डेस्क : पति की लंबी आयु की कामना को लेकर सुहागिन महिलाओं ने शुक्रवार को व्रत रखा और वट सावित्री की पूजा-अर्चना की। महिलाओं ने उपवास कर इस सुहाग पर्व को पूरे उत्साह के साथ मनाया। विवाहिता महिलाओं ने व्रत में अखंड सौभाग्यवती रहने की मंगल कामना की और परिवार के सुख-शांति और समृद्धि की मन्नते मांगी।

नव विवाहित महिलाएं सुंदर रंग बिरंगे वस्त्र एवं सोलह श्रृंगारों से युक्त हो बांस की टोकड़ी, पंखे, फुले चने, मौली, मौसमी फल आम लीची आदि के साथ वट वृक्ष के समीप पहुंची। उपस्थित सभी महिलाओं ने वट वृक्ष में जल अर्पण कर पुष्प, धूप, दीप, नेवैद्य आदि से पूजन किया।

साथ लाए कच्चे धागों को वट वृक्ष में लपेटते हुए परिक्रमा की। वट वृक्ष के विधिवत पूजन व परिक्रमा उपरांत महिलाओं ने वृक्ष को पंखा झेली और वट सावित्री व्रत के कथा का श्रवण किया।
त्यौहार को लेकर सुहागिन महिलाएं उत्साहीत दिखी। विवाहिता महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए हर साल जेष्ठ माह के अमावस्या के दिन वट सावित्री व्रत रखती है।

वट सावित्री पूजा करने वाली व्रती श्रीमती प्रिया ने बताया कि आज के दिन सुहागिनों के लिये विशेष दिन होता है। आज ही के दिन पति की लम्बी उम्र के लिए निर्जला व्रत रख कर सावित्री ने अपने पति सत्यवान के प्राण को यमराज से वापस पाने में सफल हुई थी। इस लिए आज के दिन वट वृक्ष की महत्ता को ध्यान में रख सुहागिन महिलाएं वट वृक्ष की पूजा अर्चना करती हैं।
मान्यता है कि वट वृक्ष में तीनों देवताओं, ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है। जेष्ठ मास अमावस्या के दिन माता सती सावित्री ने कठोर व्रत-पूजन से अपने पति सत्यवान को यमराज से जीवन दान प्राप्त किया था।

पौराणिक कथाओं में सावित्री को श्रेष्ठ स्थान प्राप्त है। इस व्रत को करने वाली महिलाएं सावित्री के समान अपने पति के दीर्घायु जीवन के लिए ईश्वर से कामना करती है, ताकि उनके पति को समृद्धि और सुस्वाथ्य के साथ लंबा जीवन प्राप्त हो।

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