मायावती ने कहा, ध्यान भटकाने के लिए मंदिर का मुद्दा उठा रही भाजपा और शिवसेना
राज प्रताप सिंह- लखनऊ। बसपा सुप्रीमो मायावती ने शनिवार को केंद्र की भाजपा सरकार और उसके सहयोगी दल शिवसेना पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि अपनी विफलताओं को छिपाने व लोगों का ध्यान भटकाने के लिए दोनों पार्टियां अयोध्या में राम मंदिर का मुद्दा उठा रही हैं। उनके इस छलावे में देश की जनता अब आने वाली नहीं है। उन्होंने इसके साथ ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सक्रिय हो रही भीम आर्मी व ‘यूथ फार मिशन-2019 अगला प्रधानमंत्री बहन जी’ के प्रति अपने समाज के लोगों को सतर्क करते हुए इन संगठनों को विरोधी पार्टियों की साजिश करार दिया।
सुप्रीम कोर्ट में मामला विचाराधीन
मायावती ने शनिवार को दिल्ली में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में चुनाव प्रचार के बाद ऐसा लग रहा है कि भाजपा की सरकार इन दोनों राज्यों में नहीं आ रही है। अपनी कमियों के चलते लोकसभा चुनाव में भी भाजपा केंद्र में सरकार बनाते हुए नहीं दिख रही है। इसीलिए भाजपा, आरएसएस व इनकी सहयोगी पार्टी शिवसेना एक सोची-समझी रणनीति के तहत साधू-संतों को आगे कर राम मंदिर निर्माण कराने का अभियान चलाए हुए है। यह मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। इसलिए इस मामले को सुप्रीम कोर्ट पर ही छोड़ दिया जाना चाहिए।
भीम आर्मी से सचेत किया
मायावती ने अपने समाज के लोगों को भीम आर्मी जैसे संगठनों से दूर रहने और चंदा न देने के प्रति सचेत किया। उन्होंने कहा कि कुछ स्वार्थी लोग हमारी विरोधी पार्टियों के हाथों में खेलकर खासकर ‘भीम आर्मी व बहुजन यूथ फॉर मिशन 2019 अगला प्रधानमंत्री बहन जी’ आदि जैसे अनेकों संगठन उनके नाम पर चंदा एकत्र कर रहे हैं। ऐसे संगठन के लोग विरोधी पार्टियां के हाथों में खेलकर हमारे भोले-भाले एससीएसटी वर्ग के लोगों को अपरकास्ट के खिलाफ करने के लिए मंच से बातें कर रहे हैं, जिससे वो बसपा से दूर हो सके।
अपरकास्ट से कोई भेदभाव नहीं
मायावती ने यह भी साफ किया कि उनका अपरकास्ट यानी सवर्ण समाज के लोगों से लोग नाराजगी नहीं है। बसपा इन्हें भाईचारे के आधार पर अपने साथ जोड़ने का काम कर रही है। उदाहरण देते हुए कहा कि डा. भीमराव आंबेडकर की पहली पत्नी का निधन होने के बाद उन्होंने अपरकास्ट की महिला से दूसरी शादी करके एहसास कराया कि एससीएसटी अपरकास्ट के खिलाफ नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि बसपा अपने संगठन में 50 फीसदी भागीदारी युवाओं को दे रही है। इसलिए अगल से यूथ संगठन बनाने की कोई जरूरत नहीं है।
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