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उ०प्र० :: विकासखंड चकरनगर की ग्राम पंचायत गौहानी के विकास कार्यों में धांधली का मामला आया सामने !

चकरनगर(इटावा)रिपोर्टर डॉ एस बी एस चौहान

विकासखंड चकरनगर की ग्राम पंचायत गौहानी के विकास कार्यों में धांधली का मामला सामने आया है। ग्राम पंचायत में बन रहे शौचालय निर्माण कार्य में बड़े पैमाने पर गुणवत्ता में कमी देखने को मिली है जहां एक ओर जिलाधिकारी महोदय इटावा श्रीमती सेल्वा कुमारी जे शौचालय निर्माण कार्य में गुणवत्ता के मद्देनजर किसी भी कमी को बर्दाश्त करना स्वीकार नहीं कर रही है तो भी वही ग्राम पंचायत के अधिकारी वह ग्राम प्रधान की मिलीभगत से शौचालय में तीसरे नंबर की या खड़ंजा मिक्चर ईंट तथा फ्री में प्राप्त यमुना का रेत लगाया जा रहा है ग्रामीणों द्वारा इस बात का विरोध किया जाता है तो ग्रामीणों को संबंधित ग्राम प्रधान प्रतिनिधि ने शौचालय न देने की धमकी दे डाली। विगत दिवस मीडिया कर्मियों ने ग्राम सभा गौहानी में निर्माणाधीन शौचालयों का निरीक्षण किया तो तरह-तरह की शिकायतें प्राप्त हुई इन शिकायतों को दबाने के लिए राजनीतिक लोग आपनी जोर आजमाइश लगाऐ हुए हैं निर्माणाधीन शौचालय के लिए पास में बह रही यमुना नदी से लाभार्थी साइकलों द्वारा या सर पर बोरी रखकर रेत ढोते देखे जा सकते हैं। उसके बाद कार्य संपादित होता है। ईंट तेइम नंबर या फिर खडंजा मिक्सर उपलब्ध कराई जा रही है जो खडंजा वाली है वह इतनी आड़ी-तिरछी है कि लगाने में मिस्त्री को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। खड़ंजा वाली ईंट के बारे में लोगों का कहना है कि यह सीमेंट को भी नहीं पकड़ती है लेकिन किसी तरीके से कोरम पूरा कर पैसा हड़पने की नियत से यह सब कुछ उल जलूल किया जा रहा है शिकायतों के बावजूद भी इन कार्यों का न तो निरीक्षण हो रहा है और नहीं कार्य में लिप्त कर्मचारियों अधिकारियों को दिशा निर्देशित किया जा रहा है। लैट्रिन /शौचालय के निर्माण कार्य में कमियों का जखीरा और भी है शौचालय का जो टैंक खोदा जाता है वह उपभोक्ता खुद ही दो की जगह सिर्फ एक ही खोद कर अपना काम चला रहा है क्योंकि उपभोक्ता को लालच दे दिया जाता है कि जो ईंट बच जाएगी अपने किसी काम में ले लेना। दिए जाने वाली ईंट लगभग साढ़े 500 या 600 ही दी जाती है। सीमेंट की बोरी 3 दी जाती है शौचालय की ऊंचाई चौड़ाई या यूं कहें की मानक के अनुसार कार्य नहीं हो रहा है और सिर्फ लीपा पोती कर खानापूर्ति कर के लम सम 7-8 हजार में काम निपटा दिया जाता है बाकी का बचने वाला पैसा नीचे स्तर से लेकर उच्च स्तर तक भूत बांट किया जाता है।

