डेस्क : बिहार में कोरोना से हाल बेहाल है। हर दिन 3 हजार से ज्यादा नए केस सामने आ रहे हैं। उसके बावजूद जिले में कॉलेज खोल दिए गए हैं। कॉलेज खुलते ही छात्र दाखिला के लिए टूट पड़े। राज्य के पैंतीस सौ से ज्यादा इंटर स्तरीय स्कूल और कॉलेज में नामांकन शुरू हो चुका है. इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां भी जम कर उड़ीं। मानो छात्रों में कोरोना का कोई भय ही नहीं है। एडमिशन काउंटर पर बच्चों की इतनी भीड़ देखी जा रही है कि सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों की धज्जियां उड़ रही हैं। कई बच्चों के चेहरे पर मास्क भी नजर नहीं आ रहा है।
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बिहार विद्यालय परीक्षा समिति (BSEB) ने दाखिले के लिए पहली सूची जारी कर दी है, जिसके तहत पहली सूची में चयनित छात्र और छात्राओं को किसी भी हालात में 12 अगस्त तक दाखिला ले लेना है।
राज्य सरकार की ओर से लॉकडाउन में कॉलेज खोलने की अनुमति नहीं दी गई है लेकिन फिर भी भेड़-बकरियों की तरह कॉलेज में बच्चों की भीड़ जमा हो रही है।
दरभंगा के लहेरियासराय में एम के कॉलेज के छात्रसंघ अध्यक्ष मुकुंद कुमार चौधरी ने बताया कि 12 अगस्त तक ही एडमिशन का डेट है। ऐसे में हजारों की संख्या में छात्र-छात्राएं नामांकन कराने कॉलेज पहुंच रहे हैं। कम समय होने के कारण भी दाखिले के लिए काफी भीड़ जमा हो रही है। कई लोग बिना मास्क पहने ही कॉलेज आ रहे हैं। सेनिटाइजेशन की भी कोई व्यवस्था नहीं है। इसलिए बच्चों को कोरोना होने का डर बहुत ज्यादा है।
वहीं कॉलेज छात्रसंघ के परिषद सदस्य रौशन कुमार झा ने कहा के कॉलेज प्रशासन छात्रों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहा है और नामांकन के लिए बनाए गए बोर्ड के नियमों का कॉलेज में पालन नही किया जा रहा है।
दरभंगा NSUI के जिला उपाध्यक्ष सौरव झा ने कहा के कोरोना महामारी को देखते हुए कॉलेज प्रशासन को चाहिए कि छात्रों के स्वास्थ्य का ध्यान रखें और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए नामांकन की व्यवस्था की जाए।
कॉलेज छात्रसंघ कोषाध्यक्ष मो ज़किउल्लाह ने कहा कि एम के कॉलेज के प्रधानाचार्य द्वारा इंटर में नामांकन के लिए छात्रों को कोरोना वायरस से बचाने के लिए सावधानी के मद्देनजर कोई व्यवस्था नहीं कि गयी है और उनके द्वारा बीएसईबी बोर्ड के नियमों की अनदेखी भी की जा रही है।
गौरतलब है कि कोरोना से बचने का सबसे सशक्त माध्यम है सामाजिक दूरी. लेकिन बिहार में इंटर में एडमिशन के दौरान इस नियम का एक तरह से मजाक उड़ाया जा रहा है. छात्रो में दाखिले के लिए उत्सकुता तो है, लेकिन अभिभावकों में इस बात का डर है कि, कॉलेज पहुंचकर दाखिले लेने वाले बच्चे कहीं घर आते समय, कोरोना संक्रमित न हो जाएं.