कलाकरों की बजाई गयी बैंड एन्टी रोमियो की जगह अब एन्टी आरकेस्टा अभियान चलाया गया
लखनऊ,रिपोर्टेर: उमेश सैनी।
लखनऊ। एंटी रोमियों अभियान चला कर शादी से पहले आशिकों की नकेल कसने के बाद सूबे की योगी सरकार ने एक साल के भीतर ही विवाहोपरांत होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों की अनुमति लेने का फ़रमान सुना कर आशिकों के साथ-साथ संगीत प्रेमियों पर भी डंडा चला दिया है। ऐसे में मशहूर कवि पद्मश्री डॉ सुनील जोगी की वे पंक्तियाँ याद आ जाती है जो उन्होंने एंटी रोमियों को लेकर सीएम योगी को कही थी। उन मिसरों में डॉ जोगी कहते है – चाहत के समंदर में उतरने नहीं दूंगा, महबूब की गलियों से गुजरने नहीं दूंगा। एक रोमियों से योगी जी ने ये कहा, जो मैंने न किया तुम्हे करने नहीं दूंगा। कुछ ऐसा ही नज़ारा अब तिलक, शादी,या जन्मोत्सव में देखने में आएगा। इस साल फरवरी, मार्च या अप्रैल के किसी भी मांगलिक कार्यक्रम में आप जाएंगे तो आपको मायूसी का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि योगी सरकार ने मांगलिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में साउण्ड तथा समयावधि हेतु अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया है। अब शादी-ब्याह में ना तो “बहारों फूल बरसाओं” सुनने को मिलेगा और ना ही आप डांस करने का लुफ्त उठा सकेंगे। अनुमति की जटिलताओं को देखते हुए आम आदमी सांस्कृतिक कार्यक्रमों को टालना ही उचित समझेगा और इससे मायूसी उन लोगों को होगी जो शादी, मुंडन या रिसेप्शन में बजने वाले आर्क्रेस्ट्रा को बड़े चाव से सुनते आए हैं।
शुक्रवार को राजधानी के प्रेस क्लब में आर्टिस्ट वेलफेयर एसोसिएशन उत्तर प्रदेश के सैंकड़ों कलाकारों ने प्रेस कांफ्रेंस करने के बाद जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को पॉच सूत्रीय मांगपत्र सौंपा। प्रेस क्लब में प्रदेश के लगभग 20 लाख कलाकारों की समस्यायों को रखते हुए एसोशिएसन के अध्यक्ष अंजनी कुमार उपाध्याय ने कहा कि सरकार ने रोज कमाने रोज खाने वाले कलाकारों को फांका करने की ओर बढ़ा दिया है। सांस्कृतिक कार्यक्रमों में साउण्ड तथा समयावधि की अनुमति लेना एक जटिल प्रक्रिया है जिसका सामना साधारण आदमी के बस की बात नहीं है और ऐसे में कलाकारों का भविष्य अंधकारमय होता नज़र आ रहा है।
सरकार यदि रोजगार नहीं दे सकती तो उसे रोजगार छीनने का हक भी नहीं है, ये बातें करते हुए यशभारती से सम्मानित मशहूर ग़ज़ल गायक कमाल खान ने कहा कि सरकार के इस फैसले से करोड़ों लोगों का रोजगार तहस नहस हो जाएगा और इस कदम से कला तथा संस्कृति का भी दम घुट जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी लॉन, बैंक्वेट हॉल, होटलों या सामुदायिक केन्द्रों में अन्य अनुमतियों के साथ साथ साउण्ड की परमीशन लेनी पड़ती है जिसका खामियाजा कलाकार भुगतते हैं क्योंकि आयोजक अनुमति लेने से बेहतर कार्यक्रम को रद्द करना समझते हैं।
साउण्ड तथा समयावधि की प्रक्रिया को सरल बनाने की बात करते हुए मशहूर उदघोषक अबरार अहमद ने कहा कि मुख्यमंत्री को एसोशिएसन ने जो मांगपत्र दिया है उसमें खासतौर पर यह उल्लेख किया है कि अनुमति के लिए सरकार एक पोर्टल बनाएं जिससे कि यह प्रक्रिया आसान हो सके और लोग अॉनलाइन परमीशन ले सके। उन्होंने कहा कि जबतक अॉनलाइन अनुमति की व्यवस्था नहीं हो जाती तब तक सरकार ऐसे छोटे आयोजनों के लिए शिथिलता बरतने का काम करना चाहिए।
राजधानी के मशहूर आर्क्रेस्ट्रा संचालक अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि हम कानफोडू संगीत के पक्ष में नहीं है पर सरकार को चाहिए कि शादी, तिलक, जन्मदिन, नवरात्रि या तीज़ त्यौहारों पर अनुमति लेने की बाध्यता समाप्त करें। उन्होंने कहा कि समारोह में आज भी लोग फायरिंग करते हैं पर सरकार का ध्यान उस ओर नहीं जाता है और गरीब कलाकार के पेट पर आसानी से लात मार दी जाती है। उन्होंने कहा कि ये सही है कि रात 10 बजे के बाद संगीत बजाने की अनुमति लेना आवश्यक हो पर उससे पहले तो सरकार को दिक्कत नहीं होनी चाहिए।
एसोसिएशन के मुख्य सलाहकार सतीश तिवारी ने कहा कि यदि एक हफ्ते में सरकार हमारी मांगो को लेकर उचित कार्यवाही नहीं करती है तो अगले शुक्रवार को हजारों की संख्या में कलाकार हजरतगंज चौराहे पर कटोरा लेकर भीख मांगते हुए विरोध प्रदर्शन करेंगे।
गौरतलब है कि सरकार के इस फरमान से कलाकारों और इस लघु उद्योग से जुड़े करोड़ों लोगों को नुकसान पहुंच रहा है और कहीं ना कहीं इस कदम से कला व संस्कृति को हानि पहुंच रही हैं। बड़े कलाकारों की बात छोड़ दें तो गांव देहात से लेकर पूरे प्रदेश में लाखों की संख्या में ऐसे कलाकार हैं जिनकी जीविका का आधार ही ऐसे छोटे मोटे आयोजन है। ये कलाकार ही है जिनकी मदद से राजनितिक दल चुनाव में अपना प्रचार करवाते है और किसी के नेता के भाषण से पहले भी यहीं कलाकार पब्लिक को बांध कर रखने का काम करते है। आज कलाकारों. की हालत को देख कर सहज ही डॉ सुनील जोगी की उपरोक्त पंक्तियाँ गुनगुनाने का जी करता है की योगी जी जो आपने ना किया वो किसी को करने नहीं देंगे।