डेस्क : मिथिलाक इतिहासक जानकारी प्राप्त करै हेतु स्त्रोत बहुत कम आछि । कारण प्राचीन व मध्यकालीन मिथिला में वंशावली लिखनिहारक अभाव छल । मिथिला में उत्खनन कार्य बहुत कम भेल । फलस्वरूप पुरातात्विक साधनक अभाव आछि । तथापि किछु प्राप्त सिक्का, मोहर आ अभिलेखक आधार पर मिथिलाक इतिहासक किछु जानकारी प्राप्त होइत आछि । संभवतः मिथिला में इतिहासक स्त्रोत बाढ़िक विभीषिका आ बार – बार अग्नि काण्डक कारणें विनष्ट भ गेल। तथापि किछु धार्मिक सहित्य, बौद्ध आ जैन साहित्य, पाणिनीक गं्रथ, नेपाल दरवारक पाण्डुलिपि, नेपाल अभिलेख आ कतिपय आधुनिक विद्वानकृत रचना सॅ मिथिलाक प्राचीन एवम् मध्ययुगीन इतिहास के बारे में जानकारी प्राप्त होइत आछि।
पौराणिक धर्मग्रंथ यथा वेद आ उपनिषद में एहि प्रदेशक यत्र-तत्र उल्लेख भेटैत आछि। वृध्द्विष्णुपुराण, विष्णुपुराण, शक्तिसंगम तंत्र, शतपथब्राह्मण, आदि ग्रंथ में मिथिलाक विभिन्न नाम, भौगोलिक परिवेश व रीति रिवाजक जानकारी भेटैत आछि ।
महाकाव्य यथा रामायण व महाभारत में मिथिलाक काफी जानकारी आछि । रामायण अत्यधिक उपयोगी महाकाव्य आछि जाहि में मिथिलाक पौराणिक इतिहास आ ओकर निवासीक उतम चरित्र तथा विचारक उल्लेख आछि ।
प्राचीन कालक किछु राज दरवारक मैथिल सदस्य आ स्वतंत्र विद्वान अपन कृति में मिथिलाक संबंध में यत्र-तत्र उल्लेख कयलनि आछि ।
वाणभटृ, पाणिनी, कल्हन आदिक ग्रंथ एहि संदर्भ में उल्लेखनीय आछि । बौद्ध आ जैन साहित्य से हो मिथिलाक सभ्यता पर प्रकाश दैत आछि ।
नेपाल मिथिलाक इतिहासक जानकारी हेतु किछु स्त्रोत प्रस्तुत कयलक आछि । विद्वान लोकनि अध्ययन के दौरान नेपाल में स्थिति पाण्डुलिपि पर विचार कयलनि जाहि से मिथिलाक सांस्कृतिक इतिहास पर प्रकाश पड़ल । नेपाल दवारक पाण्डुलिपि, अनेकानेक वंशावली नेपाल अभिलेख, आदि स्त्रोत मिथिलाक इतिहासक बारे में किछु जानकारी दैत आछि। नेपाल सॅ संबधित विभिन्न स्त्रोतक अन्वेषण, सम्पादन, आ प्रकाशन विभिन्न विद्वान कयलनि आछि जाहि में हर प्रसाद शास्त्री, के.पी. जयसवाल, भगवानलाल इन्द्रजी, आर.सी. मजुमदार तथा एम.के. सरस्वती क नाम उल्लेखनीय आछि ।
मिथिला सॅ संबधित पाण्डुलिपिक चारि खण्ड प्रकाशित भेल आछि जकर संकलन ए. बनर्जी, हरप्रसाद शास्त्री आ पी.के. जयसवाल कयलनि । ई पाण्डुलिपि मिथलाक शासक क नाम आ हुनक तिथिक तालिका प्रस्तुत करैत आछि । एहि पाण्डुलिपि सॅ तत्कालीन मिथिलाक विद्वानक जानकारी सेहो प्राप्त होइत आछि ।
मध्यकालीन मिथिलाक नरेश आ दरवारक व स्वतंत्र मूर्धन्य विद्वानक जानकारी सॅ परिपूर्ण कतेको पाण्डुलिपि बंगाल एशियाटिक सोसाइटी आ देशक विभिन्न पुस्ताकलय मे सुरक्षित आछि । किछु पाण्डुलिपि निम्नलिखित आछि –
(क) भटृकाव्यटीका – लेखक श्री निवास
