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दास्तान :: स्टाम्प विक्रेता का बेटा और जज का भांजा के डाॅन नं.1 बनने की…..

picsart_09-29-02-41-54उ.स.डेस्क : माफिया डाॅन व बाहुबली शहाबुद्दीन का जन्म 10 मई 1967 को सीवान के प्रतापपुर में हुआ। उसके पिता शेख हसीबुल्लाह स्टांप बेचा करते थे।शहाबुद्दीन के मामा मो. मुस्तकीम बक्सर कचहरी में न्यायिक दंडाधिकारी (प्रथम श्रेणी) के पद पर कार्यरत थे। प्रारम्भिक शिक्षा के लिए शहाबुद्दीन को वहीं रखा गया। मामा ने उनका एडमिशन बक्सर हाई स्कूल में नौवीं कक्षा में करा दिया।
शहाबुद्दीन को 10वीं में गणित व विज्ञान पढ़ाने वाले रविशंकर पांडेय को आज भी उनका चेहरा याद है। वे कहते हैं,ये 1979 की बात है शहाबुद्दीन पढ़ने में तेज थे। उनके अनुसार शहाबुद्दीन को उनके मामा खुद भी पढ़ाते थे। मामा उन्हें बड़ा अधिकारी बनाना चाहते थे, लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था।

वो 80 का दशक था जब एक साधारण से घर के स्टांप बेचने वाले पिता का बेटा शहाबुद्दीन सीवान के डीएवी कॉलेज में अपनी पढाई करने पहुंचा। कॉलेज में ही उसने दादागीरी और रंगदारी मांगनी शुरु कर दी थी। यहीं से धीरे-धीरे वह अपराध की दुनिया में कदम रखता गया और यहीं से उसने लिखनी शुरू की अपने अपराध की पटकथाएं। शहाबुद्दीन के खिलाफ पहला मुकदमा 1986 में दर्ज हुआ था।
शहाबुद्दीन की बढ़ती अपराधिक गतिविधियों ने सीवान के हुसैनगंज थाने में उसकी हिस्ट्रीशीट खोलकर रख दी। इसके बाद तो शहाबुद्दीन को अपराध का ऐसा चस्का लगा कि देखते ही देखते उसके अपराधों की लिस्ट उसकी उम्र से बड़ी हो गई।

picsart_09-29-02-34-37आज की तारीख में शहाबुद्दीन पर हत्या, अपहरण समेत 63 मामले दर्ज हैं। सीवान के चर्चित तेजाब कांड के जुर्म में उम्र कैद के साथ साथ शहाबुद्दीन को कई मामलों में 2 से 10 साल तक की सजा मिल चुकी है।
तेजाब कांड के आरोप में शहाबुद्दीन को उम्रकैद की सजा दी जा चुकी है। 2004 में 16 अगस्त को अंजाम दिए गए इस दोहरे हत्याकांड में सीवान के एक व्यवसायी चंद्रकेश्वर उर्फ चंदा बाबू के दो बेटों सतीश राज (23) और गिरीश राज (18) को अपहरण के बाद तेजाब से नहला दिया गया था, जिसके बाद उनकी मौत हो गई थी। इस हत्याकांड के चश्मदीद गवाह चंदा बाबू के सबसे बड़े बेटे राजीव रोशन (36) थे लेकिन मामला की सुनवाई के दौरान 16 जून, 2014 को साढ़े आठ बजे रात में अपराधियों ने राजीव की गोली मारकर हत्या कर दी।
मार्च 1997 में जवाहर लाल नेहरू विवि छात्र संघ के अध्यक्ष रहे चंद्रशेखर को सीवान में तब गोलियों से छलनी कर दिया गया था, जब वह भाकपा माले के एक कार्यक्रम के सिलसिले में नुक्कड़ सभा कर रहे थे।भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के कार्यकर्ता छोटे लाल गुप्ता के अपहरण और हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। 1993 से लेकर 2001 के बीच सीवान में भाकपा माले के 18 समर्थकों को अपनी जान गंवानी पड़ी।
शहाबुद्दीन की अदालत काफी सुर्खियों में रही थी। फरियादी उनके पास आते और वहां से तत्काल न्याय पाते। इस क्रम में उन्होंने फरमान जारी किया कि डॉक्टरों की फीस 50 रुपए होगी। जाहिर है किसी में इस आदेश को नकारने की हिम्मत नहीं थी।
तमाम आलोचनाओं और बाहुबली वाली छवि होने के बावजूद उनके समर्थकों और विरोधियों में ही नहीं बल्कि क्षेत्र के कार्यकर्ताओं में भी शहाबुद्दीन की रॉबिनहुड की छवि बनी हुई है। सीवान के देहाती इलाकों में विकास पुरुष के रूप में जाने जाने वाले शहाबुद्दीन के बारे में कहा जाता है कि उस कार्यकाल में जिस प्रकार से पूरे सीवान का विकास हुआ वह अब तक किसी भी सांसद ने नहीं किया और इसके कुछ प्रमाण भी हैं।maxcare
2004 के चुनाव के बाद शहाबुद्दीन का बुरा वक्त शुरू हो गया जब शहाबुद्दीन के खिलाफ राजनीतिक रंजिश के बढ़ते मामलों के बीच कई मामले दर्ज किए गए। सीवान के प्रतापपुर में पुलिस छापे के दौरान घर से कई अवैध आधुनिक हथियार जिसमें सेना के नाइट विजन डिवाइस और पाकिस्तानी शस्त्र फैक्ट्रियों में बने हथियार बरामद होने के बाद और हत्या, अपहरण, बमबारी, अवैध हथियार रखने और जबरन वसूली करने के दर्जनों मामले में शहाबुद्दीन को कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी।

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