पटना : विश्व बाल दिवस के अवसर पर चाणक्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय और यूनिसेफ, बिहार के द्वारा संयुक्त रूप से चाइल्ड राईटस सेंटर का उद्घाटन और राज्य स्तरीय परामर्शी कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन बिहार विधानसभा के अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी के द्वारा श्रम संसाधन विभाग के प्रधान सचिव, दीपक कुमार सिंह, बिहार बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य परमहंस कुमार और पंकज कुमार सिन्हा, चाणक्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय की कुलपति एंव पटना उच्च न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश श्रीमती मृदुला मिश्रा, यूनिसेफ, बिहार के प्रमुख असदुर रहमान, चाणक्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के समाज विज्ञान विभाग के डीन डॉ सुरेश प्रसाद सिंह और अन्य गणमान्य अतिथियों और बच्चों की उपस्थिति में दीप प्रज्ज्वलित कर किया।
इस अवसर पर बिहार विधानसभा के अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी के द्वारा चाइल्ड राईटस सेंटर का उद्घाटन किया गया।
बच्चों के कुछ सुझाव
- स्कूल में अंधेरी जगहों पर रौशनी की व्यवस्था
- लड़कियों के लिए अलग शौचालय
- सुझाव पेटी होना चाहिए
- पुस्ताकलय होनी चाहिए
- खेल का मैदान होना चाहिए
- पुस्तकों का वितरण
- विद्यालय में अलग-अलग कार्यों के लिए समितियों का गठन किया जाए
- शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों में न लगाया जाएं
- सत्र के प्रांरभ में ही मिले बच्चों को किताबें
बिहार विधानसभा के अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने चाइल्ड राईटस सेंटर की स्थापना के लिए यूनिसेफ और चाणक्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय की सराहना करते हुए कहा कि आज के वर्तमान परिपेक्ष्य में इस प्रकार के केंद्रों की स्थापना काफी महत्वपूर्ण है। पहले विश्व बाल दिवस का आयोजन होता था अब बाल अधिकार दिवस मनाया जाता है जो एक महत्वपूर्ण बदलाव है। बच्चों की देखभाल करना परिवार और समाज का कर्तव्य मात्र नहीं है बल्कि यह बच्चों का अधिकार है।
भारतीय पंरपरा और मूल्य बताते हैं कि हर बच्चे में अलग-अलग क्षमताएं, गुण, विषिष्टताएं होती है। यह हम सब की जिम्मदारी है कि हम सब हर बच्चे को बिना किसी भेदभाव के एक अनुकूल माहौल दे ताकि हर बच्चा अपनी अलग-अलग क्षमताओं , संभावनाओं का पूर्ण रूप से विकास कर सकें। आज जरूरत है हम सब बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य, विकास, भागीदारी और सुरक्षा के लिए एक सकारात्मक और सहयोगात्मक माहौल विकसित करने की। जिन लोगों के अधिकारों का हनन हो रहा हैं उनके लिए एक कार्ययोजना बनाने की आवष्यकता है। बच्चों के अधिकारों को लेकर यह सबसे महत्वपूर्ण है कि जो उसके राइट होल्डर है जैसे माता पिता या देखरेख करने वाले लोग, व्यस्क, वहीं उसके अधिकारों का हनन कर रहे हैं। संबोधन के बाद श्री विजय कुमार चौधरी ने बच्चों के साथ मिलकर बाल अधिकार समझौते की 29 वी सालगिरह केक काट कर मनाया।
श्रम संसाधन विभाग के प्रधान सचिव दीपक कुमार सिंह ने कहा कि बच्चों को शिक्षा, स्वास्थ्य, रचनात्मक गतिविधियों में भाग लेने, खेलने, सुरक्षा, प्यार और देखभाल का अधिकार है। हमारा विभाग बच्चों के सारे अधिकारों पर तो नहीं पर कुछ अधिकारों के लिए काम करता है। बिहार में 3 ऐसे जिले है जहां बाल श्रम काफी ज्यादा है। गया पूरे भारत में बाल श्रम में उपर के 5 जिलों में से एक है। यह हम सभी की सम्मिलित जिम्मेवारी है कि बच्चों के अधिकारों को सुनिष्चित करें और हर प्रकार के शोषण से उनकी सुरक्षा करें। श्रम विभाग के द्वारा चलाएं जा रहे पुर्नवास केंद्र में बच्चों के सर्वांगिण विकास पर बल दिया जाता है।
