दरभंगा य अब्दुस समद बिहार के वह पहले साहित्यकार हैं जिन्हें साहित्य अकादमी सम्मान मिला था.तब कलिमुद्दीन अहमद, अख्तर औरेन्वी, सुहैल अजीमआबादी जैसे बड़े साहित्यकार अपनी पहचान बना चुके थे लेकिन साहित्य जगत का सबसे बड़ा सम्मान उस वक्त तक किसी को प्राप्त नहीं हुआ था. यह सिलसिला अब्दुस समद के बाद शुरू हुआ. अब्दुस समद न केवल नॉवेल बल्कि अफसाने की . दुनिया में भी अपनी पहचान रखते हैं. . आज की शाम अब्दुस समद के नाम कार्यक्रम का आयोजन करके हमने उन्हें सम्मानित करने का एक छोटा सा प्रयास किया है बल्कि सही बात तो यह है कि अब्दुस समद ने हमारी दावत कुबूल करके हमें सम्मान से नवाजा है.यह बातें अल-मंसूर एजुकेशनल एंड वेलफेयर ट्रस्ट के सचिव डा. मंसूर . खुश्तर ने आज दिनांक 13 मई 2017 को अल-मंसूर एजुकेशनल एंड वेलफेयर ट्रस्ट के तत्वाधान में एक शाम अब्दुस समद के नाम में सेक्रेटरी रिपोर्ट पेश करते हुए कहीं. कार्यक्रम की अध्यक्षता अंतर्राष्ट्रीय प्रसिद्ध शायर प्रोफेसर अब्दुल मन्नान तरजी ने की जबकि संचालन डा. मुजीर अहमद आजाद और डा. मंसूर खुश्तर ने किया. प्रोफेसर तरजी की यह पंक्तियाँ खूब पसंद की गयीं फंकारे पुखताकार का रखते हैं वो शऊर इस सिंफ का वो बन गए सरमाया-ए-गुरूर प्रो रईस अनवर रहमान पूर्व विभाग अध्यक्ष उर्दू एल.एम्.एन यु. दरभंगा ने विशिष्ट अतिथि के रूप में कहा कि अब्दुस समद इस युग के ऐसे कलाकार हैं जिन्होंने न सिर्फ सामाजिक और राजनितिक विषयों को अपने नावेलों में पेश करने के कोशिश की है बल्कि वे मनुष्य के अन्दर के दुःख-दर्द को भी अपने नौवेलों का विषय बनाते हैं. इस अवसर पर अब्दुस समद ने अलमंसूर ट्रस्ट द्वारा आयोजित कार्यक्रम की प्रशंसा करते हुए हुए ट्रस्ट की गतिविधियों पर प्रसन्ता व्यक्त की. उन्होंने कहा कि दरभंगा की अदबी फजा साजगार है.अता आब्दी ने कि समद का फन जीती-जागती दुनिया से सम्बन्ध रखता है.प्रो मनाजिर आशिक हरगानवी ने अब्दुस समद के नॉवेल उजालों की सयाही के हवाले से बात करते हुए उसे इस युग का एक अहम नॉवेल करार दिया. सय्यद अहमद कादरी ने कहा के अब्दुस समद ने दो गज जमीन जैसा नॉवेल लिख कर उर्दू नॉवेल की दुनिया में एक बड़ा कारनामा अंजाम दिया है.. , मुश्ताक अहमद नूरी, प्रो इसराइल रजा और खुर्शीद हयात ने अपने सन्देश में मंसूर ट्रस्ट की गतिविधियों पर खुशी का इजहार किया और अब्दुस समद के नाम एक खूबसूरत शाम के आयोजन पर ट्रस्ट के सचिव डा. मंसूर खुश्तर को मुबारकबाद पेश की.डा. जमाल ओवैसी ने अब्दुस समद के नौवेलों का विशलेषण करते हुए कहा कि अब्दुस समद इस युग से सब से अलग कहानीकार हैं.. हैदर वारसी ने कहा कि दो गज जमीन अब्दुस समद का वह कारनामा है जो उन्हें हमेशा जिंदा रखेगा. .. डा. आफताब ने कहा की भारत-पाक बटवारे पर यूँ तो हिंदी और उर्दू में कई नॉवेल लिखे गए लेकिन अब्दुस समद का दो गज जमीन की बात ही . अलग है. डा. एहसान आलम ने कहा के अब्दुस समद नॉवेल और अफसाना दोनों में महारत रखते हैं. उनकी अंदाज दुसरे कहानीकारों से बिलकुल अलग है. डा. मुजीर अहमद आजाद ने कहा के समद की कहानियों में सामाजिक और मनोवैग्यानिक दर्क महसूस होता है. कामरान गनी सबा ने कहा कि अब्दुस समद ने प्रोपेगेंडा .की राजनीति से स्वंय को बचाए रखा है. सबा ने कहा कि समद खामोशी के साथ काम करने में विशवास रखते हैं.अजहर नय्यर, आलमगीर शबनम, डा. सय्यद एहतशामउद्दीन , मुस्ताफिज अहद आरफी और एहतशामउल हक ने भी अब्दुस समद के हवाले से अपने प्रतिक्रिया पेश की. डा. इन्तिखाब हाशमी, मुनव्वर आलम राही, मंजरुल हक मंजर सिद्दीकी, इकबाल मुश्ताक, शाहनवाज, डा. अय्यूब राईन, रियाज अहमद खां, मो. हामिद अंसारी, समीर खां, मो अफजल मो. शमशाद की अतिरिक्त बड़ी संख्या में लोगों की मौजूदगी ने कर्क्यक्रम को यादगार बना।
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