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हिमाकत :: खान चौक स्थित एक निजी कोचिंग सरकारी आदेश की उड़ा रही धज्जियां

डेस्क : राज्य सरकार ने प्रदेश के सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को निर्देश दिया है कि सरकारी स्कूल चलने के समय में निजी कोचिंग संस्थान नहीं चलेंगे। लेकिन दरभंगा में इस आदेश की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है और जिला प्रशासन व जिला शिक्षा पदाधिकारी अन्य विभागीय कार्यों में इतने व्यस्त हैं कि उनका ध्यान इस ओर आकृष्ट नहीं हो पा रहा है। इसके अलावे बिना पंजीकृत कोचिंग संस्थान पर कार्रवाई करने का निर्देश भी सरकार द्वारा जारी किया गया है।

सरकारी आदेश का दरभंगा के निजी कोचिंग संस्थान कितना पालन कर रहे हैं यह जानने शनिवार को सुबह 9 बजे के बाद जब स्वर्णिम टीम निकली तो सर्वप्रथम बंगाली टोला गई जहां कई निजी कोचिंग बंद थे. अर्थात बंगाली टोला के कोचिंग संचालक इस आदेश का बखूबी पालन करते देखें गये. 10 बजे करीब स्वर्णिम टीम नाग मंदिर मिश्रटोला पहुंची वहाँ भी कोचिंग संचालक इस आदेश का पालन करते नजर आये. नागमंदिर मिश्रटोला,सर्वोदय उच्च विद्यालय मोगलपुरा के आसपास भी स्थित निजी कोचिंग संस्थान बंद पाये गये. वहीं जब स्वर्णिम टीम सुबह 11 बजकर 40 मिनट पर खान चौक पहुंची तो वहां पर स्थित एक गणित की निजी कोचिंग खुले देखे गये. दो मंजिले इमारत पर स्थित इस कोचिंग संस्थान के ग्राउंड फ्लोर पर कई साईकिलें देखकर जब स्वर्णिम टीम संस्थान के अंदर गई तो देखा कि इस निजी कोचिंग संस्थान में पूरी तरह सरकार के आदेश की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है. 

खानचौक स्थित इस कोचिंग के आसपास के दुकानदारों से जब इस विषय में पूछा गया तो पता चला कि सुबह 9 बजे के बाद भी सभी बैच लगातार इस कोचिंग संस्थान द्वारा चलाई जा रही है. इस निजी संस्थान से महज 3 किमी की दूरी पर समाहरणालय, जिला शिक्षा पदाधिकारी का कार्यालय सहित कई आला अधिकारियों का कार्यालय व सरकारी आवास है फिर भी जिला प्रशासन के नाक के नीचे सरकारी आदेश की अवहेलना की जा रही है और जिला प्रशासन तमाशबीन बनी हुई है. खान चौक स्थित इस गणित के निजी कोचिंग संचालक इस मामले पर कुछ भी प्रतिक्रिया देने से बचते रहे.

गौरतलब है कि सरकार ने कुकुरमुत्ते की तरह उग आये निजी कोचिंग संस्थानों पर नियंत्रण तथा राज्य के छात्रों को बेहतर शिक्षा प्रदान करने के लिए 2010 में बिहार कोचिंग संस्थान (नियंत्रण एवं विनियमन) अधिनियम 2010 लागू किया था. इस अधिनियम के लागू होने के बाद यह कयास लगाया जा रहा था कि निजी कोचिंग संस्थानों द्वारा छात्रों को बेहतर शिक्षा का सब्जबाग दिखा कर रुपये उगाहने की परंपरा कम होगी तथा धीरे-धीरे नियंत्रित हो जायेगी. छात्र-छात्राओं की अभिरुचि पुन: अपने विद्यालय तथा महाविद्यालय में पढ़ने में होगी, लेकिन ठीक इसके उलट निजी कोचिंग संस्थानों के संचालकों तथा कथित शिक्षकों पर इसका कोई असर नहीं पड़ा.फंस रहे हैं भोले-भाले छात्र ज्यादातर निजी कोचिंग संस्थान नौवीं कक्षा से शुरू होकर स्नातक तक के पाठ्यक्रमों व प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी के लिए अपने यहां नामांकन का ऑफर देते हैं. इन संस्थानों के संचालक छात्र-छात्राओं को सब्जबाग दिखा कर उनका आर्थिक शोषण करते हैं. समय की भी बर्बादी होती है. हालांकि छात्र इन बातों को नहीं समझ पाते हैं कि वे किस स्तर के संस्थानों के जाल में फंसते चले जा रहे हैं. मापदंड पूरा नहीं करते निजी कोचिंग संस्थाननिजी कोचिंग संस्थान नियंत्रण के लिए बने कानून का शत प्रतिशत तो दूर, जिले में तीस फीसदी मापदंड भी इन संस्थानों के द्वारा पूरा नहीं किया जा रहा है. कोचिंग संस्थानों का निबंधन, पाठ्यक्रमों का निर्धारण, शिक्षकों के योग्यताओं की जानकारी छात्र-छात्राओं को देना, शिक्षण फीस तथा संस्थानों के लिए वास्तविक आधारभूत संरचना आदि की जानकारी ना तो प्रशासन को दी जाती है और ना ही छात्र-छात्राओं को दी जाती है. इन व्यवस्थाओं की जानकारी से पूर्ण रूप से छात्र-छात्राओं के अभिभावक भी अनभिज्ञ रहते हैं. नहीं बतायी जाती है शिक्षकों की योग्यता कई निजी कोचिंग संचालक तथा शिक्षकों की साझेदारी में जिले में ऐसे संस्थान चलाये जा रहे हैं.

