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प्रतिबंधित औषधीय वृक्ष नीम के पेड़ों पर दिन के उजाले में चला आरा वहीं विभाग बना अंजान

सरकार के पर्यावरण बचाव के अभियान को पतीला लगा रहा वन विभाग

विमलेश तिवारी (बीकेटी/लखनऊ) :: राजधानी के बख्शी का तालाब थाना अंतर्गत ग्राम पंचायत शिवपुरी में प्रतिबंधित औषधीय पेड़ नीम काटने का मामला प्रकाश में आया है एक ओर जहां सरकार पर्यावरण  प्रदूषण को मिटाने के लिए कटिबद्ध है और प्रत्येक दिन वृक्षारोपण कराया जा रहा है वहीं बख्शी का तालाब में 5900 तथा इटौंजा में 22,000 पेड़ लगाने का लक्ष्य है। वही लकड़ी काटने वाले लोग बिना वन विभाग के परमिशन के दिन के उजाले में करीब 11:00 बजे दोपहर में पेड़ कैसे काट सकते हैं

जब तक मामला पुलिस वन विभाग के संज्ञान में न हो ऐसा होना असंभव लगता है। क्योंकि क्षेत्र में यदि आम आदमी अपनी जरूरत के लिए पेड़ की एक टहनी भी काटता है तो वह वन विभाग के लोगों को व पुलिस के लोगों को पता चल जाता है।

वहीं दोपहर मैं प्रतिबंधित औषधीय नीम के 6 पेड़ो पर दिन के उजाले में आरा चलता रहा और इन दोनों विभागों को पता कैसे नहीं चला सोचने वाली बात है। वही क्षेत्रीय वन दरोगा से पूछने पर पता चला कि वह इस घटना से अनभिज्ञ हैं ऐसा कैसे संभव हो सकता है बिना इन लोगों की संलिप्तता के यह संभव ही नहीं है। पूर्व में भी ऐसी बहुत सारी घटनाएं हो चुकी हैं इन्हें शायद सत्ता वा सरकार का कोई डर नहीं है।

एक ओर सरकार से भारी भरकम वेतन उठाने के बावजूद पर्यावरण को प्रदूषित कराने में कहीं ना कहीं वन विभाग का हाथ जरूर होता है। खबर वायरल होने के बाद क्षेत्र के इंचार्ज साहब मौके पर पहुंचकर मुआयना किए 4 पेड़ों की जानकारी देते हुए बताया 20000 रूपये का जुर्माना लगाया गया है।वहीं औषधीय वृक्ष नीम जो प्रतिबंधित की श्रेणी में आता है दिन के उजाले में कट जाता है तब जाकर वन विभाग के अधिकारियों को पता लगता है एक तरफ जिलाधिकारी उपजिलाधिकारी क्षेत्र में पर्यावरण प्रदूषण को संतुलित करने के लिए जहां दिन रात एक किए हुए हैं वहीं मुख्यमंत्री के द्वारा भी वन क्षेत्रफल को बढ़ाने के लिए हर वर्ष विशेष कार्यक्रम चलाकर पेड़ों को लगाने के लिए विभागों व जनता को प्रोत्साहित करते रहते हैं इस वर्ष भी 22 करोड़ पेड़ लगाने का लक्ष्य मुख्यमंत्री द्वारा रखा गया है जिसमें लखनऊ जिले मे 25 लाख का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। वहीं वन विभाग की प्रमुख सचिव कल्पना अवस्थी ने भी बन क्षेत्रफल को बढ़ाने के लिए वन विभाग के कर्मचारियों को व प्रधानों की एक मीटिंग बुलाई थी तथा स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से भी वन क्षेत्रफल को बढ़ाने के लिए लोगों से आवाहन किया था लेकिन जब वन विभाग उनके आदेशों की अवहेलना करें तो यह कैसे संभव होगा वन क्षेत्रफल कैसे बढेगा विचारणीय प्रश्न है जो सोचने पर मजबूर कर रहा है जब विभाग ही अनजान बनेगा तो शासन द्वारा निर्धारित लक्ष्य कैसे प्राप्त हो सकेगा यह तो समय ही बताएगा।

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