पटना (संजय कुमार मुनचुन) : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज नालंदा जिले के सिलाव अंचल स्थित बड़गाँव में नालंदा खुला विश्वविद्यालय, नालंदा के प्रस्तावित विभिन्न भवनों के निर्माण कार्य का शिलान्यास रिमोट के माध्यम से शिलापट्ट का अनावरण कर किया। नालंदा खुला विश्वविद्यालय के प्रस्तावित भवनों का निर्माण 89 करोड़ रुपये की लागत से 40 एकड़ भूमि में होना है।
मुख्यमंत्री ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का विधिवत शुभारम्भ किया। नालंदा खुला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 रवींद्र कुमार सिन्हा ने मुख्यमंत्री को पुष्प-गुच्छ, अंगवस्त्र एवं प्रतीक चिन्ह भेंटकर उनका अभिनंदन किया। मुख्यमंत्री सहित मंच पर मौजूद अतिथियों ने नालंदा खुला विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार एग्जामिनी श्री एस0पी0 सिन्हा द्वारा लिखित नालंदा खुला विश्वविद्यालय के इतिहास पर आधारित पुस्तक का विमोचन किया।
समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि 32 सालों बाद यहाँ नालंदा खुला विश्वविद्यालय की आधारशिला रखी गयी, इसकी मुझे बेहद खुशी है। नालंदा खुला विश्वविद्यालय बनाने को लेकर वर्ष 1987 में ही अध्यादेश जारी किया गया था। उस समय से आज तक यह विश्वविद्यालय पटना के विस्कोमान भवन में किराए पर चल रहा है, जिससे वर्तमान में करीब डेढ़ लाख विद्यार्थी जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 डॉ0 आर0के0 सिन्हा को डॉलफिन सिन्हा के नाम से भी जाना जाता है। इन्होंने गंगा की अविरलता और निर्मलता के लिए काफी अभियान चलाया है। इन्हीं के सुझाव और मेरे प्रस्ताव पर डॉलफिन को राष्ट्रीय जल पशु घोषित किया गया इसलिए मुझे पूरा भरोसा है कि वे नालंदा खुला विश्वविद्यालय को भी अच्छे ढंग से चलाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि नालंदा खुला विश्वविद्यालय के माध्यम से निजी और सरकारी सेवा में लगे लोगों के साथ ही पढाई में रुचि रखने वाले सजायाफ्ता लोग भी अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए यहाँ अपना नामांकन कराते हैं। ऐसे लोगों के लिए यहाँ विशेष सुविधा उपलब्ध है इसलिए इस विश्वविद्यालय का काफी महत्व है।
उन्होंने कहा कि सब डिवीजन स्तर पर हमलोगों ने डिग्री कॉलेज खोलने का निर्णय लिया है और 18 सब डिवीजन ऐसे हैं, जहाँ डिग्री कॉलेज नहीं है, वहाँ हमलोगों ने डिग्री कॉलेज स्थापित करने का निर्णय लिया है। हमलोगों ने तय किया है कि नालंदा खुला विश्वविद्यालय के माध्यम से वैसे सभी ब्लॉकों में इस विश्वविद्यालय का अध्ययन केंद्र स्थापित किया जाएगा, जहाँ डिग्री कॉलेज नहीं है। मुख्यमंत्री ने कहा कि नवंबर 2005 में हमारी सरकार बनी, उसी समय से ही हमलोगों ने शिक्षा के विकास के लिए अनेक कदम उठाये। हमने आंकलन कराया तो पता चला कि 12.5 प्रतिशत बच्चे स्कूलों से बाहर हैं, जिसे देखते हुए 21 हजार नए स्कूलों की स्थापना करायी गयी। पुराने स्कूलों में नए क्लास रूम का निर्माण कराने के साथ ही 3 लाख से अधिक शिक्षकों का नियोजन किया गया। इसके बाद पुनः आंकलन कराया तो पता चला कि सबसे अधिक महादलित और अल्पसंख्यक समुदाय के बच्चे स्कूलों से बाहर हैं। उन्होंने कहा कि बच्चों को स्कूल पहुँचाने के लिए 30 हजार लोगों को लगाया गया। महादलित के बच्चों को स्कूल