: लखनऊ : जहां एक तरफ जगह जगह सौंदर्यकरण करते हुए नवाबों के शहर का हिस्सा कहा जाने वाला बख्शी का तालाब में पर्यटकों के आवागमन की स्थित में पुरानी प्रारूप को नवीन गति दी जा रही है। तो वहीं दूसरी तरफ विभिन्न स्थानों के वातावरण को साफ स्वच्छ करने के लिए वहां पड़े कूड़ा करकट को बटवारा जा रहा है साफ स्वच्छ हवा की प्राप्ति के लिए धुआं फैलाने वाले वाहनों पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कड़ी नजर रखते हुए हैं लेकिन इसके बाद आज भी धू-धू करते हुए काले धुआँ के गुब्बार छोड़ने वाले वाहनों से लेकर डीजल चलित टैक्सियों का संचालन बदस्तूर जारी है।वाहनों के रखरखाव की रिपोर्ट जांचने वाला आरटीओ ही वाहनों के फिटनेस कनेक्शन के नाम पर घोटाला करने में आमदा है। वायु प्रदूषण को बढ़ावा देने वाले वाहनों में सबसे ज्यादा डीजल चलित टैक्सियों पर कार्यवाही के एवज में खुदा आरटीओ और ट्राफिक रुपयों का खेल करते हुए उन पर त्वरित कार्यवाही के नाम पर लीपा पोती करने में लगा है। और यही कारण है कि बख्शी का तालाब व इटौंजा छठा मील समेत तमाम इलाकों में मानकों को ठेंगा दिखाकर लगातार एक तो डीजल चालित वाहनों का संचालन धड़ल्ले से किया जा रहा है। ऊपर से इन वाहनों का गजन पदी कनेक्शन भी देखा जाने लगा यूपी 32 के परमिट के स्थान पर यहां उन्नाव बाराबंकी व सीतापुर की डीजल चलित टैक्सियां दौडाई जा रही है जबकि स्थानीय अफसर सब कुछ देखते हुए भी हाथ पर हाथ धरे तमाशाबीन बने ड्यूटी निभाने में ब्यस्त हैं।
बख्शी का तालाब व इटौंजा छठा मील कई चौराहों पर आबोहवा में जहर घोलने का काम दिनो-दिन जारी है। प्रशासन की कोताही भरी कार्यशैली का एक और मामला इन्हें स्थानों पर देखने को मिलता है जहां धड़ल्ले से डीजल चलित टैक्सियों के संचालन में स्थानीय पुलिसकर्मियों से लेकर थाना परिसर तक मोटी मोटी रकम पहुंचाई जाती है जहरीले काले धुआ का गुब्बार छोड़ती टैक्सियों के रोकथाम के नाम पर धड़ल्ले से महज 20 से 50 रूपयो तक की वसूली का गोरखधंधा चलाया जाता है। उन पर उचित कार्यवाही ना करते हुए बाकायदा रुपयो के इस खेल की बदौलत डीजल चलित टैक्सियों को रोजाना के संचालन के लिए छोड़ दिया जाता है यही कारण है कि आज तक डीजल चालित वाहनों के संचालन के स्थित जस की तस बनी हुई है।धुआँ के काले गुब्बार में वातावरण अब लोगों के लिए जहर बनता जा रहा है।