(ख) क्रीतिकल्पतरू – लेखक लक्ष्मीधर
(ग) लिंगवार टीका – लेखक जय सिंह
(घ) काव्य प्रकाश विवेक – लेखक श्रीधर ठाकुर
(ड़) छन्दोगोपरिशिष्ठ – लेखक नारायण
डॉ सर जार्ज अब्राहम ग्रियर्सन (1850-1941) क अनेक निबंध जाहि में मिथिलाक इतिहासक विभिन्न स्त्रोतक जानकारी प्राप्त होइत आछि ।
शिलालेख :-
मिथिलाक इतिहासक जानकारीक अमूल्य स्त्रोत किछु शिलालेख आछि जकर अन्वेषण आधुनिक काल में विद्वान लोकनि कयलनि आछि जे निम्नलिखित आछि :-
(क) चम्पारणक अभिलेख
(ख) बेगूसरायक नवगढ़ अभिलेख
(ग) वनगॉवक ताम्रपत्र अभिलेख
(घ) कतरा (बेगुसराय) में पक्की माटि पर उत्कीर्ण अभिलेख
(ड़) पंचोभ ताम्रपत्र
(च) अंधराठाढ़ी अभिलेख
(छ) मोतिहारी अभिलेख (दू अभिलेख)
(ज) हविडीहा अभिलेख
(झ) महेश्वर अभिलेख
(´) देवपाराक अभिलेख-नान्यदेव कालीन मिथिलाक इतिहासक जानकारी दैत आछि ।
विद्वानक कृति :-
विज्ञान लोकनि द्वारा लिखल विभिन्न रचना सॅ सेहो मिथिलाक ऐतिहासिक जानकारी प्राप्त होइत आछि । किछु विशिष्ट कृति एहि प्रकार आछि :-
(क) यजसतिलक – रचनाकार सोमदेव
(ख) बल्लालचरित – रचनाकार श्रीधर दास
(ग) रत्नाकर – रचनाकार चण्डेश्वर ठाकुर
(घ) वर्ण रत्नाकर – रचनाकार ज्योतिरीश्वर ठाकुर
(ड़) पारिजात हरण नाटिका – रचनाकार उमापति
(च) प्राकृत पैंगलम – रचनाकार
(छ) पुरूष परीक्षा – रचनाकार विद्यापति
उपर्युक्त कृतिक आधार पर सांगोपांग आ क्रमबद्ध मिथिलाक इतिहासक जानकारी तॅं नहि भेटैत आछिः पर´्च ओकर विभिन्न पक्षक संबंध में ज्ञान प्राप्त होइत आछि ।
यद्यापि विद्यापति मूलतः कवि छलाह आ ओ काव्यात्मक साहित्यक रचना कयलनि तथापि अमीर खुसरोक कृति जकॉं हुनक कृति में शुद्ध इतिहास परलिक्षित होइत आछि । प्राकृतपैंगलम और पुरूष परीक्षा विद्यापतिक कृति मिथिलाक इतिहासक स्त्रोत आछि । ओ मिथिलाक सम्यता आ संस्कृति पर प्रकाश दैत आछि । विद्यापति क कृति पुरूष परीक्षा में वर्णित तथा कर्णाट वंशक इतिहासक संबध मे तथ्य प्रस्तत करैत आछि । एहि सॅं विदित होइत आछि जे कर्णाटशासक 1097 सॅ 1325 ई धरि शासन कयलनि । एहि कृति में कर्णाट शासक अन्य राजा के संग संग मुस्लिम शासक क नाम आयल आछि । मिथिला सॅ संबद्ध मोहम्मद बिन तुगलक, गयासुद्वीन तुगलक, मोहम्मद गोरी आदिक नाम उल्लेखित आछि । विद्यापतिक ई कृति (पुरूष परीक्षा) किछु सीमा धारि क्रमवद्ध वंशानुगत शासनक उल्लेख करैत आछि । तथापि ई कृति विश्वसनीय नहि मानल जा सकैछ, कारण एहि में अनेक दोष आछि।
मिथिलाक मूर्धन्य इतिहासकर प्रो. राधाकृष्ण चौधरी मिथिलाक इतिहासक जानकारी स्त्रोत के मुख्य रूप सॅ तीन भाग में विभक्त कयलनि आछि :-
(ए) विश्वसनीय स्त्रोत (बी) परम्परागत स्त्रोत (सी) आधुनिक शोध ग्रंथ