कोचिंग संस्थानों के लिए एक्ट में शर्तें

  • निबंधन के समय संस्थानों को पाठ्यक्रम पूरा कराने की अवधि बतानी होगी
  • अधिकतम छात्र संख्या, शिक्षकों के बायोडाटा का भी उल्लेख करना होगा
  • समुचित बेंच-डेस्क, प्रकाश, पेयजल, शौचालय, जलनिकासी, अग्निशमन, आकस्मिक चिकित्सा,साइकिल-वाहन पार्किंग की सुविधा देनी होगी
  • शिक्षक न्यूनतम स्नातक होंगे
  • व्याख्यान, ग्रुप डिस्कशन की संख्या बतानी होगी
  • कोचिंग संस्थानों को प्रति छात्र न्यूनतम एक वर्गमीटर का वर्गकक्ष रखना होगा

जिले में कई ऐसे निजी कोचिंग संस्थान भी हैं, जो पूंजी हमारी ज्ञान तुम्हारा के तर्ज पर चल रहे हैं. ऐसे कोचिंग संस्थान में पढ़ने वाले छात्रों को शिक्षकों एवं संचालकों की योग्यता की जानकारी नहीं दी जाती है. ऐसा होना उन छात्र-छात्राओं के साथ धोखाधड़ी का मामला बनता है. चूंकि ऐसे शिक्षक या संचालक पढ़ाने के क्रम में विषय की जानकारी उतनी ही रखते हैं, जितना कोचिंग के वर्ग में पढ़ाना होता है, लेकिन यदि कोई छात्र उससे अलग हट कर जानकारी लेना चाहता है तो तथा कथित शिक्षक वह जानकारी नहीं दे पाते हैं. आधारभूत संरचना का भी अभाव कोचिंग संस्थानों की आधारभूत संरचना के अधीन वर्ग कक्ष का न्यूनतम क्षेत्र प्रति छात्र नियमानुसार न्यूनतम एक वर्ग मीटर होना चाहिए. लेकिन कई ऐसे शहरी क्षेत्र के संस्थान हैं, जो बीस से पच्चीस छात्रों को एक छोटे से कमरे में शिक्षा दे रहे हैं. इसके साथ ही समुचित उपस्कर बेंच, डेस्क, पर्याप्त प्रकाश की व्यवस्था, पेयजल, शौचालय, अग्निशमन, आकस्मिक चिकित्सा की सुविधा नियमानुसार नहीं दी जा रही है. शहरी क्षेत्र के कोचिंग संस्थानों द्वारा साइकिल एवं वाहनों की सुविधा नहीं दिया जाना सबसे बड़ी असुविधा है. 

नियमों का उल्लंघन करने पर आर्थिक दंड का है प्रावधान
बिहार कोचिंग संस्थान अधिनियम 2010 के लागू होने के पश्चात संदर्भित नियमों के उल्लंघन करने पर दंड का प्रावधान किया गया है. इसके तहत प्रथम अपराध के लिए 25 हजार रुपये, द्वितीय अपराध के लिए एक लाख रुपये तथा द्वितीय अपराध के बाद निबंधन के लिए गठित समिति जिसमें जिला पदाधिकारी, पुलिस अधीक्षक, जिला शिक्षा पदाधिकारी तथा अंगीभूत महाविद्यालय के प्राचार्य होते हैं उनके द्वारा कोचिंग के विरुद्ध आरोप प्रमाणित होने पर उसका निबंधन रद्द किया जा सकता है. लेकिन ऐसा तभी संभव है, जब निजी कोचिंग संस्थानों का नियमानुसार निबंधित किया गया हो. शिक्षक लगे रहते हैं प्रचार-प्रसार मेंक्षेत्रीय स्तर पर कुकुरमुत्ते की तरह उग आये निजी कोचिंग संस्थानों के तथाकथित शिक्षक अपनी फोटो लगा कर विभिन्न माध्यमों से संस्थान के प्रचार-प्रसार में लगे रहते हैं. तमाम अनियमितता के बावजूद प्रशासन का ध्यान इन पर नहीं जाता है.

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