लखनऊ ब्यूरो (राज प्रताप सिंह) :: आगरा के दक्षिणी बाईपास से मंगलवार की रात 34 सवारियों से भरी बस को हाईजेक करने वाला प्रदीप गुप्ता गुरुवार की सुबह गिरफ्तार कर लिया गया। फतेहाबाद क्षेत्र में एसओजी, क्राइम ब्रांच की टीम और बदमाशों के बीच हुई मुठभेड़ में प्रदीप के पैर में गोली लगी है। मुठभेड़ में स्वॉट टीम का एक सिपाही सुदर्शन भी जख्मी हुआ है। आरोपित का कहना है कि उसे बस मालिक से 65 लाख रुपये लेने थे। बस मालिक मर गया। इसलिए उसने बस छीनी थी।
मंगलवार रात को बदमाशों ने यात्रियों से भरी बस का अपहरण किया था। बुधवार को सुबह छह बजे चालक और परिचालक ने मलपुरा थाने में घटना की सूचना दी। इस मामले में आगरा से लखनऊ तक सनसनी फैल गई थी। खाली बस इटावा में मिली थी। सवारियों को दूसरी बस में बैठा दिया था। वे छतरपुर (मध्य प्रदेश) पहुंच गई थी। परिचालक रामविशाल की तहरीर पर पुलिस ने अज्ञात बदमाशों के खिलाफ डकैती और अपहरण की धारा में मुकदमा दर्ज किया था। पुलिस की जांच में घटना में मूलत: जैतपुर निवासी प्रदीप गुप्ता का नाम सामने आया। सीसीटीवी कैमरे से मिले फुटेज के बाद पुलिस फीरोजाबाद, आगरा और इटावा में उसकी तलाश में दबिश दी थी। शाम को उसकी एक गाड़ी कचौरा घाट, चित्राहट में मिली थी। प्रदीप इटावा में वर्ष 2018 में समानांतर आरटीओ कार्यालय चलाने के आरोप में जेल गया था।
गुरुवार की सुबह करीब पांच बजे फतेहाबाद के भलोखरा चौराहा पर प्रदीप गुप्ता अपने साथी यतेंद्र यादव के बाइक पर जा रहा था। वह पुलिस से बचने के लिए आगरा से बाहर जाना चाहता था। क्राइम ब्रांच, एसओजी और कई थानों के पुलिस फोर्स ने उसकी घेराबंदी कर ली। आरोपित की ओर से पुलिस पर फायरिंग की गई। मुठभेड़ में प्रदीप के दाहिने पैर में गोली लगी। इसके बाद बाइक से वह गिर पड़ा। उसका साथी मौके से भाग गया। मौके से चोरी की बाइक और तमंचा कारतूस बरामद हुए हैं। एसएसपी बबलू कुमार मौके पर पहुंच गए। घायल बदमाश को एसएन मेडिकल कॉलेज इमरजेंसी में भर्ती करा दिया। मुठभेड़ में स्वाट टीम का सिपाही सुदर्शन भी घायल हुआ है।
प्रदीप ने पुलिस को बताया कि वह बस मालिक अशोक अरोड़ा को कई साल से जानता था। उनकी सभी बसों का टैक्स जमा किया करता था। उसे अपने 65 लाख रुपये चाहिए थे। तगादा भी किया था। मालिक की मौत हो गई। उसने मंगलवार को बस को पहले सैंया टोल पर पकड़ने का प्रयास किया था। बस गुरुग्राम चली गई। वह अपने साथियों के साथ वहां पहुंचा। गुरुग्राम में मौका नहीं मिला। उसने सोचा कि आगरा में बस को कब्जा कर लेगा। आगरा तक बस के पीछे आया। दक्षिणी बाईपास पर फाइनेंस कर्मी बनकर बस का अपहरण कर लिया। सवारियों को दूसरी बस में बैठाकर आगे तक भेज दिया। बस को इटावा में खड़ा करा दिया था। बाद में उसे जानकारी हुई कि मामला बहुत ऊपर तक पहुंच गया है। पुलिस उसके पीछे लगी है। इसलिए छिप गया था।