डेस्क : हिंदी सिनेमा और रंगमंच के दिग्गज अभिनेता शशि कपूर का सोमवार को 79 साल की उम्र में निधन हो गया. पिछले काफी समय से वे बीमार चल रहे थे. मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली. उनका अंतिम संस्कार मंगलवार को दोपहर 12 बजे किया जाएगा. अंतिम संस्कार कहां होगा, फिलहाल यह तय नहीं है. उनकी बेटी संजना और बेटे करण घर से बाहर हैं. वे मुंबई आज रात को पहुंचेंगे.
शशि कपूर के बच्चों के आने के बाद तय होगा कि उनका अंतिम संस्कार कहां किया जाएगा. आज रात शशि के शव को कोकिलाबेन अस्पताल में रखा जाएगा.
अपने दौर के सबसे हैंडसम एक्टर शशि कपूर की मौत के बाद पूरे बॉलीवुड में शोक की लहर दौड़ गई. शशि कपूर को साल 2014 से चेस्ट में तकलीफ थी. इससे पहले उनकी बायपास सर्जरी भी हुई थी. लंबे समय से बीमार चलने के बाद आखिरी सांस लेने वाले शशि साहब के फिल्मी डायलॉग्स असल जिंदगी में भी हमें जीने का सलीका सिखाते हैं.
ख्वाब जिंदगी से कई ज्यादा खूबसूरत होते हैं (सत्यम शिवम सुंदरम)
ये दुनिया एक थर्ड क्लास का डिब्बा बन गई है, जगह बहुत कम है, मुसाफिर ज्यादा (दीवार)
ये मत सोचो कि देश तुम्हें क्या देता है…सोचो ये कि तुम देश को क्या दे सकते हो (रोटी कपड़ा और मकान)
ये प्रेम रोग है…शुरू में दुख देता है…बाद में बहुत दुख देता है (नमक हलाल)
हम गायब होने वालों में से नहीं है..जहां-जहां से गुजरते हैं जलवे दिखाते हैं…दोस्त तो क्या, दुश्मन भी याद रखते है (सिलसिला)
ज्यादा पैसा आए तो नींद नहीं आती…नींद आए तो ज्यादा पैसा नहीं आता (दीवार)
इस दुनिया में आदमी इंसान बन जाए…तो बहुत बड़ी बात है (कभी-कभी)
कार से आने वाले अक्सर देर से आते हैं (दीवार)
अपना तो एक ही उसूल है…जियो तो अपने लिए, सोचो तो दूसरों के लिए (एक और एक ग्यारह)
हवा बदल गई है ऐसी कुछ जमाने की…दुआएं मांगता हूं होश में आने की (शर्मिली)
आज मेरे पास पैसा है, बंगला है, गाड़ी है, बैंक बैलेंस है और तुम्हारे पास क्या है ? मेरे पास मां हैं… (दीवार)
शशि ने हिन्दी सिनेमा की 160 फिल्मों (148 हिंदी और 12 अंग्रेजी) में काम किया. उनका जन्म 18 मार्च 1938 को कोलकाता में हुआ था. उनके निधन पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, पीएम नरेंद्र मोदी समेत कई राजनीतिक और बॉलीवुड की हस्तियों ने शोक जताया है. राष्ट्रपति कोविंद ने ट्वीट कर शशि को श्रद्धांजलि दी. राष्ट्रपति ने कहा, ‘भारतीय और अंतरराष्ट्रीय फिल्मों के लिए सुप्रसिद्ध अभिनेता शशि कपूर के निधन के बारे में जान कर बहुत दुख हुआ। सार्थक सिनेमा को उनका योगदान और भारतीय रंगमंच को शक्ति देने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका हमेशा याद की जाएगी। उनके परिवार के प्रति मेरी शोक संवेदनाएं।’
पीएम मोदी ने शशि कपूर के निधन पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि शशि की विलक्षण ऐक्टिंग को आने वाली पीढ़ियां याद करेंगी.
सुपरहिट जोड़ी
सदी के महानायक अमिताभ बच्चन के साथ इनकी जोड़ी खूब सराही गई थी. ‘दीवार’, ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ ‘नमक हलाल’ ‘सुहाग’ और ‘त्रिशूल’ उनकी सुपरहिट फिल्में रही हैं. फिल्म दीवार में उनका डायलॉग ‘मेरे पास मां है’ आज भी लोगों की जुबान पर है.
‘धर्मपुत्र’ के बाद शशि ने ‘चारदीवारी’ और ‘प्रेमपत्र’ जैसी असफल फिल्मों में काम किया था. इसके बाद उनकी ‘मेहंदी लगी मेरे हाथ’, ‘मोहब्बत इसको कहते हैं’, ‘नींद हमारी ख्वाब तुम्हारे’, ‘जुआरी’, ‘कन्यादान’, ‘हसीना मान जाएगी’ जैसी फिल्में आईं, लेकिन सारी असफल रही.
‘जब-जब फूल खिले’ फिल्म के जरिए शशि की कामयाबी का सफर शुरू हुआ. यह फिल्म गोल्डन जुबली साबित हुई थी. शशि ऐसे ऐक्टर थे जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ब्रिटिश और अमेरिकी फिल्मों में काम किया था. इनमें ‘द हाउसहोल्डर’, ‘शेक्सपियरवाला’, ‘बॉम्बे टॉकीज’ तथा ‘हिट ऐंड डस्ट’ जैसी फिल्में शामिल हैं.
मशहूर फिल्में
60 और 70 के दशक में उन्होंने जब-जब फूल खिले, कन्यादान, शर्मीली, आ गले लग जा, रोटी कपड़ा और मकान, चोर मचाए शोर, दीवार कभी-कभी और फकीरा जैसी कई हिट फिल्में दी.
दो साल पहले दादा साहेब फॉल्के अवॉर्ड
1984 में पत्नी जेनिफर की कैंसर से मौत के बाद शशि कपूर काफी अकेले रहने लगे थे और उनकी तबीयत भी बिगड़ती गई. बीमारी की वजह से शशि कपूर ने फिल्मों से दूरी बना ली. साल 2011 में शशि कपूर को भारत सरकार ने पद्म भूषण से सम्मानित किया था. 2015 में उन्हें दादा साहेब पुरस्कार भी मिल चुका था. कपूर खानदान के वो ऐसे तीसरे शख्स थे जिन्हें ये सम्मान हासिल हुआ था.
बलबीर नाम से भी जाने जाते थे शशि कपूर
आकर्षक व्यक्तित्व वाले शशि कपूर के बचपन का नाम बलबीर राज कपूर था. बचपन से ही एक्टिंग के शौकीन शशि स्कूल में नाटकों में हिस्सा लेना चाहते थे. उनकी यह इच्छा वहां तो कभी पूरी नहीं हुई, लेकिन उन्हें यह मौका अपने पिता के ‘पृथ्वी थियेटर्स’ में मिला.
नाटक से शुरू की थी एक्टिंग
शशि ने एक्टिंग में अपना करियर 1944 में अपने पिता पृथ्वीराज कपूर के पृथ्वी थिएटर के नाटक ‘शकुंतला’ से शुरू किया था. उन्होंने फिल्मों में भी अपने एक्टिंग की शुरुआत बाल कलाकार के रूप में की थी.