डेस्क : ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा के कुलपति प्रो. सुरेन्द्र कुमार सिंह ने कहा कि नैतिकता का बोध जबरन नहीं कराया जा सकता है, बल्कि व्यक्ति को उसे खुद जागृत करना होगा।
उक्त बातें कुलपति ने शिक्षा शास्त्र विभाग द्वारा प्रो. उमाकांत चौधरी मेमोरियल व्याख्यान के तहत शैक्षिक शोध में नैतिकता का महत्व विषय पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कही।
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प्रो. सिंह ने कहां कि ऐसा ज्ञान जो व्यक्ति समाज और देश के लिए उपयोगी हो उसी पर शोध होना चाहिए साथ ही वह सामाजिक रूप से प्रासंगिक भी हो और समस्याओं का हल करने में सहायक हो।
कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सर्व नारायण झा ने कहा कि रक्त में नैतिकता का बीज हरेक व्यक्ति में है लेकिन इसे कोई व्यवहार में नहीं लाते हैं। उन्होंने शोधर्थियों का आहवान किया कि वे अपने शोध में सत्य धर्म और का उपयोग करें।
इस मौके पर संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के शिक्षा शास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. प्रेम नारायण सिंह, डॉ. डी एन सिंह, सरदार अरविन्द सिंह, डॉ. विजय कुमार, डॉ. फैज अहमद आदि ने विचार रखे। आगत अतिथियों का स्वागत शिक्षा शास्त्रविभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. विनय कुमार चौधरी ने किया। वहीं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. रौली द्विवेदी ने किया।