चाणक्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय की कुलपति एंव पटना उच्च न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश श्रीमती मृदुला मिश्रा ने कहा कि बच्चे समाज का सबसे महत्वपपूर्ण हिस्सा क्योंकि वो कल के वयस्क है। हमें बच्चों को अभिव्यक्ति के अधिकार देने होगें साथ ही उन्हें ,शोषण से बचाना होगा और खतरनाक व्यवसायों और कामों से दूर रखना होगा। उन्होनें कहा कि चाणक्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय बच्चों के अधिकारों के बारे में जागरूकता के लिए एक सर्टिफिकेट कोर्स शुरू करेगी।
यूनिसेफ, बिहार के प्रमुख असदुर रहमान ने कहा बिहार में 46 प्रतिशत आबादी 18 साल से कम उम्र के बच्चों की है। उनकी बेहतरी के लिए किया गया कार्य बिहार के आधे आबादी की भलाई होगी। यूनिसेफ बच्चों के अधिकारों और उनकी आवाज को उठाने के लिए काम कर रहा है। यूनिसेफ बिहार के बच्चों की बेहतरी के लिए राज्य सरकारों, सामाजिक संगठनों, विभिन्न हितधारकों, जेजे बोर्ड, पुलिस, बिहार स्टेट लीगल सर्विस आथोरिटी के साथ मिलकर काम कर रहा है। बिहार में शिक्षा पर काफी काम हुआ है।
बिहार राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य परमहंस कुमार ने कहा कि बच्चे अच्छे या बुरे नहीं होते। अच्छा और बुरा हमारा समाज होता है। किसी भी देष, राज्य या समाज में बच्चों की स्थिति से समाज की वास्तविक हालात का अंदाजा होता है। राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है।
चाणक्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के समाज विज्ञान विभाग के डीन डॉ सुरेश प्रसाद सिंह ने चाइल्ड राईटस सेंटर के बारे में बताते हुए कहा कि यह सेंटर लॉ के छात्रों के साथ मिलकर बाल अधिकार से जुड़े मुद्दों पर रिसर्च, फिल्ड विजिट और अन्य गतिविधियों के द्वारा बाल अधिकार के बारे में काम करेंगा।
कार्यक्रम के उददेष्य के द्वारा बताते हुए यूनिसेफ की संचार विशेषज्ञ सुश्री निपुण गुप्ता ने कहा कि 1989 में आज ही के दिन संयुक्त राष्ट्र की महासभा ने बाल अधिकार समझौते को मान्यता दी थी, उसी दिन के उपलक्ष्य में 20 नवम्बर को विश्व बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस बार के विश्व बाल दिवस का विषय है, स्कूलों को बच्चों के लिए कैसे सुरक्षित और सहायक बनाया जाए विश्व बाल दिवस के उपलक्ष्य में यूनिसेफ दुनिया भर में ’गो ब्लू अभियान चला रहा है, जिसमें ब्लू कलर के लाइट से सजा कर लोग बाल अधिकार के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दर्षाते हैं। पुरे विश्व में कई सरकारी और ऐतिहासिक इमारतों को ब्लू किया जा रहा है। भारत में राष्ट्रपति भवन को ब्लू किया गया है, वही सिडनी का ओपेरा हाउस, बेजिंग का नेशनल एक्वेटिक सेंटर और न्यूयॉर्क के एम्पायर स्टेट बिल्डिंग को भी ब्लू प्रकाश में रंगा गया है।
बिहार बाल भवन किलकारी की प्रियस्वरा भारती ने अपने संबोधन में कहा कि आज हमारा दिन है और आज हम बच्चे बोलेंगें और बड़े सुनेंगें। अब समय आ गया है कि हम बच्चों की बात गंभीरता से सुनी जाएं और उसपर अमल किया जाएं।
उद्घाटन सत्र का धन्यवाद ज्ञापन चाणक्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय की फैक्ल्टी को.ऑर्डिनेटर श्रीमती सुगंधा मुंशी ने किया। कार्यक्रम का मंच संचालन फादर पीटर लैडिस ने किया। इस अवसर पर चाइल्ड राईट सेंटर के कोर मेंबर श्रीमती सुष्मिता सिंह, डॉ विजय कुमार विमल, पुजा श्रीवास्तव, विजयन सिंहा, भी उपस्थित रहे। इस कार्यक्रम में नारी गुंजन, बिहार बाल भवन किलकारी, सेंटर फॉर सोषल इनक्लूजन, रेनबो होम, पटना सेंट्र्रल स्कूल, खानकाह मुनेमिया के लगभग 200 बच्चों ने भाग लिया। इस अवसर पर कार्यक्रम के दौरान बच्चों और हितधारकों का अलग-अलग समुह बना कर बच्चों के लिए सुरक्षित स्थान और कैसे हो सुरक्षित विद्यालय विषय पर पर उनके साथ परामर्षी कार्यषाला का आयोजन किया गया। इस सत्र को दिल्ली की संस्था प्रवाह के रिर्सोस पर्सन नीरू मल्होत्रा, मिथुन चंद्रवंशी और नदीम ने संचालित किया। इस परामरशी कार्यशाला के दौरान सभी बच्चों और हितधारको ने अपने सुझाव दिए। इन सुझावों को बिहार विधानसभा के अध्यक्ष एंव अन्य नीति निर्माताओं के साथ साझा किया जाएगा।