महिलाओं के साथ छेड़छाड़ के मामले न्यायालय की बजाये अधिकरण के पास जाएं- राज्यपाल
– राज्यपाल ने राज्य लोक सेवा अधिकरण के 44 वें स्थापना दिवस का उद्घाटन किया
– अधिकरण में रिक्त पदों पर नये सदस्यों की नियुक्ति का भरोसा
राज प्रताप सिंह
लखनऊ। राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि सरकारी कार्यालय में महिलाओं के साथ होने वाले छेड़छाड़ जैसे अपराध को न्यायालय के पास जाने के बदले अधिकरण के पास जाना चाहिए, जिससे शीघ्रता से निर्णय भी हो सके और बिना वजह उसका प्रचार भी न हो। उन्होंने कहा कि ‘सेक्सुअल हेरेसमेंट आफ वीमेन एट वर्कप्लेस (प्रीवेंशन, प्रोहिबिशन एण्ड रिड्रेसल) एक्ट 2013 को प्रभावी बनाने में राज्य लोक सेवा अधिकरण महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
वह शनिवार को लोकनिर्माण विभाग के विश्वेश्वरैय्या प्रेक्षागृह में राज्य लोक सेवा अधिकरण के 44वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे।लंबित मामले एक बीमारी है, जल्द न्याय मिलना चाहिएउन्होंने कहा कि लंबित मामले एक तरह की बीमारी है। लंबित मामलों का दर्द बहुत खराब होता है। न्याय शीघ्रता से मिलना चाहिए। मुकदमों में तारीख पर तारीख न लगकर पारदर्शिता और शीघ्रता से न्याय प्राप्त हो। उन्होंने कहा कि न्याय शीघ्र और समय पर मिले इसके लिए प्रयास करने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि न्यायिक प्रक्रिया को अधिक डिजिटल बनाना चाहिए। डिजिटल प्रक्रिया से वाद में प्रतिवादी को भी सुविधा मिलेगी। सरकारी कर्मचारी चाहे वह मुख्य सचिव हो या कार्यालय सहायक सभी सरकारी व्यवस्था के लिए रीढ़ की हड्डी के समान होते हैं। राज्य लोक सेवा अधिकरण के द्वारा सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों की समस्याओं के समयबद्ध निस्तारण किये जाने से उनके उत्साह और मनोबल में वृद्धि होगी।
उन्होंने अधिकरण में रिक्त पदों पर नये सदस्यों की नियुक्ति की भी बात कही। सरकार कर्मचारियों की हरसंभव मदद करेगी- बृजेश पाठकविधायी एवं न्याय मंत्री बृजेश पाठक ने कहा कि सरकार की सफलता में कर्मचारियों का महत्वपूर्ण योगदान होता है। राज्य सरकार यदि शरीर है तो कर्मचारी उसकी श्वास की तरह होते हैं। उन्होंने अधिकरण की सराहना करते हुए अधिकरण और सरकार दोनों का उद्देश्य जनता का हित है। उन्होंने सरकार की ओर से हर सम्भव सहयोग का आश्वासन भी दिया।
———————————–ट्रिब्यूनल की शक्तियां बढ़ाने से हाईकोर्ट पर बोझ कम होगान्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल ने कहा कि शुरूआती दौर में ट्रिब्यूनल में बहुत काम था, लेकिन राज्य सरकार ने कानून में बदलाव कर दिया। जिससे ट्रिब्यूनल को स्टे और ट्रांसफर की पावर छिन ली गई। इससे त्वरित न्याय में असर पड़ा। इसके बाद राज्य सरकार कर्मचारियों से संबंधित मामलों को हाईकोर्ट ले जाने लगी।
नतीजतन आज इलाहाबाद उच्च न्यायालय में 80 हजार व लखनऊ खंडपीठ में 45 हजार मामले लंबित है। उन्होंने कहा कि यदि ट्रिब्यूनल को स्टे व ट्रांसफर पर फैसले लेने की पावर मिल जाती है तो हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट पर बोझ कम हो सकता है। उन्होंने प्रदेश के हर जिले में अधिकरण के गठन की मांग की, क्योंकि कर्मचारियों की ज्यादातर शिकायतें स्टे व ट्रांसफर से संबंधित होते हैं।
न्यायाधीशों को शास्त्रों का ज्ञान होना चाहिएन्यायमूर्ति शबीहुल हसनैन ने कहा कि सच्चाई का पता लगाकर निर्णय देना ही न्यायालय का काम है। न्यायाधीशों को शास्त्रों का ज्ञान अर्थात संविधान का ज्ञान होना चाहिए। किसी के कपट को तुरंत पकड़ सकें। मित्र-शत्रु में अंतर नहीं करना चाहिए। न्यायधीश को दुर्बल का मित्र बनना चाहिए। यदि किसी मामले में दो उपाय हो तो सोच-समझकर न्याय करना चाहिए।
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शीघ्र निस्तारण के लिए बेंच बढ़ाये जाने पर विचार न्यायमूर्ति सुनील अम्बवानी ने कहा कि सरकारी कर्मचारी को न्याय मिलना चाहिए क्योंकि सरकार की सफलता के लिए कर्मचारियों का संतोष बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि शीघ्र निस्तारण के लिए बेंच बढ़ाये जाने पर भी विचार किया जाये। कार्यक्रम में अधिकरण के अध्यक्ष न्यायमूर्ति सुधीर कुमार सक्सेना, महिला एवं परिवार कल्याण मंत्री डा. रीता बहुगुणा जोशी सहित कई न्यायमूर्ति एवं अधिवक्तागण शामिल थे।
—————————————राज्यपाल ने रीता बहुगुणा से देर से आने पर टोकाकैबिनेट मंत्री डा. रीता बहुगुणा जोशी विलम्ब से पहुंची तो राज्यपाल ने उनसे देरी का कारण जानना चाहा। इस पर कैबिनेट मंत्री ने ट्रैफिक जाम का हवाला दिया। इस पर राज्यपाल बोले कि मुंबई में जब कोई देर से पहुंचता है तो वह ट्रैफिक जाम का हवाला दे देता है। उन्होंने कहा कि शायद लखनऊ में भी अब ट्रैफिक जाम का बहाना लोग मानने लगे हैं।