शौचालयों के बारे में कोई पात्रता श्रेणी नहीं है जिसके शौचालय बने हुए हैं उन्हें भी विधिवत शौचालय दिए जा रहे हैं यानी कुल मिलाकर कोरम पूरा कर या अपने हितग्राही व्यवस्था को देख कर ग्राम प्रधान और पंचायत मंत्री संयुक्त रूप से इस कार्य में संलिप्त है कहीं भी किसी प्रकार से मानक का पूरा होना नहीं पाया जा रहा है इस संबंध में जब टीम के द्वारा ग्राम प्रधान प्रतिनिधि से वार्ता कीगई तो उन्होंने बताया कि मैं इतना संतोषजनक कार्य कर रहा हूं उसके बाद भी जनता शिकायतें करने में जुटी हुई है और अब मैं कर ही क्या सकता हूं अभी मैंने हिसाब नहीं जोड़ा है जब हिसाब जोड़ लूंगा तो हो सकता है कि जेब से पैसे और लगने पढ़ सकते हैं क्योंकि मैं मानक से उठकर ऊपर कार्य कर रहा हूं ग्रामीणों में हरिजन रामखिलावन पुत्र भूरे निवासी गौहानी बताते हैं कि प्रधान के कहने अनुसार मैंने शौचालय को बनवाया जिसे बनवाए आज पांच माह हो चुके हैं अभी तक मुझे पैसा नहीं दिया गया है और जब पैसा मांगा जाता है तो आजकल आजकल करते हुए लेकिन भुगतान प्राप्त नहीं हुआ। राजकुमार पुत्र कल्यांण सिंह बताते हैं कि शौचालय बनवाए लगभग 5 माह हो चुका है पैसा अभी तक न तो खाते में आया और ना ही प्रधान के द्वारा मुझे दिया गया जहां से मैंने उधार सामान ले लिया है उसका भी पैसा मैं नहीं दे पा रहा हूं। जब राजकुमार से यह पूछा गया कि आप के प्रधान का नाम क्या है तो मीडिया कर्मियों के सामने राजकुमार ने प्रधान पति का नाम बताया। कन्हैया सिंह पुत्र सुखदेव सिंह बताते हैं कि मुझे शौचालय बनने के दौरान ₹6000 प्रधान के द्वारा खाते में दिए गए लेकिन इसके बाद बाकी का पैसा है वह अभी तक नसीब नहीं हुआ। मंजू देवी पत्नी नरपत सिंह बताती हैं की प्रधान अपनी चलते मनमानी सामान देने के लिए कहते हैं और जो उपभोक्ता को पैसा दे दिया जाना चाहिए वह नहीं दे रहे हैं। उनका कहना यह है कि पैसा ना दे कर सामान दिया जाएगा आप अपनी लैट्रिन/ शौचालय बनवा लें इस प्रक्रिया से खफा ग्रामवासी ग्राम प्रधान का विकास कार्यों के मध्य होने वाले खर्चे का पूरा पूरा विरोध कर रहे हैं उनका मानना है की प्रधान या इस विभाग में जुड़े अधिकारी अपनी जेब को मजबूत करने के लिए यह सब कुछ डाृमा कर रहे हैं जब की सच्चाई तो यह है कि उपभोक्ता को आने वाला रुपया उसके अकाउंट में डाल दिया जाए और उसे निर्देशित किया जाए कि आप अपना शौचालय बनवाए और यदि शौचालय नहीं बनवाया जाता है तो उसका पैसा रिकवरी करवाया जाए या उसके खिलाफ एफआईआर आई आर दर्ज कराई जाए लेकिन यह किया जाना कि सामान दिया जाए गड्ढा लाभार्थी ही खोदे। मोरम का काम लाभार्थी करें, खरंजा इस्तेमाल किया जाए सीमेंट की जगह बालू/ डस्ट का इस्तेमाल किया जाए फिर तो बचने का उपाय सहज बन जाता है गौहानी के ग्रामीणों ने जिलाधिकारी व मुख्य विकास अधिकारी सहित विभागीय अधिकारियों से मांग की है निर्मित किए जा रहे शौचालयों की जांच कराई जाए और दौराने जांच जो कमी पाई जाती है उसका निराकरण करते हुए दोषी लोगों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही कर एफ आई आर दर्ज कराई जाए ताकि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के स्वच्छ शौचालयों का स्वप्न पूरा किया जा सके।

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