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बिहार :: बिहार विश्व के कवियों को दिशा देने वाली धरती है: केशुभाई देशाई

बीहट (बेगूसराय)धर्मवीर कुमार : सिमरिया धाम सर्व मंगला विद्या पीठ के ज्ञान मंच पर मंगलवार को शास्त्र मंथन राष्ट्रीय संगोष्ठी के अंतिम दिन के विश्व समाज को सिमरिया पुत्र दिनकर की देन विषय पर कुम्भ सेवा समिति द्वारा आयोजित कार्यकम का उद्घाटन सभी आगत अतिथियों ने संयुक्त रुप से किया। कार्यकम का संचालन उमेश मिश्र ने किया। राष्ट्रीय संगोष्ठी विगत 22 अक्टूबर को आरम्भ हुई थी। गोष्ठी को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि सह साहित्य सेवी सह आयकर आयुक्त एमपी एवं छतीसगढ़ आईएएस अधिकारी अभय कुमार सिंह ने कहा की दिनकर मानव का विराट स्वरूप है। दिनकर ने प्रकृति के कई चीजों पर वी विजय प्राप्त किया है निज श्रम से। कहा वह मानव जाति की जो सभ्यता है वह प्रकृति से लड़कर हासिल किया है। दिनकर सनातन और विश्व कवि है। दिनकर साहित्य एक विशाल साहित्य है। लोगों को शब्द प्रदान कर सबल करता है। मानव एवं समाज के लिये सबसे बड़ी सम्पदा शब्द सामथ्र्य है। कहा मानव व समाज की सबसे बड़ी दरिद्रता शब्द सामथ्र्य ही है। कहा प्रकृति ही ईश्वर है। सत्य स्यात केवल आत्मअर्पण है। वहीं गुजरात के प्रख्यात साहित्यकार डा. केशुभाई देशाई ने कहा की बिहार विश्व के कवियों को दिशा देने वाली धरती है। दिनकर कालजयी कवि हैं। उन्हें उनकी कविता अमर कर दी है। दिनकर विश्व के कवि हैं। भले वह सिमरिया में जन्म लिये हो। जिनमें व्यक्तित्व की सभी गुण था। दिनकर के नाम किसी विश्वविद्याय का नाम जुटना चाहिये। वह भी गंगा तट पर विश्वविदालय खोला जाय। वहीं डा. सुभाष चन्द्र राय ने कहा की दिनकर को बनाना बड़ी मुश्किल था और है। कहा आज की दौड़ में ईमान को बेचने को लेकर किया नहीं बिछाते फिरता है। सरकारी सम्पत्तियों की लूट की प्रचलन नेहरू के समय से शुरू हुआ। सत्य बोलना कवि की धर्म होता है। जिसका दिनकर ने सर्वदा पालन किया। कहा की दुनियां के किसी कोने में प्रतिभा हो उनकों हमारी नमन हो कहे हैं दिनकर ने। हम सबको अपना कुटुंब मानते हैं। वहीं नीरज कुमार ने कहा की सिमरिया विश्व की मानस पटल पर है। कहा सिमरिया की पुनर्जागरण हो चुकी है। वहीं पत्रकार पुरूषोतम नवीन ने कहा की राष्ट्र कवि को विश्व कवि कहा जाना चाहिए। भारत अपने आप में एक छोटा विश्व है। दिनकर ने आंचलिक शब्दों को भी राष्ट्र की भाषा हिन्दी एवं कविता में स्थान देकर विश्व की पटल पर पहुंचाया है। कहा हिन्दी साहित्य की कल्पना दिनकर के बिना नहीं की जा सकती है। वहीं सभा को संबोधित करते व स्वागत भाषण करते हुए कहा की डेढ़ करोड़ धर्म प्राण ने गंगा में कुम्भ स्नान कर देश की विलुप्त पांचवे कुम्भ सिमरिया धाम तूलार्क कुम्भ के रुप में स्थापित किया है। कहा जहां भी कुम्भ का आयोजन होती है वहां विद्वत जन द्वारा देश को कई संदेश देते हैं। इसी प्रकार यहां शाश्त्र मंथन राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन कर देश दुनियां को कई संदेश दिया। राष्ट्र कवि दिनकर को दुनियां ने महा कवि के रुप में माना है। वहीं सभा को संबोधित करते हुए घनश्याम झा ने कहा की दिनकर हमारे अभिवावक हैं। वहीं सभी आगत अतिथियों को अंग वस्त्र एवं प्रतीक चिह्न स्वामी चिदात्मन जी महराज ने भेंटकर सम्मानित किया। मौके पर रवीन्द्र ब्रह्मचारी, राज किशोर झा, नित्यानंद, सत्यानंद, नीलमणि, मुन्ना, आभा सिंह, रामाशीष सिंह, मुखिया रंजीत कुमार, रोहित, राहुल सहित अन्य मौजूद थे।

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