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हर तरफ है बदहाली का बोलबाला, सिफारिशी राजनीति के आगे बेदम होती विकास की बातें

विमलेश तिवारी (बीकेटी/लखनऊ) :: राजधानी लखनऊ का एक हिस्सा होने के बाद भी बख्शी का तालाब क्षेत्र को देखने के बाद ऐसा नहीं लगता कि यहां के गांवो  में आज भी बिजली, पानी, सड़क, स्वच्छता कार्यक्रम के तहत शौचालय आदि का कोई पुरुसाहाल नहीं है अलबत्ता राजधानी से सटे होने के कारण इस क्षेत्र पर भू-माफियाओं की काली नजर लग चुकी है। जिस तरफ नजर जाये उस तरफ भू-माफियाओं द्वारा प्लाटिंग की जा रही है भोली-भाली गांव की जनता को बरगलाकर उनकी जमीनों को औने-पौने दामों में बेचा जा रहा है कठवारा,बीकामउ,पर्वतपुर,सरावा, लासा, बहादुरपुर, सुल्तानपुर, अकड़ारिया, नउवा पुरवा, आदि अनेक गांव के ग्रामीणों का कहना है कि पूरा क्षेत्र राशनकार्डो के माया जाल में फंसा हुआ है।कोटेदार लोगों को फिंगर प्रिंट न मिलने के भ्रम जाल में फंसा कर राशन देने में मनमानी करते हैं कई लोगों के कार्डों को कोटेदारों द्वारा नवीनीकरण के बहाने रख लिया गया है और मनमाने ढंग से  गरीबों को राशन वितरण किया जाता है। ग्रामीणों के कुछ कहने पर उनको धमकाया भी जाता है कोटेदारों के ऊपर बड़े बड़े रसूखदारों का हाथ होता है इस कारण गरीबों को मिलने वाला राशन रसूखदारों और बाजारों में पहुंच जाता है कुछ भी कहने पर धमकाया अलग से जाता है गांव को सड़कों से जोड़ने की योजना का सच इस क्षेत्र के गांवों से देखा जा सकता है करीब 40 प्रतिशत गांव और मजरे आज भी पक्की सड़कों से महरुम हैं। लोधौली गांव हो या नऊवा पुरवा, राजापुर हो अकड़रिया, इन गांव में पक्की सड़क का क्या कहिये खडंजा तक नहीं है केवल पग डंडी के रास्ते से ही इन इन गांवों की जीवन धारा चल रही है।


कई बड़े-बड़े मजरे भी पक्की सड़क से महरुम हैं न तो पानी के निकास की अच्छी व्यवस्था है और ना ही पक्की नालियां बनी हुई है यूं तो सफाई कर्मी हर जगह कागजों में नियुक्त है लेकिन सफाई का कार्य कभी नहीं होता है सबसे बुरा हाल यह है कि भूमाफियाओं का क्षेत्र की उपजाऊ चारागाह की जमीनों पर नजर है लोगो को लालच देकर यहां के भोले-भाले ग्रामीणों को उपजाऊ जमीन ओने पौने दामों में खरीद कर प्लाटिंग की जा रही है राजस्व से जुड़े कुछ अधिकारियों और पुलिस की सह पर ग्राम समाज की जमीन पर भी वह माफियाओं का अवैध कब्जे का कुचक्र रचा जा रहा है।संपूर्ण स्वच्छता अभियान का खूब दावा किया जाता है अखबार में बड़े-बड़े विज्ञापन छापे जाते हैं

स्वच्छ शौचालय बनाने की बात कही जाती है लेकिन सरकारी जटिलताओं से किया काम केवल विज्ञापनों में ही दिखता है बख्शी का तालाब विधानसभा क्षेत्र में 80 प्रतिशत गांवों में स्वच्छ शौचालय अभी पूर्ण रूप से नहीं बने हैं जहां बने भी हैं वहां सिफारिशी राजनीति का बोल बाला है। अपराधों का भी पूरे क्षेत्र में बोल बाला है थानों में भी रसूखदारों की ही सुनी जाती है उनके इशारों पर पुलिसिया कार्यवाई  देखने को मिलती है गरीबों का तो मुकदमा दर्ज कराने में ही पूरा दम निकल जाता है

साफ सफाई का भी बुरा हाल है ना तो सड़के ठीक से हैं और न ही इनके बगल में नालियां ही ठीक से बनी हुई हैं सड़कों पर नालियों का गंदा पानी फैला रहता है जो संक्रमण बीमारियों की वजह बनता है विकास की बात करें तो हर गांव में अंडर ग्राउंड नालियां बननी चाहिए ताकि गंदा पानी बाहर न रहे और बीमारियों से बचा जा सके लेकिन बख्शी का तालाब क्षेत्र में लगभग 90 प्रतिशत गांव में यह सुविधा मुहैया नहीं है सफाई कर्मी प्रधान और ग्राम पंचायत अधिकारियों से मिलीभगत कर काम पर आते ही नहीं गांव में अगर ग्रामीण खुद न सफाई करे तो सरकार की महत्वाकांक्षी योजना “स्वच्छ भारत अभियान” का पलीता लगना तय है कहीं कोई जवाबदेही नहीं दिखती।

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