विमलेश तिवारी (लखनऊ):: यूपी की राजधानी के तहसील में बने गौशालाओं की स्थिति ठीक नहीं है कहीं- पर छाया की व्यवस्था नहीं है जिससे इतनी कड़ी धूप में भी जानवरों को धूप में बैठना पड़ता है वही चारों तरफ गहरा गड्ढा खुदा होने के कारण कमजोर जानवर बाहर निकलने के लिए उसमे गिर जाते हैं निकलना पाने की स्थिति में उनकी मौत हो जाती है या तो भयंकर चोट लग जाती है जिससे असमय मौत के मुंह में समा जाते हैं आए दिन ऐसी दुर्घटनाएं होना आम है इस प्रकार असमय मौत के मुंह में पहुंचना बेहद कम चारा पानी मिलने के कारण जानवरों की अत्यधिक संख्या भी इनकी मौत का कारण बन रही है पर्याप्त बजट होने के बावजूद भी आखिर ये खेल कौन करवा रहा है पीने के पानी के लिए खुदे तालाब पानी बहुत ही कम मात्रा में तथा गंदा भरा रहता है जिससे जानवरों को पीने की पानी से जूझना पड़ रहा है जानवर जब तालाब में पानी पीने के लिए जाते हैं तो या वह कीचड़ में फंस जाते हैं और निकल नहीं पाते हैं या तो यदि देख लिया गया तो ठीक है नहीं तो उनकी मौत होना स्वाभाविक है जानवरों की स्थिति बेहद कमजोर है कुल मिलाकर इस प्रकार से चलाई गई कत्लखाने के मानिंद चल रही है इटौंजा क्षेत्र के ग्राम पंचायत ढिलवांसी मे जानवरों के लिए बनाई जा रही चारा डालने के लिए मानकों के विपरीत पीले ईद का प्रयोग किया जा रहा है इतना ही नहीं कुछ नाबालिक बच्चों से भी काम कराया जा रहा है जो कक्षा 5 वा चार के छात्र हैं बाल श्रम प्रतिबंधित होने के बावजूद भी यहां पर देखा जा रहा है साफ सफाई के अभाव में जानवर बीमार पड़ रहे हैं जिससे उनकी मौतें हो रही हैं वहीं ग्राम पंचायत भगवतीपुर में जानवरों की संख्या 300 के लगभग है वहां पर भी कमोबेश यही स्थिति है छाया की व्यवस्था जानवरों के हिसाब से कहीं भी नहीं है गहरी खाई कूदी होने के कारण जानवर उसमें निकलने की फिराक में अक्सर गिर कर मर रहे हैं बेहद गंदगी देखने को मिली तालाब में पानी पीने के लिए गाय तालाब में गिर गई और घंटों पानी में पड़ी रही कुल मिलाकर के गौशालाओं की स्थिति ठीक नहीं है शासन की मंशा के अनुरूप कहीं भी गौशालाओं की देखभाल नहीं हो पा रही है वहीं भगवतीपुर के प्रधान का कहना है कि बजट नहीं मिल पा रहा है जिसे सारी वस्तुएं उधार खरीदनी पड़ रही है देखभाल करने के लिए लगे लोगों का पैसा भी देने में दिक्कतें आ रही हैं सरकार द्वारा बजट समय से नहीं दिया जा रहा है जानवर मरने पर भी उसको उठाने के लिए पैसा देना पड़ता है महज ₹500 के लिए जानवरों के उठाने से प्रधान की कहासुनी देखने को ही मिली वहीं सरकार द्वारा बताया जा रहा है कि हम बजट पूरा दे रहे हैं कहीं बजट की कोई कमी नहीं है तो आखिर यह स्थिति क्यों उत्पन्न हो रही है प्रधानों के लिए सिरदर्द बनी गौशाला की योजना जो कि उनके द्वारा बताई जा रही है क्या कहते हैं जिम्मेदार
बीडीओ अरुण कुमार ने बताया कि जानकारी मिली है कि पशुओं के ज्यादा हो जाने के कारण छांव की व्यवस्था नहीं हो पाई छांव की व्यवस्था कराई जा रही है जिसे पशुओं को दिक्कत ना हो
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