पटना : बिहार में चर्चित रिज़ल्ट घोटाला के बाद अब खेल घोटाला भी रिलीज हो गया है. जी हाँ,आपके लिए आश्चर्य की बात नहीं होनी चाहिए क्योंकि बिहार में घोटाला शब्द कई महीनों से सुर्खियों में रहा है. बिहार बोर्ड के रिजल्ट घोटाले की तरह ही मेधा का गला घोंटने वाला ‘खेल सम्मान घोटाला’ अब आपके सामने है. बिहार राज्य खेल प्राधिकरण ने ’16वें नेशनल पारा एथलेटिक्स प्रतियोगिता’ में बिना मेडल जीते ही दिव्यांग खिलाड़ियों को खेल सम्मान दे दिया है।
जानकारी के अनुसार जिन खिलाड़ियों को खेल सम्मान दिए गए हैं, उनमें से किसी ने भी पंचकुला (हरियाणा) में हुई प्रतियोगिता में मेडल नहीं जीता था। कुछ तो प्रतियोगिता में शामिल तक नहीं हुए थे। विजेताओं की सूची इंटरनेट पर आने के बाद असली विजेताओं से मिलान करने पर इसका खुलासा हुआ। इसकी जानकारी खेल सम्मान समारोह से पहले ही खेल प्राधिकरण को मिल गई थी, लेकिन मामले को दबा दिया गया।
बिहार राज्य खेल प्राधिकरण के महानिदेशक अरविंद पांडे ने स्वीकार किया कि उन्हें इसकी जानकारी है। किस स्तर पर और कहां चूक हुई, यह जांच के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा। इसकी जांच की जा रही है। फर्जी पाए गए खिलाड़ियों पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
बता दें कि बिहार सरकार ने 2007 से इन पुरस्कारों की शुरुआत की थी। इसमें अंतरराष्ट्रीय या राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक पाने वाले खिलाड़ियों को अधिकतम 5 लाख तक की राशि भी दी जाती है। पुरस्कार कई श्रेणियों में दिए जाते हैं। पिछले सप्ताह 29 अगस्त को खेल दिवस पर बिहार सरकार ने राज्य के 359 खिलाड़ियों को खेल पुरस्कारों से सम्मानित किया था।
विदित हो कि खेल पुरस्कार प्राप्त खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी मिलने में आसानी होती है। आशंका है कि यह घोटाला भी इसी लिए किया गया है। बताया जाता है कि खेल पुरस्कारों का यह घोटाला सालों से चल रहा है।
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