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जन्मदिन विशेष :: सुपरवाइजर से बने बाॅलीवुड के शहंशाह, रह चुके हैं इलाहाबाद के सांसद बिग बी

picsart_10-11-12-10-48-320x250उ.स.डेस्क : अपनी दमदार आवाज और अभिनय के दम पर दर्शकों को अपना दीवाना बनाने और हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री के ‘शहंशाह’ कहे जाने वाले अमिताभ बच्चन का 11 अक्टूबर 1942 को हुआ था। उनकी कड़ी मेहनत ने आज उन्हें उस मुकाम पर लाकर खड़ा कर दिया है, जहां उन्होंने कभी सोचा भी नहीं होगा। आज उनके जन्मदिन के खास मौके पर जानिए उनसे जुड़ी कुछ खास बातें।

अमिताभ को अपने करियर के शुरुआती दिनों में वह दिन भी देखना पड़ा जब उनकी आवाज को लोगों ने नकार दिया था। फिल्म जगत में अपने करियर के शुरुआती दिनों में अमिताभ बच्चन ने ‘आकाशवाणी’ में भी एनाउंसर पद के लिए आवेदन किया लेकिन वहां काम करने का अवसर नहीं मिला। यहां तक कि फिल्म ‘रेशमा’ और ‘शेरा’ में अपनी अच्छी आवाज के बावजूद उन्हें मूक भूमिका भी स्वीकार करनी पड़ी।
11 अक्टूबर 1942 को इलाहाबाद में जन्में अमिताभ बच्चन ने अपने करियर की शुरुआत कोलकत्ता में बतौर सुपरवाइजर की जहां उन्हें 800 रुपये मासिक वेतन मिला करता था। साल 1968 मे कलकत्ता की नौकरी छोड़ने के बाद मुंबई आ गये।  बचपन से ही अमिताभ बच्चन का झुकाव अभिनय की ओर था और दिलीप कुमार से प्रभावित रहने के कारण वह उन्हीं की तरह अभिनेता बनना चाहते थे।

साल 1969 मे अमिताभ बच्चन को पहली बार ख्वाजा अहमद अब्बास की फिल्म ‘सात हिन्दुस्तानी’ में काम करने का मौका मिला लेकिन इस फिल्म के असफल होने के कारण वह दर्शकों के बीच कुछ खास पहचान नही बना पाये।

निर्माता प्रकाश मेहरा की फिल्म ‘जंजीर’ अमिताभ बच्चन के सिने करियर की महत्वपूर्ण फिल्म साबित हुई। फिल्म की सफलता के बाद बतौर अभिनेता अमिताभ बच्चन फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो गए। दिलचस्प बात यह है कि फिल्म में अमिताभ बच्चन को काम करने का मौका सौभाग्य से ही मिला।
फिल्म जंजीर की सफलता के बाद अमिताभ बच्चन की गिनती अच्छे अभिनेता के रूप में होने लगी और वह फिल्म इंडस्ट्री में ‘एंग्री यंग मैन’ कहे जाने लगे। साल 1975 में यश चोपड़ा के निर्देशन में बनी फिल्म ‘दीवार’ ने अमिताभ की पिछली सभी फिल्मों के रिकॉर्ड तोड़ दिए और ‘शोले’ की सफलता के बाद तो उनके सामने सारे कलाकार फीके पड़ने लगे और अमिताभ फिल्म इंडस्ट्री मे सुपर स्टार के शहंशाह पर जा बैठे।
साल 1984 मे अपने मित्र राजीव गांधी के आग्रह पर उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया और इलाहाबाद से सांसद का चुनाव लड़े तथा सांसद के रूप में चुन लिये गये लेकिन अमिताभ बच्चन को अधिक दिनों तक राजनीति रास नहीं आई और तीन वर्ष तक काम करने के बाद उन्होंने सांसद के पद से इस्तीफा दे दिया। इसकी मुख्य वजह यह थी कि उनका नाम उस समय बोफोर्स घोटाले में खींचा जा रहा था।
अमिताभ बच्चन को सात बार फिल्म फेयर पुरस्कार से नवाजा गया। अमिताभ ने कई फिल्मों में गीत भी गाये है। उन्होंने सबसे पहले साल 1979 मे प्रदर्शित फिल्म मिस्टर नटवर लाल में ‘मेरे पास आओ मेरे दोस्तों’ गीत गाया  था।

सुपर स्टार के रूप मे अमिताभ बच्चन किस उंचाई पर पहंच चुके थे इसका सही अंदाज लोगों को तब लगा जब 1982 में निर्माता -निर्देशक मनमोहन देसाई की फिल्म ‘कुली’ की शूटिंग के दौरान वह गंभीर रूप से घायल होने के बाद लगभग मौत के मुंह मे पहुंच गए थे। इसके बाद देश के हर मंदिर, मस्जिद और गुरुदारे में लोगो ने उनके ठीक होने की दुआएं मांगी मानो अमिताभ बच्चन उनके ही अपने परिवार का कोई अंग हो। लोगो की दुआएं रंग लाई और अमिताभ जल्द ही ठीक को गये।

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