पहुंचाने के लिए टोला सेवक और तालिमी मरकज बनाकर अल्पसंख्यक समुदाय के बच्चों को शिक्षा स्वयं सेवकों के माध्यम से विद्यालय पहुंचाया गया, जिसका नतीजा हुआ कि अब एक प्रतिशत से भी कम बच्चे स्कूलों से बाहर हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि गरीबी के कारण माता-पिता अपनी बेटियों को प्रारंभिक शिक्षा के बाद छठी क्लास में नहीं भेजते थे क्योंकि वे अपनी बच्चियों के लिए अच्छे कपड़े खरीदने में असमर्थ थे, जिसे देखते हुए मिडिल स्कूल में पढ़ने वाली लड़कियों के लिए बालिका पोशाक योजना शुरू की गई। इसके बाद हमने सोचा कि सिर्फ आठवीं क्लास तक लड़कियों के पढ़ने से काम नहीं चलेगा, कम से कम उनकी पढ़ाई मैट्रिक तक की होनी चाहिए। इसके लिए हमने 9वीं क्लास में पढ़ने वाली लड़कियों के लिए साइकिल योजना की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि 2008 में जब हमने साइकिल योजना की शुरुआत की, उस समय 9वीं क्लास में पढ़ने वाली लड़कियों की संख्या 1 लाख 70 हजार से भी कम थी, जो अब बढ़कर 9 लाख के करीब हो गई है। जब लड़कियां समूह में साइकिल चलाती हुईं स्कूल जाने लगीं तो इससे लोगों की मानसिकता में बदलाव आया और पूरा परिदृश्य ही बदल गया। लड़कियों का सशक्तिकरण हुआ और उनके अरमानों को पंख लग गये। उसके बाद जगह-जगह से लड़कों ने भी मांग शुरू की, जिसे देखते हुए लड़कों को भी साइकिल योजना का लाभ दिया जाने लगा। उन्होंने कहा कि अब तो मिडिल स्कूल में कहीं-कहीं लड़कियों की संख्या लड़कों से ज्यादा है और हाई स्कूल में लड़कियों की संख्या लड़कों के बराबर है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इंटर के बाद आगे की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों की संख्या बिहार में काफी कम थी, जिसके कारण बिहार का ग्रॉस एनरोलमेंट रेशियो 13.9 था, जबकि देश का औसत 24 प्रतिशत है। बिहार ज्ञान की भूमि रही है इसलिए हमने ग्रॉस एनरोलमेंट रेशियो को राष्ट्रीय औसत से भी आगे 30 प्रतिशत तक ले जाने का लक्ष्य तय किया है। इसके लिए हमने सात निश्चय योजना की शुरुआत कर स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड के माध्यम से इंटर से आगे की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों के लिए 4 लाख रुपये तक के शिक्षा ऋण का प्रावधान कराया। बैंकों के ढुलमुल रवैये के कारण राज्य शिक्षा वित्त निगम बनाकर 4 प्रतिशत के साधारण ब्याज पर शिक्षा ऋण मुहैया कराया जा रहा है ताकि उच्च शिक्षा की ओर अधिक से अधिक बच्चे आकर्षित हो सकें। इसमें लड़कियों, दिव्यांगों एवं ट्रांसजेंडरों को केवल एक प्रतिशत ब्याज पर यह ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है। समारोह में शामिल लोगों से आग्रह करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आप सभी अपने बच्चों को पढ़ाइये। उन्होंने कहा कि स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना के माध्यम से मिलने वाले ऋण को छोटे-छोटे किश्तों में लौटाना है और अगर उच्च शिक्षा हासिल करने के बाद भी रोजगार नहीं मिलता है तो ऐसी स्थिति में उनका ऋण भी माफ किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रजनन दर में कमी लाने के लिए प्रत्येक पंचायत में प्लस टू स्कूल खोलने का निर्णय लिया गया और 2000 पंचायतों में हाई स्कूल को उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में उत्क्रमित किया गया है, जो शेष पंचायतें हैं, उस दिशा में काम आगे बढ़ रहा है। संबोधन के क्रम में मुख्यमंत्री ने बिहार शैक्षणिक आधारभूत संरचना निगम लिमिटेड के अधिकारियों से कहा कि 15 अगस्त 2020 तक नालंदा खुला विश्वविद्यालय के भवनों का निर्माण कार्य और फर्निशिंग का काम पूरा करा दें तो मुझे खुशी होगी। इस पर अधिकारियों ने 15 अगस्त 2020 तक भवनों का निर्माण कार्य पूरा कराने के प्रति मुख्यमंत्री को आश्वस्त किया। उन्होंने कहा कि माना जाता है कि बख्तियारपुर में ही कैम्प करके बख्तियार खिलजी ने नालंदा विश्वविद्यालय को ध्वस्त कराया था। उसी बख्तियारपुर के वासी भी नालंदा विश्वविद्यालय को पुनर्स्थापित कराने के प्रति संकल्पित हैं। यहॉ नव नालंदा महाविहार भी है और अब इस धरती पर नालंदा खुला विश्वविद्यालय भी स्थापित हो रहा है।
नालंदा खुला विश्वविद्यालय को एनएमईआईसीटी, एक जिगाबाइट की मेमोरी से जोड़ा गया है। यह विश्वविद्यालय तेज गति से चलने वाले इंटरनेट से जुड़ गया है। उन्होंने कहा कि इग्नू के लिए भी हमलोगों ने ही जमीन दी है, जिसका भवन 5 दिन पहले बनकर पटना के मीठापुर में तैयार हुआ है। इग्नू से 40 हजार विद्यार्थी जुड़े हुए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि नालंदा खुला विश्वविद्यालय के लिए और भी जमीन की आवश्यकता होगी तो राज्य सरकार मुहैया कराएगी। अब तक इस विश्वविद्यालय को राज्य सरकार से किसी अनुदान की जरूरत नहीं पड़ी है। विश्वविद्यालय की जमीन और भवन के लिए हमलोगों ने पैसे दिये हैं और जब भवन बनकर तैयार हो जाएगा तो उसका रखरखाव करना आवश्यक होगा। इसके लिए राज्य सरकार प्रतिवर्ष अनुदान सुनिश्चित कर देगी, जिसके ब्याज से आप काम करते रहेंगे ताकि नालंदा विश्वविद्यालय की तरह ही नालंदा खुला विश्वविद्यालय की ख्याति हो। उन्होंने कहा कि एक भी बच्चा अनपढ़ नहीं रहे क्यांकि पढ़ेगा तभी आगे बढ़ेगा। समारोह में शामिल लोगों से आह्वान करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राजनीतिक बातें सुननी है तो 3 मार्च को पटना के गांधी मैदान में आयोजित संकल्प रैली में जरूर हिस्सा लें। उन्होंने कहा कि समाज मे सहिष्णुता, सद्भाव और आपसी भाईचारा कायम रहेगा, तभी समाज आगे बढ़ेगा और विकास का पूरा लाभ आप सब को मिलेगा इसलिए हर हाल में शांति का वातावरण कायम करने में आप सभी अपनी महती भूमिका निभाएं।
समारोह को उप मुख्यमंत्री श्री सुशील कुमार मोदी, शिक्षा मंत्री श्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा एवं नालंदा खुला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 डॉ0 रवींद्र कुमार सिन्हा ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर ग्रामीण विकास मंत्री श्री श्रवण कुमार, ग्रामीण कार्य मंत्री श्री शैलेश कुमार, सांसद श्री कौशलेंद्र कुमार, विधायक श्री जितेंद्र कुमार, विधायक श्री सुनील कुमार, विधायक श्री चन्द्रसेन जी, विधान पार्षद श्रीमती रीना यादव, मुख्यमंत्री के परामर्शी श्री अंजनी कुमार सिंह, अपर मुख्य सचिव श्री आर0के0 महाजन, नालंदा खुला विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्रो0 कृतेश्वर प्रसाद सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति, नालंदा खुला विश्वविद्यालय के शिक्षकेतर, कर्मचारी, विद्यार्थी एवं आमलोग उपस्थित थे।