उ.स. डेस्क: बिहार रेजिमेंट सेंटर का भारतीय थल सेना में नामांकरण वैसे तो बहुत ही नवीन है. फिर भी इतिहास में जब से सिंकदर महान ने भारत पर आक्रमण किया. तब से इसका नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित है. इस रेजिमेंट के रण बांकुरे जवान उसी प्राचीन मगध साम्राज्य से संबंधित है. जिसका नाम सुनकर महान से महान योद्धा भी थर्रा उठते थे. बिहारियों ने हमेशा ही जननी जन्मभूमि की बलि वेदी पर अपना शीर्ष अर्पण किया है. मातृभूमि को दासता और गुलामी की जंजीरों से मुक्त कराने वालों में इन्होंने अपना नाम अपने रक्त से लिखा है.
1857 के स्वतंत्रता के प्रथम संग्राम में जगदीशपुर के बाबू कुंवर सिंह के साथ, 1899 में आदिवासी अंचल में बिरसा मुंडा के साथ इन बिहारियों ने अपने रक्त की नदी बहा कर ब्रिटिश राज्य के दासता की जंजीर को एक बार तोड़कर फेंक दिया था. रेजिमेंट के सभी बटालियनों के गौरवपूर्ण कार्यों के फलस्वरूप आज भारतीय सेना में रेजिमेंट का नाम सभी क्षेत्र में बहुत उंचा है, चाहे युद्ध का क्षेत्र हो या खेल का मैदान. द्वितीय विश्व युद्ध् के दौरान रेजिमेंट के प्रथम बिहार बटालियन के जवानों ने वर्मा की लड़ाई में सक्रिय रूप से भाग लिया और उन्होंने हाका और गैंगा नामक स्थानों पर विजय प्राप्त किया था.
इस साहसपूर्ण कामयाबी पर यूनिट को बैटल ऑनर हाका और गैंगा से सम्मानित किया गया है. आजादी के समय से रेजिमेंट ने हैदराबाद पुलिस कार्यवाही बड़े जोरदार ढंग से किया था. गुजरात की कार्यवाही जिसमें पश्चिमी पाकिस्तान से शारणर्थियों को बाहर निकाल गया था और गोवा की मुक्ति ऑपरेशन में भी रेजिमेंट के जवानों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था. रेजिमेंट के जवानों ने चीन का 1962 का आक्रमण, भारत-पाक की 1965 का युद्ध्, 1971 का भारत -पाक युद्ध् के दौरान रेजिमेंट के 10 बिहार बटालियन के जवानों ने साहसपू्र्ण कार्य पर यूनिट को थिएटर ऑनर अखौड़ा से सम्मानित किया गया है. इतना ही नही ऑपरेशन विजय में प्रथम बिहार बटालियन ने पाकिस्तानी सैनिकों के छक्के छुड़ा ते हुए जुबार हिल व थारू पर कब्जा किया.
इस साहसिक कामयाबी पर यूनिट को बैटल ऑनर बटालिक व थिएटर ऑनर कारगिल से सम्मानित किया गया है और श्रीलंका में ऑपरेशन में वीरतापूर्व क दुश्मनों से लड़ाई लड़ी थी. रेजिमेंट ने देश के उत्तरी-पूर्वी भाग और जम्मू -कश्मीर में आंतकवाद से लड़ाई लड़ने में सक्रिय रूप से भाग लिया है. रेजिमेंट का 21 बटालियन, चार आरआर बटालियन व दो इंफैंट्री बटालियन है. मालूम हो कि 1962 के चीन आक्रमण के बाद रेजिमेंट का 6 बिहार बटालियन का 1 अक्टूबर 1963 को दानापुर में मेजर रामचंद्र के नेतृत्व में 6 बिहार बटालियन का जन्म हुआ था.