(ए) विश्वसनीय स्त्रोत :- मुल्ला तकिया क ’’बयाज’’ नामक ग्रंथ एक ऐतिहासिक स्त्रोतक रूप में स्वीकार कायल गेल आछि । परन्तु एहि में वर्णित तथ्यक पुष्टि समसामयिक अन्य मुस्लिम स्त्रोत नाहि करैत आछि, जाहि सॅ बयाज पर संदेहक आंगुर उठैत आछि । मो. सद्रअला अहमद हुसैन दवीर कृत ‘The Basantine-ul-uns’ विश्वसीय स्त्रोत क रूप में स्वीकार कयल जा सकैछ । कारण एहि में गयासुद्यीन क मिथिला आक्रमाणक वर्णन आछि। परन्तु ई वर्णन यत्र-तत्र पसरल आछि जकरा समेटि इतिहासक कमवद्ध प्रारूप तैयार करब कठिन आछि । एहि पुस्तक में मिथिला पर शासन कयनिहार शासक लोकनिक नाम नहि आछि ।
अन्य विश्वसनीय स्त्रोत क नाम एहि प्रकार आछि :-
(क) तारीख -ए- फिरोजशाही
(ख) मतखाव-अल-तवारिख (बदायनी)
(ग) बाबरनामा (अब्दुल फजल)
(घ) आइन-ए- अकबरी (अब्दुल फजल)
(ड़) अकबरनामा (अब्दुल फजल)
उपर्युक्त ग्रंथ में कर्णाटकालीन मिथिलाक संग-संग कर्णाटवंशक बादक युगक मिथिलाक इतिशासक जानकारी भेटैत आछि ।
(बी) परम्परागत स्त्रोत :- परम्परागत स्त्रोत के रूप में किछु विशेष रचनाक क संदर्भ आछि जाहि सॅं मिथिला आ ओकर आसपासक क्षेत्रक इतिहास क जानकारी प्राप्त होइत आछि। जे एहि प्रकार आछिः-
(क) मिथिला तत्व विमर्श – रचनाकार महामहोपध्याय परमेश्वर झा
(ख) मिथिला दर्पण – रचनाकार रास बिहारी दास
(ग) आइनी तिरहुत – रचनाकार बिहारी लाल
(घ) मिथिला भाषामय इतिहास- रचनाकार मुकुन्द झा “बक्शी“
(ड़) कन्दर्पी घाट – रचनाकार लालकवि
(च) मिथिलांक- रचनाकार मिथिला मिहिर
म.म. परमेश्वर झा क कृति “मिथिला तत्व विमर्श“ अनुश्रुत साक्ष्य पर आधारित अछि एहि में अति अल्प ऐतिहासिक तथ्य आछि। तॅं एकर प्रमाणिकता में संदेह आछि । प्रो. राधा कृष्ण चौधरी (मिथिलाक मूर्धन्य साहित्यकार) एकरा संतुलित ग्रंथ नहि मानैत छथि । प्रो. चौधरी रासबिहारी दास कृत “मिथिला दर्पण“ के अधिक महत्वपूर्ण मानैत छथि । कारण एहि में ओहि मुस्लिम परिवारक पैध सूची अछि जकर मिथिला में आगमन भेलनि आ एहिठाम बसि गेलाह। परन्तु मिथिला दर्पण में अनेक तिथि आ ऐतिहासिक तथ्य सॅं संबधित दोष आछि । एकर अतिरिक्त मिथिलाक अनेक विद्वान, लेखक आ कवि अपन रचना मे अपन शासक आ शोषकक संबध में यत्र तत्र उल्लेख कयने छथि ।
पाण्डुलिपिः-
मिथिला में अनेक पाण्डुलिपि प्राप्त मेल अछि जे मिथिलाक इतिहास पर प्रकाश दैत अछि। एहि में सॅं किछु पाण्डुलिपि अप्रकाशित अछि आ किछुक प्रकाशन भ गेल अछि । किछु महत्वपूर्ण पाण्डुलिपि जे मिथिलाक इतिहास पर प्रकाश डालैत अछि, वो एहि प्रकार अछि
(क) हिस्ट्री ऑफ तिरहुत रचनाकार श्यामनंद सिंह (कलकता विश्वविद्यालय प्रेस द्वारा 1922 में प्रकाशित)
(ख) हिस्ट्री ऑफ मिथिला रचनाकार उपेन्द्र ठाकुर (मिथिला रिसर्च इन्स्टीटयुट दरभंगा द्वारा 1956 में प्रकाशित )
(ग) बिहार थ्रू द एजेज रचनाकार आर.आर.दिवाकर (1958)
