राज प्रताप सिंह (लखनऊ) :: राजधानी में बृहस्पतिवार को वर्ल्ड पॉपुलेशन डे के उपलक्ष्य पर केजीएमयू के इन्सेट्यूट ऑफ पैरामेडिकल साइंस द्वारा एक सेमिनार का आयोजन किया गया जिसमे जनसंख्या नियंत्रण को लेकर गर्भनिरोधक के नए तरीको पर चर्चा की गई। इस मौके पर केजीएमयू के पैसामेडिकल डीन डॉ. विनोद जैन तथा के.के. इंस्टीट्यूट ऑफ़ नर्सिंग की डॉ.अनीता सिंह ने केजीएमयू में पढ़ाई कर रहे छात्र छात्राओं को जनसंख्या नियंत्रण के कई तरीक़ो के बारे में विस्तार से बताया। वहीं इस मौके पर बोलते हुए डॉ.अनीता ने कहा की आज का जो सेमिनार था वह वर्ल्ड पॉपुलेशन डे के उपलक्ष्य पर रखा गया था जिसका मकसद था की गर्भनिरोधक साधनो में क्या कुछ नया आया है जिसकी जानकारी सबसे साझा की जाए ताकि आने वाले समय में भारत जो की जनसंख्या की समस्या से जूझ रहा है उसको नियंत्रण किया जा सके। साथ ही उन्होंने कहा की जो नए कपल्स हैं वह भी आज आपस में बात करने में शरमाते हैं लोगो में जागरुकता की कमी है लोगो को यही लगता है की गर्भनिरोधन के लिए सिर्फ नसबंदी या गोलियां ही खाना एकमात्र विकल्प है जबकि अब नए नए साधन आ गए हैं जिससे की महिला उसका इस्तेमाल कर सकती है पति पत्नी को आपसी संवाद से इसके बारे में सोचना होगा। उन्होंने बताया कि बाजार में ऐसे कई जेल क्रीम और दवाइयां आ गई हैं जिनका इस्तेमाल करके जनसंख्या पर नियंत्रण किया जा सकता है तथा इसका प्रयोग महावारी के दौरान भी किया जा सकता है उन्होंने कहा परिवार नियोजन की विभिन्न विधियां जिसमें की स्थाई पुरुष नसबंदी व महिला नसबंदी अस्थाई विधियां जिसमें की माला डी, कॉपर टी, माला एन, निरोध, सम्मिलित है। साथ ही कहा लगातार बढ़ती जनसंख्या से लोगों को ही परेशानी का सामना करना पढ़ रहा है क्योकी रहने की जगह सीमित है, नौकरियां सीमित हैं, खाना सीमित है और जितनी भी सुविधा है वह सभी लोगो तक नही पहुंच सकती। आगे कहा की दूसरे देश ज्यादा तरक्की इसलिए कर रहे क्योकी उनकी जनसंख्या कम है
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और सरकार भी सभी सुविधा हर व्यक्ति तक आसानी से पहुंचा देती है। वही सुझाव देते हुए कहा की सरकार जैसे बच्चा होने पर पैसा देने की योजना लाई है उसी तरह से योजना लाए ताकि लोगो को प्रोत्साहन मिले। साथ ही जिनके कम बच्चे हो उन्हे ज्यादा सुविधा मिले तो लोग खुद अपनी मानसिकता को बदलेंगे। वहीं इस मौके पर बोलते हुए केजीएमयू के पैरामेडिकल विभाग के डीन डॉ. विनोद जैन ने कहा कि आज का ये कार्यक्रम वर्ल्ड पॉपुलेशन डे के अवसर पर पैरामेडिकल छात्र छात्राओं के बीच कराने का जो मक़सद है वो ये है कि उनके अन्दर ये जागरूकता हो कि हमारे देश की बढ़ती हुई जनसंख्या को लेकर हम इस ओर क्या कर सकते हैं। और जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए इस्तेमाल करने के तरीक़ो को केवल महिलाओं पर ही नही थोपना चाहिए। समाज के हर क्षेत्र में पुरुषों और महिलाओं की बराबर की भागीदारी है तो जनसंख्या नियंत्रण के क्षेत्र में भी पुरूषों व महिलाओं की बराबर की भागीदारी होना चाहिए। उन्होंने कहा प्रत्येक 1000 नसबंदी में से मात्र 13 नसबंदी ही पुरुषों द्वारा कराई जाती हैं जो कि 1.3 प्रतिशत ही होता है। जबकि इसमें महिलाओं का नसबन्दी प्रतिशत 98.7 होता है। उन्होंने बताया कि पुरूष नसबंदी को लेकर समाज मे वयाप्त अंधविश्वास व भ्रांतियों जैसे की पुरूष नसबन्दी के द्वारा पुरुषों में शारिरिक कमज़ोरी आना, नसबंदी कराये हुए पुरूष को समाज मे तुच्छता से देखना तथा नसबंदी कराये पुरुषों का सम्बंध न बना पाना को दूर कर समाज में इसके प्रति जागरूकता फैलाने की अपील की।
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