी प्रणाली की शुरुआत
- सीएसआर (कॉरपोरेट सोशल रिसपांसबिलिटी) के तहत प्रदेश के स्कूलों के लिए 114 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है। इसमें 109 कंपनियों से करार किया गया है।