पटना (संजय कुमार मुनचुन) : मुजफ्फरपुर कांड में शुरू से ही बिहार सरकार द्वारा और स्थानीय प्रशासन के द्वारा बहुत कुछ छुपाने का प्रयास बिहार की जनता साफ-साफ देख पा रही थी। बार बार शिकायतों के बावजूद बिहार भर के शेल्टर होम, अल्प आवास गृहों, अनाथालयों व बालिका गृहों से मुजफ्फरपुर कांड की ही तरह शिकायतें आ रही थी। गया, पटना, गोपालगंज, भागलपुर जैसे राज्य के सभी बालिका गृहों से शिकायतों व अफवाहों का बाज़ार गर्म हुआ जिन्हें बार-बार जानबूझकर अनसुना करके ठंडे बस्ते में डाला जा रहा था। जो बार बार गाँधी जी को याद करने का ढोंग करते हैं उनके नैतिकता का कथा बाँचते सफेद कुर्ते पर लाल रंग के दाग ही दाग हैं। देश भर की बच्चियाँ उनसे सवाल पूछ रही हैं जिनसे वह भाग नहीं सकते!
अभी 16 फ़रवरी को मुज़फ़्फ़रपुर पास्को कोर्ट ने मुज़फ़्फ़रपुर बलात्कार कांड में दोषी और जेल में बंद एक डॉक्टर अश्विनी की तथ्य आधारित अपील पर बिहार के मुख्यमंत्री से संबंधित मामला सीबीआई को जाँच के लिए अग्रेसित किया है।
नीतीश कुमार स्पष्ट दोषी और सीधे संलिप्त है क्योंकि
1. नीतीश कुमार ने प्रथम दृष्ट्या इस मामले को सिरे से ख़ारिज कर हमारी सीबीआई जाँच की माँग को ठुकराया था? उन्हें किस बात का डर था?
2. जब हमने मुजफ्फरपुर बालिका गृह का दौरा कर वहाँ बच्चियों के साथ किए गए डरावने और अमानवीय कृत्यों को पब्लिक डोमेन में रखकर सरकार पर सदन से लेकर सड़क तक दबाव बनाया तब जाकर दबाव में यह मामला सीबीआई को सुपुर्द किया गया।
3. हमने कहा था इस घिनौने जनबलात्कार कांड में सत्ता प्रतिष्ठान के शीर्ष लोग गंभीर रूप से सम्मिलित है तो किसी ने यक़ीन नहीं किया था। हमने सम्मिलित मंत्रियों की मिलीभगत को उजागर किया। लेकिन तब भी मुख्यमंत्री-उपमुख्यमंत्री तत्कालीन समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा को निर्दोष बता रहे थे परंतु मात्र चंद दिन बाद मीडिया में ब्रजेश ठाकुर की सीडीआर डिटेल्स में उसका पर्दाफ़ाश होने एवं विपक्ष व जनता के नैतिक दबाव के बाद मंजू वर्मा को इस्तीफ़ा देना पड़ा।
4. उसी सीडीआर डिटेल्स में एक और मंत्री की भी Call details थी लेकिन उसे दबा दिया गया। क्या नीतीश कुमार नहीं जानते वह मंत्री कौन है? क्या इसलिए भाजपा कोटे के उस मंत्री को बर्खास्त नहीं किया गया क्योंकि वो सबकी पोल खोल देता? बच्चियों के अनुसार तोंद वाले और मूँछ वाले अंकल कौन थे? क्यों उनकी Call details मिलने के बाद भी आज तक उसकी निशानदेही या गिरफ्तारी नहीं हुई है?
5. मुख्य अभियुक्त ब्रजेश ठाकुर से जेल में चर्चित डायरी बरामद हुई थी जिसमें “पटना वाले बड़े सर” का ज़िक्र था? क्या CBI ने खोज लिया था वह “पटना वाला बड़ा सर” कौन है?
6. क्या CBI जाँच की आँच उस “पटना वाले बड़े सर” के पास पहुँच गयी थी जिसके चलते सीबीआई के तत्कालीन निदेशक ने तबादला नहीं करने के कोर्ट आदेश के विपरीत जाकर , कोर्ट की अवमानना कर सीबीआई के तत्कालीन अनुसंधानकर्ता एसपी का बिना कारण बताए अचानक तबादला कर दिया था ताकि वो “पटना वाले बड़े साहब” बच सके? क्या यह मामला संदेहास्पद नहीं है क्योंकि सीबीआई निदेशक स्तर का अधिकारी किसी बड़े व्यक्ति को बचाने के लिए ही कोर्ट की अवमानना करने का जोखिम उठायेगा? बाद में उस अधिकारी को अवमानना का दोषी क़रार कर माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने दी?
7. नीतीश कुमार ने बाद में केस में सीबीआई जाँच में सहयोग करने वाली तत्कालीन ज़िला पुलिस अधिकारी श्रीमती हरप्रीत कौर को सम्मानित करने की बजाय उनका तबादला कर दिया? वो केस से संबंधित सभी जानकारियाँ जुटा रही थी तो क्यों उन्हें मुज़फ़्फ़रपुर से आनन-फ़ानन में हटाया क्या? मुख्यमंत्री जवाब दें?
8. नीतीश कुमार ने IPRD मंत्री की हैसियत से ब्रजेश ठाकुर के बिना circulation के विभिन्न अख़बारों को लगातार वर्षों तक करोड़ों-करोड़ के विज्ञापन क्यों दिए? क्या इस दृष्टिकोण से भी सीबीआई को मुख्यमंत्री के ख़िलाफ़ जाँच-पड़ताल नहीं करनी चाहिए?
