लखनऊ:एक महीने में आधा दर्जन से अधिक चोरियां,माल पुलिस नतमस्तक
रामकिशोर रावत
माल,लखनऊ।माल इलाके में आज्ञात चोरों द्वारा 1 माह के अंदर आधा दर्जन से अधिक चोरियों को अंजाम दिया जा चुका है लेकिन पुलिस चोरों के आगे नतमस्तक साबित होती देखी जा रही है जिससे ग्रामीण दहशत में जीने को मजबूर हैं और पुलिस के कार्य शैली से काफी आक्रोश व्याप्त है बेखौफ चोरों ने अलग अलग गाँवो में एक घर सहित फार्म हाउस व वहाँ रखे विद्युत ट्रांसफार्मर को अपना निशाना बनाते हुये हजारो की सहित लाखो के जेवर पार लगा दिये। पुलिस के सामने एक चुनौती फिर से खड़ी कर दी है पीड़ित किसानों ने पुलिस को तहरीर दी है। माल पुलिस तहरीर लेने के अलावा चोरी का मुकदमा पंजीकृत जरूरत ही नहीं समझती है।
माल इलाके मे गत सोमवार को दिघारा गाँव निवासी किसान अब्दुल रजा के घर की पिछली दीवार में चोर नकब लगाकर घर मे दाखिल हो गये। कमरे का ताला तोड़कर बक्से व आलमारी को खंगाल उसमे रखे लगभग डेढ़ लाख रुपये कीमत के जेवर ,कीमती कपड़े सहित पांच हजार की नकदी समेट कर फुर्र हो गये। घटना के घर के सभी सदस्य छतपर सो रहे थे । सुबह घर की सफाई कर रही महिलाओं ने कमरे टूटा ताला बिखरा समान देख उनके होश उड़ गये।
पीड़ित किसान के अनुसार चोर लगभग डेढ़ लाख कीमत के जेवर ,कपड़े व पांच हजार चुरा ले गये । वही मसीढ़ा. निवासी किसान शेखर सिंह के फार्म हाउस को निशाना बना डाला। चोर फार्म हाउस का ताला तोड़ कमरे में घुस गये जहाँ बक्से में खाद व मजदूरों को देने के लिए रखे पच्चास हजार रुपये व वही रखा 25 केवीए के विद्युत फ्रान्सफार्मर को तोड़ उसमे लगा कीमती सामान व उसका ऑयल निकाल ले गये। पीड़ित किसान ने गाँव ही चार लोगों को नामजद करते हुए पुलिस को तहरीर सौपी है।
बताते चले पिछले दिनों सैदापुर स्थित बैंक आफ इंडिया सहित माल इलाके में आधा दर्जन से अधिक चोरियों को अज्ञात चोरों द्वारा अंजाम दिया जा चुका है लेकिन माल पुलिस को चोरों की भनक तक नहीं लग रही है और वही पुलिस यह भी राग अलाप रही है कि रात में सारी रात गश्त भी करती रहती है जिसके बाद भी चोरों को किसी भी प्रकार का डर नहीं लगता है। और पुलिस पिकेट की 60 मीटर की दूरी पर ही चोरियों को अंजाम दे दिया जाता है
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पीड़ित द्वारा अज्ञात चोरों के विरुद्ध व नामजद चोरों के विरुद्ध थाने पर तहरीर दी जाती है लेकिन माल पुलिस जांच करने के नाम पर मामले को टरका दिया जाता है और माल पुलिस किसी भी चोरी के मामले में मुकदमा पंजीकृत करने की जरूरत नहीं समझती है और वहीं पीड़ित न्याय के लिए तहरीर लेकर थाने के चक्कर काटते नजर आते हैं कुछ दिन बीत जाने के बाद मामला पुराना होने का कह कर मामले को टाल दिया जाता है।
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