Breaking News

मनोरंजन :: खौफनाक मंजर के बीच अमर प्रेम, मैथिली फ़िल्म ‘लव यू दुलहिन’ सच्ची घटना पर है आधारित

डेस्क : 18 अगस्त 2008 को कोसी ने अपनी सीमाएं लांघ दी थी और जो तस्वीर बदली वो इतिहास के काले पन्ने में समा गया। दिशाहीन भागमभाग, अफरा-तफरी, सबकुछ अनिश्चित, सबकुछ अनियंत्रित फिर भी जिन्दगी जीत लेने की अथक कोशिश। यही सच था जब कुसहा में कोसी ने लांघ दी थी सारी मर्यादा और उत्तर बिहार के एक बड़े हिस्से में मचा दी थी तबाही। कोसी के कहर को देखते हैं तो बकायदा अपनी जमीन पर मर भी नहीं सके लोग।

कुशहा त्रासदी के उस खौफनाक मंजर के बीच अमर प्रेम को भावुक तरीकें से पर्दे पर उतार रहे हैं मनोज श्रीपति। मनोज श्रीपति की आने वाली मैथिली फ़िल्म ‘लव यू दुलहिन’ इसी घटना के पृष्टभूमि पर बनी है।  श्री राम जानकी फिल्म्स के बैनर तले बन रही इस फ़िल्म के निर्माता बिष्णु पाठक और रजनी कान्त है । मैथिली भाषा मे बन रही इस फ़िल्म के निर्देशक मनोज श्रीपति है । 

मनोज श्रीपति कोशी कमिश्नरी के रहने वाले है। उन्होंने कुशहा त्रास्दी को करीब से देखा है। निर्देशक मनोज ने बताया कि त्रासदी में सहरसा, मधेपुरा, सुपौल, पूर्णिया, अररिया, कटिहार व किशनगंज में भारी तबाही मची थी. सैकड़ों लोग कोसी की बलि चढ़ गये थे। आने-जाने के सारे रास्ते कट गये थे। मनोज के गांव व आसपास के इलाके भी नदी में तब्दील हो गये थे. उन्होंने अपनी नंगी आंखों से उस तबाही को देखा व झेला था। हर एक परिवार एक-दूसरे की ओर मदद भरी निगाह से देखते थे। लोग पानी से बाहर निकलना भी चाहते थे और घर के सामान सहित मवेशियों को भी बचाना चाहते थे। भीषण बाढ़ ने छोटे-बड़े, ऊंच-नीच, अमीर-गरीब सबके बीच के फर्क को मिटा दिया था। लोगों के बचाव के लिए सेना को बुलाया गया था। सरकार ने मेगा कैंप लगा बाढ़ पीड़ितों की भरपूर सेवा की थी।   फिल्म ‘लव यू दुल्हिन’ में बाढ़ से मार्ग के टूटने व परिवार के टूटने के दर्द को फिल्माया गया है। निर्देशक मनोज श्रीपति ने बताया कि मैथिली में पहले भी फिल्में बनी हैं। लेकिन, राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलने में सफलता नहीं मिली. इसी प्रयास में इस फिल्म का निर्माण हुआ है।  उन्होंने बताया कि फिल्म की शूटिंग बेगूसराय, बखरी, सिमरिया घाट, चिल्का झील में हुई है. यह पूरे परिवार के साथ देखने योग्य है। फिल्म में बिहार की संस्कृति व संस्कार को भी दिखाया गया है।
भोजपुरी फ़िल्म के चर्चित निर्देशक श्री मनोज श्रीपति के निर्देशन में बनी इस फ़िल्म में मिथिला के सुप्रसिद्ध गायक विकास झा ने एवम सुर संग्राम विजेता आलोक ने अभिनय किया है ,जिन दोनो का बिहार में अपना बाजार है , जबकि नायिका प्रतिभा पांडे एवम इंनु श्री ने फ़िल्म को पूर्ण ग्लैमरस बना दिया है।  फ़िल्म में सम्पूर्ण बिहार के सबसे लोकप्रिय संगीतकार धनंजय मिश्रा ने संगीत दिया है जिनके नाम सैकड़ो हीट गीत है, जबकि कई गायकों को अपने गीत से स्थापित कर चुके गीतकार सुधीर कुमार एवं विक्की ने फ़िल्म में गीत लिखा है, कल्पना , इंदु सोनाली ,विकास झा, देवानन्द झा, आलोक के स्वर फ़िल्म के म्यूजिकल हिट की गारन्टी देती है, 

वंही अमित कश्यप, विजय मिश्र, भूमिपाल राय, शुभनारायन झा ,संजय सिंह सारथी का अभिनय फ़िल्म के कई डायलॉग को सदा के लिये अमर करने का दम रखती हैं,। टेक्निकली साउंड , म्यूजिकल मस्त, सवेंदनात्मक पटकथा एवं सुच्चा अभिनय इस फ़िल्म के संग मैथिली फ़िल्म का बाज़ार तैयार करने में सामर्थवान दिखती है। 

