बीहट (बेगूसराय) धर्मवीर संवाददाता: सनातन धर्म के अनुयायियों को भी संध्या अवश्य करना चाहिए। उक्त बातें तूर्लाक महाकुम्भ के तृतीय शाही स्नान उपरांत संध्या करते हुए करपात्री अग्निहोत्री स्वामी चिदात्मन जी महाराज ने व्यक्त किया। कहा ब्राह्मण के अभाव में पीपल या बरगद के पेड़ की पूजा शास्त्र सम्मत है। क्योंकि पीपल बरगद और पलास का पेड़ क्रमशः विष्णु शिव एवं ब्रह्म के स्वरूप है। भागवत कथा के क्रम में दो बातें प्रमुख हैं प्रथम आदि शक्ति जगत जननी मां पराम्बा ही मात्र अप्रत्यक्ष रूप से एका हैं तथा प्रत्यक्ष रूप में अनेका हैं वहीं तीन रूप में क्रमशः श्रीजन पालन संघार को क्रियान्वित करती हैं दूसरा तथ्य शरीर एक प्रयोग शाला है जिसमें विकार रुप से कई तत्व रहतें हैं और इन विकारों को समाप्त करने हेतु गुरूमंत्र रूपी रसायन के जाप रूपी क्रिया से किया जाता है और जब शरीर विकार हैं हो जाता है तो अज्ञानतरूपी भेद बुद्धि समाप्त हो जाती है विकार हीन होने पर मनुष्य ज्ञान की प्रकाष्ठ पाकर मुक्त होते हुए उसी मात्र अप्रत्यक्ष एका की शानिध्यता प्राप्त कर लेता है। मौके पर रविन्द्र ब्रह्मचारी, राजेश्वरानंद, सदानन्द सत्यानंद झा, संतोष कुमार, राम लक्ष्मण, श्याम, रंजना कुमारी, रमेश मिश्रा, शंकर सिंह, दिनेश सिंह, मिथलेश सिंह, सुशील सिंह, नवीन सिंह, सुबोध सिंह, राजीव सिंह, राजकिशोर सिंह, निर्पेन्द्रा सिंह, उषा रानी, नार्यनानंद, सर्वमंगला मीडिया प्रभारी नीलमणि, टनटन, शैलेन्द्र राय, जय मोहन सिंह सहित अन्य मौजूद थे।
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