राज प्रताप सिंह, वाराणसी, लखनऊ ब्यूरो। वाराणसी के जंगमबाड़ी मठ में आयोजित वीरशैव महाकुंभ में पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि किसी भी राष्ट्र का निर्माण सरकार से नहीं होता। राष्ट्र संस्कृति और संस्कार से सृजित होता है। भारत की सही पहचान भावी पीढ़ियों तक पहुंचाने का दायित्व हम सब का है। काशी विश्वनाथ सहित द्वादश ज्योर्तिंग, 52 शक्तिपीठ और वीरशैव संप्रदाय के पांच मठ, सब के सब दिव्य व्यवस्थाएं हैं। इन्हीं दिव्य व्यवस्थाओं के मार्गदर्शन में एक भारत-श्रेष्ठ भारत का निर्माण होगा।
पीएम मोदी ने सिद्धांत शिखामणि ग्रंथ के 19 भाषाओं में अनुवाद और उसके मोबाइल एप का विमोचन भी किया। ‘श्रीसिद्धांत शिखामणि’ साढ़े चार सौ से अधिक पृष्ठों में है। भारतीय दर्शन के विविध पक्षों की समग्रता से परिपूर्ण इस कृति को आठवीं सदी में शिवयोगी शिवाचार्य ने संस्कृत के अनुष्टुप छंदों में की थी। यह रचना जगद्गुरु रेणुकाचार्य द्वारा महर्षि अगस्त्य को दिए गए उपदेश पर आधारित है। समारोह में राज्यपाल आनंदीबेन पटले, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, कर्नाटक के सीएम बीएस येदियुरप्पा भी मौजूद रहे।
जंगमबाड़ी मठ में वीरशैव महाकुंभ में पहुंचे पीएम मोदी, सिद्धांत शिखामणि ग्रंथ और मोबाइल एप का विमोचनप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को वाराणसी दौरे पर पहुंचे। पीएम मोदी सबसे पहले जंगमबाड़ी मठ में हो रहे वीरशैव महाकुंभ में पहुंचे हैं|
जंगमबाड़ी मठ के विश्वाराध्य गुरुकुल के शताब्दी वर्ष के समापन समारोह में जुटे देशभर के वीरशैव को संबोधित करते पीएम मोदी ने कहा कि भारत के लिए यह ऐतिहासिक काल खंड है। दशकों से यथावत बनी समस्याओं का समाधान देश के सामने है। एक तरफ काशी में विश्वनाथ धाम आकार ले रहा है तो दूसरी ओर अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण शुरू होने जा रहा है।सनातनी सिद्धांतों में आस्था रखने वाले भारत के लिए यह दोनों ही बड़े कार्य हैं। यह दो बड़े निर्माण राष्ट्र निर्माण के दो प्रमुख स्तंभ के रूप में स्थापित होंगे। भावनाओं के साथ ही भविष्य को भी ध्यान में रखते हुए अयोध्या की 67 एकड़ भूमि श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास को सौंपने का निश्चय किया है।
पीएम मोदी ने कहा है कि सूखा मुक्त-जल युक्त भारत बनाना हमारा मुख्य ध्येय है। इस निश्चय की प्राप्ति में भारत के एक-एक नागरिक की सहभागिता महत्वपूर्ण है। गंगा जल में अभूतपूर्व सुधार हो अथवा स्वच्छ भारत मिशन की सफलता,यह सब जन सहभागिता से ही संभव हुआ है। गंगा किनारे के शहरों, गांवों और कस्बों में रहने वालों ने जिस प्रकार गंगा के लिए अपने दायित्व का बोध किया है, उसी प्रकार ‘सूखा मुक्त-जल युक्त भारत’ के निर्माण में भी अपनी भूमिका सुनिश्चित करेंगे। यह समय स्वयं को देश के संकल्पों के साथ जोड़ने का है।
पीएम मोदी ने कहा हमें अपने अंदर स्वदेशी भाव भी जगाना होगा। इंपोर्टेट की धारणा को तोड़ते हुए भारत में बनी वस्तुओं को महत्व देना होगा। वर्तमान भारत में वैश्विक स्तर के उत्पाद बनाए जा रहे हैं। एक नागरिक के रूप में हमारा योगदान ही नए भारत की दिशा तय करेगा। यह योगदान क्या, कैसा और कैसे होगा इसका संस्कार संत समाज को जन-जन को देना होगा। ‘विरोध रहितम् शैवम् वीरशैवम्’ के सूत्र वाक्य के अनुरूप ही वीरशैव संत जाति, संप्रदाय, धर्म के विरोध से ऊपर उठकर समाज को विकार से निकालने का आग्रह और नेतृत्व सदियों से करते आ रहे हैं।
पीएम मोदी ने कहा कि यह अद्भुत संयोग है कि आठवीं सदी की कृति ‘श्रीसिद्धांत शिखामणि’ की अनुवादों का पुस्तकीय लोकार्पण ही नहीं हो रहा बल्कि ऐप के माधयम से भी उसे पूरी दुनिया में पहुंचाने का प्रयास हुआ है। नए दशक के शुरुआत में हो रहा यह बदलाव एक संकेत मात्र है। यह दशक ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में भारत को विश्व पटल पर स्थापित करने का दशक है। पुस्तक को 21वीं सदी के अनुरूप तैयार करे इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐप पर ही ‘श्रीसिद्धांत शिखामणि’ पर आधारित राष्ट्रीय स्तर की प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता कराई जाए और हर राज्य से तीन-तीन विजेताओं को पुरस्कृत किया जाए। प्रतियोगिता कराने से लेकर पुरस्कार देने तक का सारा काम आसानी से ऑनलाइन किया जा सकता है।
वीरशैव संप्रदाय समृद्ध परंपरा का प्रतीक : योगी आदित्यनाथ
जंगमबाड़ी मठ में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि वीरशैव संप्रदाय का मूल मंत्र भारत की समृद्ध धार्मिक परंपरा का प्रतीक है। नि:संदेह इस धारा का मूल कर्नाटक में है किंतु वीरशैव दर्शन का केंद्र काशी है। वीरशैव संप्रदाय जाति और धर्म की भावना से ऊपर उठकर भारत के आदर्शों की स्थापना के लिए पांच मठों के माध्यम से सनातन धर्म को मजबूती प्रदान कर रहा है। सीएम ने कहा कि प्रधानमंत्री का यहां आना विराट संत परंपरा के प्रति आदर व्यक्त करना है। विश्वाराध्य गुरुकुल भारतीय गौरव का प्रचारक-प्रसारक है। यही वजह है कि बीते सौ वर्षों से इसकी प्रासंगिकता बनी हुई है और आगे भी बनी रहेगी।
समाज के लिए समर्पित हैं वीरशैव : येदियुरप्पा
जंगबाड़ी मठ में आयोजित समारोह में प्रधानमंत्री का स्वागत करते हुए कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने कहा कि वीरशैव की अवधारणा में समाज का कल्याण निहित है। इस दर्शन ने किसी दूसरे धर्म-दर्शन का खंडन किए बिना अपना मत प्रस्तुत किया है। ‘श्रीसिद्धांत शिखामणि’ उसका प्रमाण है। उन्होंने कहा, जंगमबाड़ी मठ का प्राचीन इतिहास इसकी समृद्ध संत परंपरा का परिचायक है।