रक्ततिलक से चर्चा में आये मनोज

मनोज श्रीपति पहली निर्देशित फिल्म रक्ततिलक थी। बलिप्रथा व बाल मनोविज्ञान पर बनी इस फिल्म की लगभग शूटिंग महिषी, कहरा और आसपास के इलाकों में हुई थी। इस फिल्म की देश के विभिन्न फेस्टिवलों में स्क्रीनिंग तो हुई ही, विदेशों में काफी प्रसिद्धी मिली थी. रक्ततिलक के थीम को पसंद कर इसे कई भाषाओं में डब किया गया था। इसके बाद मनोज श्रीपति ने भोजपुरी फिल्म ‘प्यार बिना चैन कहां रे’, ‘चुन्नी बाबू सिंगापुरी’, ‘कोठा’, उड़िया फिल्म ‘टाइगर’ को भी निर्देशित किया है। सभी फिल्म अपने भाषी क्षेत्रों में खूब धूम मचायी। मनोज श्रीपति ने फिल्म निर्देशक का कैरियर असिस्टेंट डायरेक्टर से शुरू किया। वे टीवी सीरियल करण अर्जुन, जिंदगीनामा के अलावे हिंदी फिल्म ‘इंसाफ द जस्टिस’, अंग्रेजी फिल्म ‘वन नाइट विद द किंग’, ‘द फॉल’ सहित कई फिल्मों में सहायक निर्देशक की भूमिका निभा चुके हैं। मनोज  मैथिली व हिंदी के साहित्यकार महिषी निवासी राजकमल चौधरी पर भी डाक्यूमेंट्री बना चुके हैं।  फेस्टिवल देख फिल्मों की ओर हुआ झुकाव सहरसा के धबौली पश्चिमी पंचायत के कहरा गांव निवासी मधुकांत झा के पुत्र मनोज श्रीपति की शिक्षा महिषी के उग्रतारा मध्य विद्यालय से शुरू हुई। जिला स्कूल से मैट्रिक पास करने के बाद श्रीपति पटना साइंस कॉलेज से आइएससी फिर पटना विश्वविद्यालय से ही अर्थशास्त्र में स्नातक की डिग्री ली। पत्रकारिता में अपना कैरियर बनाने के उद्देश्य से इन्होंने जेएनयू में मास कॉम में नामांकन लिया। लेकिन, इसी बीच दिल्ली में आयोजित नेशनल फिल्म फेस्टिवल में शरीक हुए। फेस्टिवल में मनोज ने कई फिल्में देखी और उनका मन फिल्मी दुनिया की ओर मुड़ गया। जामिया से ही एमसीआरसी का कोर्स पूरा कर मनोज ने फिल्म निर्देशन को ही अपना कैरियर बना लिया। 

गौरतलब है कि विश्व की मधुरतम भाषाओं में से एक,अति प्राचीन एवं समृद्ध साहित्य के संग जनक नंदनी भगवती सीता की भाषा मैथिली,समूचे उत्तर बिहार के संग नेपाल की द्वितीय भाषा है। कुल 6 करोड़ से अधिक भाषा -भाषियों की इस बोली का अपना माधुर्य एवं भाषाई चमत्कार है जो किसी को भी अपनी और आकृष्ट करने में पूर्ण सामर्थ्यवान है। जहाँ सुबह और शाम ,दोनो संगीत की दो पृथक पृथक शैलियों के संग पूर्ण होती है। वैज्ञानिक कसौटियों पर खड़ी उतरती यँहा के लोक पर्व एवं परम्परा वर्तमान को कई अनुसंधान हेतु जमीन प्रदान करने में सक्ष्म है। ये इस भाषा का चमत्कार ही है जो भगवान शिव के उगना रूप में विद्यापति के यँहा नोकर के रूप में काम करने की कथा लोक कथाओं के माध्यम से सुनाती है, ।विद्यापति – नागार्जुन, लोरिक ,अयाची , मंडन मिश्र, वाचस्पतिमिश्र आदि सेकड़ो नायक यँहा विभिन्न कथाओं पर फ़िल्म की पटकथा सुलभ करते हैं , लेकिन श्री राम जानकी फिल्म ने अतीत के गीत से महत्वपूर्ण वर्तमान की चुनौती को ध्याम में रखते हुए , सम्पूर्ण मिथिला की मूल समस्या ,बाढ़ पर समाज एवम सरकार का ध्यान आकृष्ट करने को प्राथमिकता दी।

Check Also

तेजाब पिलाकर युवक की हत्या, पेट फटकर आंत बाहर शव मिलने से सनसनी

डेस्क। दरभंगा जिले के कमतौल थाना क्षेत्र में हरिहरपुर से कनौर जानेवाली सड़क पर मो …

700 करोड़ का शराब घोटाला, उत्पाद विभाग का पूर्व सचिव बिहार से गिरफ्तार

  डेस्क। छत्तीसगढ़ पुलिस और बिहार पुलिस की एक संयुक्त टीम ने गुरुवार देर रात …

अब बिहार के 70 हजार सरकारी स्कूलों के बदलेंगे नाम, शिक्षा विभाग की बड़ी तैयारी

  डेस्क। बिहार में शिक्षा विभाग ने 70 हजार सरकारी स्कूलों का नाम बदलने की …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *