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आखिर कब सुधरेगी गौशालाओ में रह रहे निराश्रित बेजुबानो की दुर्दशा

सूरज अवस्थी (मोहनलालगंज/लखनऊ) :: तहसील मोहन लाल गंज में बने दर्जनों पशुआश्रय केंद्रों में रह रहे बेजुबानो की दुर्दशा आखिर कब सुधरेगी , करीब करीब सभी गौशालाओ की हालत व वहां की ब्यवस्था बेपटरी हो चुकी है । और बदइंतजामी का आलम ये है कि बेजुबानो को चारे पानी की किल्लत को दूर कर पाना तो दूर की बात आज तक उन्हें रहने के लिए प्रशासन ने पर्याप्त छाव की ब्यवस्था भी नही करा सका है । इतना ही नही कई पशुआश्रय केंद्रों में तो बेजुबान भूख प्यास के मारे दम तोड़ दे रहे है । इसकी शिकायत ग्रामीण जिम्मेदार अधिकारियों से दर्जनों बार कर थक हार चुके है , लेकिन उन्होंने ने भी ब्यवस्था पटरी पर लाने की बात कह अपना पल्ला झाड़ लिया , ग्रामीणों के मुताबिक कई पशुआश्रय केंद्रों में जिम्मेदारो द्वारा कभी कभार हरा चारा खिलाने की फ़ोटो भेज दी जाती है लेकिन जानवरो की संख्या व कितना हरा चारा आया ये नही बताया जाता बाकी सूखा भूसा व इन दिनों पशुआश्रय केंद्रों में खुले में पड़ा गोवंशों को खिलाने वाला भूसा बारिश के पानी से सड़ चुका है जिसे शायद ही कोई गोवंश उस भूसे को खा सके । और यदि खाया तो उनकी सेहत पर उसका प्रतिकूल असर पड़ेगा , वही अभी भी दर्जनों गांवों के पशुआश्रय केंद्र नही खुल सके है । जिससे जिन पंचायतो में खुले है उनमें जरूरत से कई गुना गोवंश कैद है । भला ऐसी सूरत में उनके खाने पीने व रहने की किल्लत कैसे दूर हो पाएगी ।

और दर्जनों गोवंश असमय काल के गाल में समा अपनी अपनी जान गवा इस बात की कीमत चुका रहे है । वही क्षेत्रीय किसानों ने बताया कि गोवंशों के कानों में टैग भी लगे है और वो सड़को से लेकर खेत खलिहानों तक भारी तादात में घूम रहे है । आखिर वी गोवंश पशुआश्रय केंद्रों से बाहर कैसे निकल गए और ग्रामीण किसानों की फसलों को तहस नहस कर रहे है , और सड़कों व हाइवे पर इनका कब्जा होने के चलते कई राहगीर अब तक इनकी चपेट में आ चोटिल अपाहित होने साथ साथ कईयो की सांस भी थम चुकी है , जिनकी खबरे भी मीडिया ने प्रकाशित किया मगर नतीजा क्या हुआ , ये सभी लोग भली भांति जानते है । और जनता पशुआश्रय केंद्रों की बदहाली व अब्यवस्थाओ को दुरुस्त करने की गुहार प्रदेश की योगी सरकार से लगा चुकी है लेकिन ग्रामीण किसानों , ब बेजुबानो सहित सड़क पर चलने वाले राहगीरो की बात की सुनवाई शायद ही हो सके । वही खण्डविकास कार्यालय व तहसील में बैठे प्रशासनिक अधिकारियों ने भी अब तक सिर्फ कोरा आश्वसन ही दे सके है , क्षेत्र के किशी भी पशु आश्रय केंद्र पर पहुच पहुच बेजुबानो की बदहाली व उनके रहने की ब्यवस्था , खाने पीने की ब्यवथा व पशुपालन विभाग द्वारा उनके इलाज की ब्यवस्था के बारे में वहां की जनता से रूबरू होकर हकीकत को जाना जा सकता है । ये बात मोहन क्षेत्र के ग्रामीणों ने बताई और कहा कि जिम्मेदारो की लापरवाही का खामियाजा ग्रामीण किसान व गोवंश दोनो चुका रहे है जिससे ग्रामीण इलाकों के किसानों व क्षेत्रीय जनता में जिम्मेदारो की लापरवाही को लेकर खासा रोष व्याप्त है ।

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