9. क्या नीतीश कुमार ब्रजेश ठाकुर के घर उसके बेटे के जन्मदिन की पार्टी में नहीं गए थे? क्या नीतीश कुमार ने ब्रजेश ठाकुर के पक्ष में प्रचार नहीं किया था? क्या नीतीश कुमार के ब्रजेश ठाकुर से आत्मीय संबंध नहीं थे?
10. नीतीश कुमार ने गृहमंत्री की हैसियत से इस मामले में हस्तक्षेप कर मामले को टालने की हरसंभव कोशिश की। TISS की रिपोर्ट आने के दो माह तक भी मुजफ्फरपुर कांड के मुख्य अभियुक्त ब्रजेश ठाकुर पर उन्होंने कारवाई क्यों नहीं की? अनाथ 34 बच्चियों के जनबलात्कार के मुख्य अभियुक्त ब्रजेश ठाकुर को सत्ता पक्ष द्वारा हर कदम पर बचाने, देरी करने, सबूतों को मिटाने की कोशिश बार-बार किसके इशारे पर हुई। मुख्यमंत्री बताए ऐसी किन बातों का ब्रजेश ठाकुर राजदार है कि उन्हें सत्ता पक्ष द्वारा उसे संरक्षण प्रदान किया जा रहा था?
11. क्यों ब्रजेश ठाकुर को इतने लंबे समय तक मुख्य आरोपी नहीं बनाया गया? इतने लंबे समय तक क्यों उसके विरुद्ध एफआईआर तक दर्ज नहीं किया गया? जब उसे गिरफ्तार किया गया तब उसके पास फोन कैसे रहने दिया गया? इस दौरान उसने किस-किस से बात की यह जांच क्यों नहीं किया गया?
12. ब्रजेश ठाकुर को जेल में रहते हुए मोबाइल प्रयोग करने की अनुमति किसने दी? और जेल में रहते हुए उसने पटना में किन-किन नेताओं और अधिकारियों से संपर्क किया यह सब गृह मंत्री होने के नाते मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जानते थे और जानते है।
13. क्यों पीड़ित बच्चियों को TISS की रिपोर्ट आते ही दोषियों पर कारवाई करने की बजाय ग़ायब किया और दूसरे स्थानों पर पहुँचाया गया?
14. पीड़ित बच्चियाँ मधुबनी के बालिका गृह ले जाने के क्रम में गायब कैसे हो गईं? कुछ की हत्या भी करवा दीं गईं? क्या नीतीश कुमार नहीं जानते थे उनका सबसे नज़दीकी नेता का PA उस बालिका गृह का संचालक था? जिसे सरकार सुरक्षित बता रही थी?
15. बृजेश ठाकुर के पास जो लाल डायरी बरामद की गई उसके कई पन्ने फाड़ दिए गए! यह पन्ने किसने फाडे यह देश जानना चाहता है? क्या संबंधित दस्तावेजों को गायब करने व मिटाने के लिए नीतीश कुमार ने स्थानीय प्रशासन को समय नहीं दिया? वह कौन केंद्रीय मंत्री था जो ब्रजेश ठाकुर के हक में जांच घुमाने के लिए सीबीआई और तत्कालीन ज़िला पुलिस अधीक्षक पर दबाव बना रहा था?
16. माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा नीतीश सरकार को कड़ी फटकार लगाने के बाद और इस पूरी घटना पर “State Sponspored, अमानवीय, भयावह, दुर्भाग्यपूर्ण, दुर्लभ, डरावना” जैसी कड़ी टिप्पणियों देने के बाद भी क्या नीतीश कुमार की कुख्यात नैतिकता और कथित अंतरात्मा जाग रही है?
17. 34 नादान बच्चियों की कराह और पीड़ा पर नैतिकता और अंतरात्मा जगाने की बजाय अवसरवादी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जघन्य जनबलात्कार करने वाले दरिंदो को बचाने में मशगूल थे? क्या उन्हें ऐसी सत्ता संरक्षित ऐसे कुकृत्य पर इस्तीफ़ा नहीं देना चाहिए?
18. नीतीश कुमार बिना जांच के ही दूसरे राजनेताओं से इस्तीफे की अपेक्षा करते हैं पर आज उन पर इतने घृणित आरोप लग रहे हैं आज उनकी अंतरात्मा क्यों नहीं जाग रही है क्यों दोहरे मापदंड का वह बेशर्मी से प्रदर्शन कर रहे हैं?
बिहार :: तेजस्वी द्वारा खाली किए बंगले में सुमो की इंट्री, अंदर का नजारा देख दंग रह गए डिप्टी सीएम https://t.co/ZcbGA2v9Us
— Swarnim Times (@swarnim_times) February 19, 2019
क्यों माननीय मुख्यमंत्री ने इतना घृणित कांड उजागर होते ही तुरंत इस्तीफा नहीं दिया? क्या उनकी कोई नैतिक जवाबदेही नहीं बनती है?
हमारी माँग है कि मुज़फ़्फ़रपुर पास्को कोर्ट द्वारा डॉक्टर अश्विनी की जिस अपील को आगे CBI को संबंधित जाँच के लिए अग्रेसित किया गया है उसपर CBI अविलंब जाँच शुरू करे।
अगर नीतीश कुमार जी इस मामले में निर्दोष, नैतिकता के धनी और पाक-साफ़ है तो उन्हें स्वयं CBI से अपनी भूमिका की जाँच के लिए आवेदन करना चाहिए। अगर वो ऐसा नहीं करते है तो स्पष्ट है की इस पूरे प्रकरण में उनकी संलिप्तता है।
हम बिहार के मुख्यमंत्री की बर्ख़ास्तगी की माँग करते है। वैसे भी राज्य और केंद्र में इनकी सरकार है और CBI तोता इनके गिरफ़्त में है फिर डरकर जाँच से भाग क्यों रहे है?