लखीसराय–(रजनिश कुमार)—- बिहार झारखंड के अलग हो जाने से बाबा बैजनाथ धाम का मंदिर देवघर झारखंड में चला गया जिसके बाद बिहार के लखीसराय जिले में स्थित अशोक धाम बिहार का देवघर कहा जाने लगा। सावन के दिनों में बोल बम कांवरियों की भीड़ तो देवघर में होती ही है पर अशोक धाम का भी अपना अलग महत्व है पहले तो आपको बता दूं कि देवघर की तुलना में अशोक धाम का मंदिर बहुत बड़ा और अति सुंदर है कहां जाता है कि यहां के मंदिर का शिवलिंग विश्व का सबसे बड़ा शिवलिंग है इस मंदिर में शादी करके दहेज लेना पाप समझा जाता है और यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है यही समझीये कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2017 से दहेज की प्रथा को खत्म करने का फैसला किया है श्री इंन्द्रमनेश्वर महादेव ट्रस्ट पिछले 9 वर्षों से इस मंदिर में दहेज मुक्त विवाह समारोह का आयोजन कर रहा है इसके तहत बगैर दहेज लड़कियों का सामूहिक विवाह करा कर समाज के कमजोर लोगों का मदद कर समाज को एक नई दिशा दिखा रहा है इस मंदिर में आज 41 जोड़ों की सामूहिक विवाह किया गया।अब तक 358 गरीब परिवारों की बेटियों की शादी ट्रस्ट द्वारा की जा चुकी है लखीसराय जिले में पौराणिक देवी देवताओं की मंदिर तो अधिक संख्या में है पर अशोक धाम का अलग महत्व है इस मंदिर की सुंदरता और यहां पर पूजा करने का अंदाज ही कुछ अलग है झारखंड के देवघर के मुकाबले प्रतिवर्ष अशोक धाम में चार गुना अधिक शादियां होती है दिल्ली हावड़ा मेल लाइन के लखीसराय स्टेशन आने से पहले यह मंदिर को ट्रेन पर से भी देखा जा सकता है रात में तो इस मंदिर का नजारा ही बड़ा मनभावन है
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