दरभंगा : जिले के बहेड़ी प्रखंड मुख्यालय से महज 12 किमी की दूरी पर अवस्थित बलिगांव सरकार के विकास के दावे पर सवालिया निशान लगा रहा है. इस पंचायत के तीन राजस्व ग्राम बलिगांव, सिरुआ एवं बिरहौना अब तक पक्की सड़क से नहीं जुड़ सकी है. जबकि सुशासन की सरकार में फस्ट फेज में इन गांवों को मुख्य सड़क से जोड़ने के लिए तीन सड़कों का निर्माण कार्य आरंभ किया गया था. इसका निर्माण आठ वर्षों में भी पूरा नहीं हो सका है. इस कारण यहां के लोग आजादी के 68 साल बाद भी जर्जर सड़क पर आवागमन के लिए मजबूर हैं.
प्रधानमंत्री सड़क योजना से सबसे पहले झझरी से नवटोल, सिरुआ, बिरहौना होते भच्छी उज्जैना तक करीब सात किमी सड़क का निर्माण सीपीडब्ल्यूडी की देखरेख में आरम्भ किया गया. इसके बाद उजैना से केरवा कोट बलिगांव, बघौल, अटहर होते निर्माण शुरू किया गया. फिर धनौली से बनौल तक तीसरी सड़क बिरहौना होते हुए बनौल तक बननी आरम्भ हुई. हैरत की बात यह है कि इन तीनों में से किसी सड़क का निर्माण कार्य अब तक पूरा नहीं हो सका है. इस कारण खासकर बलिगांव व बिरहौना के लोगों को घर से तीन किमी का सफर कर मुख्य सड़क से यात्री वाहन पकड़ने के लिए जाना पड़ता है. जर्जर सड़क के कारण यहां के लोगों को आपातकाल में इलाज के लिए ले जाने में भी काफी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।
इस पंचायत के बिरहौना गांव की आबादी 2000 से अधिक है. इस गांव में पिछड़ा, अतिपिछड़ा एवं महादलितों की बहुलता है. दो वार्ड से बनी इस गांव में मुख्य सड़क सहित करीब दो हजार फीट ग्रामीण सड़क से लोग आवाजाही करते हैं. जहां वर्तमान में अब तक मात्र 5 सौ फीट पीसीसी सड़क का निर्माण किया गया है. गॉव के पवन कुमार यादव ने कहा कि मेरे गांव में अब तक विकास की रोशनी नहीं पहुंची है. इस कारण लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. बरसात के मौसम में यहां की सड़कों का नारकीय हाल हो जाता है. शांति देवी कहती हैं कि इस गांव में विधायक एवं सांसद की नजर नहीं जाती. खाली विलाप करते नेता एवं जनप्रतिनिघि वोट मांगने आते हैं. हरि प्रसाद यादव कहते हैं कि सड़क की समस्या के कारण यहां के लोगों को तीन किमी दूर उजैना एवं पघारी जाकर यात्री वाहन से प्रखण्ड एवं जिला मुख्यालय जाना पड़ता है. यदि सड़क की समस्या दूर हो जाती है तो यात्री वाहन की सुविधा लोगों को घर से ही मिल जाएगी. रामजीवन यादव कहते हैं कि सड़क की समस्या को लेकर खासकर प्रसव की मरीजों को स्वास्थ्य केंद्र तक ले जाने में काफी समस्या होती है. यही नहीं आपातकालीन स्थिति में समय पर इलाज नहीं होने के कारण यहां के कई लोगों की जान भी जा चुकी है.