(घ) हिस्ट्री ऑंफ बिहार रचानाकार राधा कृष्ण चौधरी (1958)
(सी) आधुनिक शोध ग्रंथ :- पूर्वी आ पश्चिमी देशक विद्वानक किछु शोध कायल ग्रंथ अछि जे मिथिलाक इतिहास पर प्रकाश दैत अछि । जे एहि प्रकार अछि :-
(क) कन्ट्रीब्यूशन टू द ज्योग्राफी एण्ड हिस्ट्री ऑफ बंगाल – रचनाकार – ब्लकमेन (उन्नीसवीं शताब्दी) :- ब्लेकमेन मिथिला पर वैज्ञानिक अध्ययन कयलनि आ तथ्य प्रस्तुत कयलनि इ असाधारण ग्रंथ अछि जे वैज्ञानिक अध्ययन उपरांत प्रस्तुत कयल गेल छल आ एहि सॅं प्रमाणिक कोनहु कृति प्रकाश में नहि आयल अछि । एहि कृतिक माध्यम सॅं ब्लेकमेन भविष्य में मिथिला पर शोध कार्य करबाक पृष्ठभूमि तैयार कय देलनि ।
(ख) रिप्लाय टू ब्लेकमेनीज कन्ट्रीब्यूशन टू द ज्योग्राफी एण्ड हिस्ट्री ऑफ बंगाल – रचनाकार – एच रेवर्टी – दू कृति जे ब्लेकमेन क कृतिक प्रत्युतर छल ।
(ग) प्रो. सैयद हसन अक्सरी क किछु प्रकाशित प्रमाणिक ऐतिहासिक निबंध मिथिलाक इतिहास पर सामग्री प्रस्तुत करैत अछि ओ निम्नस्थ अछि :-
(1) बिहार डयूरिंग द टाइम ऑफ टू लोदी सुल्तान ।
(2) बिहार डयूरिंग द टाइम टर्को अफगान पीरियड ।
(3) बिहार अण्डर बाबर एण्ड हुमायूॅं ।
(4) बिहार इन द टाइम आफ अकबर।
प्रो. अस्करी क कतिपय अन्य निबंध जर्नल ऑफ बिहार रिसर्च सोसाइटी आ बंगाल पास्ट एण्ड प्रजेण्ट में प्रकाशित भेल अछि । एहि सब निबंध में मिथिलाक राजनीतिक सांस्कृतिक, सामाजिक आ आर्थिक इतिहास सॅ संबंधित फुटकर सामग्री भेटैत अछि । प्रो. अस्करी निश्चित रूप सॅ अपन निबंधक द्वारा प्रादेशिक इतिहास के समृद्ध बनोलनि।
(घ) अल्बर्दी एण्ड हिज टाइम- रचनाकार – प्रोफेसर काली किंकर दत्त-एहि कृति द्वारा प्रो. दत मिथिला क्षेत्रक इतिहास जानकारी प्रस्तुत कयलनि ।
(ड़) प्रो. राधा कृष्ण चौधरी :- प्रो. चौधरी, प्रो. अस्करी क परम्पराक निर्वाह कयलनि अछि। मिथिलाक इतिहास पर आधुनिक विद्वान मे प्रो. चौधरी एहन एकसर विद्वान छथि जे मिथिला आ तिरहुत केॅं अपन अध्ययनक विशेष क्षेत्र बनौलनि आ एकर प्राचीन, तथा मध्ययुगीन राजनीतिक सामाजिक, आर्थिक एवम् सांस्कृतिक इतिहास कें क्रमबद्ध ढंग सॅं लिखबाक स्तुत्य प्रयास कयलनि । हुनक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक निबंध एहि प्रकार आछि :-
(1) कर्णाट्स ऑफ मिथिला
(2) ओइनवार्स आफ मिथिला
(3) विद्यापतिक ’’पुरूष परीक्षा’’ एन इम्पोर्टेन्ट सोर्स आफ इण्डियाज पोलिटिकल हिस्ट्री
(4) भागलपुर इन्सक्रिप्शन्स
(5) हिस्ट्री ऑफ बेगूसराय
(6) तिरहुत का संक्षिप्त राजनीतिक इतिहास
-:लेखक :-
शंकर झा
एम.एस.सी. (कृशि अर्थशास्त्र), एल.एल.बी.
{छ.ग. राज्य वित्त सेवा}
नियंत्रक (वित्त)
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर (छ.ग.)