सौरभ शेखर श्रीवास्तव की ब्यूरो रिपोर्ट दरभंगा। भूमि अधिग्रहण पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राज्य को जमीन खोने वालों को मुआवजा देना चाहिए। सार्वजनिक सुविधाओं के लिए अपनी जमीन सौंपने वाले जमींदारों को मुआवजा देने के मामले में देश की सर्वोच्च अदालत ने कहा था कि राज्य पर एक कर्तव्य है कि वह उन लोगों को मुआवजा दे जो अपनी जमीन खो देते हैं।
कोर्ट ने बताया कि अनुच्छेद 300-ए कहता है कि कानून की प्रक्रिया का पालन किए बिना किसी नागरिक की संपत्ति छीनी नहीं जा सकती। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले की अवहेलना दरभंगा एम्स हेतु भूमि अधिग्रहण मामले में दिख रहा है। दरभंगा एम्स के पास दरभंगा के पंकज पंजियार की जमीन है लेकिन उनको नोटिस नहीं दिया गया और बहादुरपुर सीओ द्वारा संचालित जमाबंदी रद्द कर दी गई। जिसके बाद अपर समाहर्ता ने इस मामले की सुनवाई करने के बाद बहादुरपुर सीओ को आदेश दिया था कि यह जमीन पंकज पंजियार की है और अविलंब जमाबंदी से संबंधित प्रकिया पूरी करें लेकिन करीब एक वर्ष सीओ ऑफिस का चक्कर काटने के बाद जब यह खबर न्यूज चैनलों पर चली तब सीओ नींद से जागे और अपने वरीय पदाधिकारी को पंकज पंजियार के जमाबंदी मामले में प्रस्ताव भेज दिया।
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https://youtu.be/Xi07E8YxoSU?si=ymUUyUf6ZlLoAeNI
गौरतलब है कि पंकज पंजियार को यह भी नहीं पता कि उनकी जमीन एम्स निर्माण में कितना जा रहा है या नहीं जा रहा है क्योंकि उन्हें कोई नोटिस नहीं दिया गया। बताया गया कि बहादुरपुर सीओ द्वारा 24 जमीन मालिकों की जमाबंदी रद्द कर दी गई। पंकज पंजियार ने बताया कि तीन बिग्घा जमीन में से मुझे नहीं मालूम कि कितना जमीन एम्स के लिए गया है। जो भी जमीन एम्स में गया है उसका मुआवजा शीघ्र मिलना चाहिए।