अखिलेश को सीबीआई की धमकी से घबराने की जरूरत नहीं -मायावती
राज प्रताप सिंह(उत्तर-प्रदेश राज्य प्रमुख)
बसपा प्रमुख मायावती ने उत्तर प्रदेश में खनन से जुड़े एक लंबित मामले में सीबीआई की जांच के दायरे में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को भी शामिल किए जाने को लेकर लगाई जा रही अटकलों को भाजपा का चुनावी हथकंडा बताते हुए सोमवार कहा कि सपा प्रमुख को इससे घबराने की कोई जरूरत नहीं है।
मायावती की ओर से जारी बयान के अनुसार उन्होंने अखिलेश से टेलीफोन पर बात कर कहा भाजपा द्वारा इस तरह की राजनीति और उनका चुनावी षडयंत्र कोई नई बात नहीं है। यह उनका पुराना हथकंडा है। इसे देश की जनता अच्छी तरह से समझती है। बसपा आंदोलन भी इसका भुक्तभोगी रहा है। इससे घबराने की बात नहीं, बल्कि इसका डटकर मुकाबला करके इस षडयंत्र को विफल करने की जरूरत है।
संसद परिसर में दिखा साथ
संसद परिसर में भी सपा-बसपा का गठबंधन साफ नजर आया। सदन की कार्यवाही स्थगित होने के बाद दोनों दलों के नेताओं ने साझा रूप से मीडिया के सामने आकर सरकार को घेरा। सपा नेता रामगोपाल यादव और बसपा नेता सतीश चन्द्र मिश्रा की अगुवाई में दोनों दलों के नेता मीडिया से मुखातिब हुए और सरकार पर सीबीआई के दुरुपयोग का आरोप लगाया। इनके साझा बयान देने के बाद कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा आए और सपा नेता राम गोपाल यादव के साथ खड़े होकर सीबीआई मामले में सपा का समर्थन किया। गुलाम नबी ने भी केंद्र सरकार पर सीबीआई के दुरुपयोग का आरोप लगाया।
सीबीआई से गठबंधन
सतीश मिश्रा ने कहा कि खनन मामले में अधिकारी के खिलाफ प्राथमिकी है। संबंधित अधिकारी ने आवंटन प्रक्रिया में सरकार द्वारा बनाए गए कानून का उल्लंघन किया है तो इसके लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव कैसे जिम्मेदार हो गए? उनके (भाजपा) सहयोगी उनका साथ छोड़ रहे हैं तथा उनका गठबंधन सीबीआई के साथ हो रहा है।
सपा नेता रामगोपाल यादव ने कहा कि सपा और बसपा नेताओं की मुलाकातभर से भाजपा बौखला गई है और उन्होंने तोते (सीबीआई) से गठबंधन कर लिया। उन्होंने कहा कि यदि उत्तर प्रदेश का कोई मंत्री दिल्ली में संवाददाता सम्मेलन करता है और सीबीआई जांच के लिए कहता है तो इससे क्या निष्कर्ष निकाला जा सकता है? यह उन पर उल्टा पड़ने जा रहा है। भाजपा को उत्तर प्रदेश में पैर रखने की भी जगह नहीं मिलेगी। प्रधानमंत्री को वाराणसी छोड़कर कहीं और से चुनाव लड़ना पड़ेगा।